हाई कोर्ट में हर महीने 2 शनिवार को होगी सुनवाई, 24 कार्य दिवस बढ़ने से साल में अब 234 दिन होगा काम

राजस्थान हाई कोर्ट में 24 कार्य दिवस बढ़ाने का फैसला, अब कुल कार्य दिवस 234 होंगे। हर महीने दो शनिवार को मुकदमों की सुनवाई का फैसला। वहीं पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होंगे 2 ईवनिंग कोर्ट। हालांकि गुजरात में ईवनिंग कोर्ट का प्रोजेक्ट हो चुका है फेल।

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Mukesh Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने बढ़ते मुकदमों के बोझ को कम करने के लिए हर महीने दो कार्य दिवस बढ़ाने का फैसला किया है। शुक्रवार को जैसलमेर में हुई फुल कोर्ट की मीटिंग में यह फैसला लिया है। इसके लिए हर महीने दो शनिवार मुकदमों की सुनवाई की जाएगी।

इससे साल में कुल 24 कार्य दिवस बढ़ जाएंगे और साल के कुल कार्य दिवस 210 से बढ़कर 234 हो जाएंगे। अभी कोर्ट में सोमवार से शुक्रवार तक ही सुनवाई होती है। सवाल यह है कि जज बिना काम कैसे संभव होगा!

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लगाता ही है समय : डॉ. विभूति भूषण शर्मा

राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विभूति भूषण शर्मा के अनुसार, मुकदमों का बोझ कम करने के लिए अकेले महीने में दो कार्य दिवस बढ़ाने से विशेष फायदा नहीं होगा। इस समस्या के समाधान के लिए न्यायाधीशों की संख्या बढ़ानी होगी। हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के 50 स्वीकृत पद हैं, लेकिन वर्तमान में 39 न्यायाधीश ही काम कर रहे हैं। 

डॉ. शर्मा का कहना है कि कोर्ट में किसी भी विवाद को कानून की चारदीवारी में सुलझाना आसान नहीं होता। एक दिन में कोर्ट में 200 से 400 तक मुकदमे लगते हैं। न्यायाधीश भी इंसान हैं, मशीन नहीं। उनके लिए एक दिन में इतने मुकदमे सुनना और तय करना संभव नहीं है। कोर्ट में किसी विवाद को सुलझाने में न्यायाधीशों को बहुत गहनता और विवेक का इ​स्तेमाल करना होता है और इसमें समय लगता ही है। 

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संवेदनशीलता प्रदर्शित हो रही : भुवनेश शर्मा 

बार काउंसिल के चेयरमैन व सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता भुवनेश शर्मा के अनुसार भी न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाए बिना वांछित परिणाम मिलना मुश्किल है। हालांकि हर महीने दो कार्य दिवस बढ़ाना सही दिशा में उठाया गया उचित कदम है। इससे आम जनता को फायदा होगा।

यदि दो दिन में 250 से 500 मुकदमे भी निपटेंगे, तो बोझ तो कम होगा ही। सबसे ज्यादा फायदा जमानत के मामलों में होगा। इससे जेलों में भी बोझ कम होगा। इस फैसले से न्यायपालिका की जनता के प्रति संवेदनशीलता प्रदर्शित हो रही है। 

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लागू होने के बाद ही आकलन : घनश्याम सिंह राठौड़

राजस्थान बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन व सदस्य एडवोकेट घनश्याम सिंह राठौड़ के अनुसार भी न्यायाधीशों की संख्या बढ़े बिना मुकदमों का त्वरित निपटारा आसान नहीं है। हालांकि महीने में दो कार्य दिवस बढ़ते हैं, तो निश्चित तौर पर मुकदमों के बोझ में कमी तो आएगी ही। इसलिए यह अच्छा निर्णय है और जब तक यह लागू नहीं होता, तब तक इस फैसले के फायदे या नुकसान का सही आकलन करना भी संभव नहीं है। 

कोई फायदा नहीं है ईवनिंग कोर्ट का : पवन शर्मा

जयपुर और जोधपुर में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर एक-एक ईवनिंग कोर्ट शुरू करने के फैसले पर दी बार एसोसिएशन जयपुर के पूर्व अध्यक्ष पवन शर्मा का कहना है कि इससे कोई फायदा नहींं होने वाला। गुजरात में यह प्रयोग फेल हो चुका है।

कितनी भी कोशिश कर लें, वकीलों को दिन में काम करना ही होता है। ऐसे में उनके लिए शाम 5 बजे बाद भी कोर्ट में ही काम करना संभव नहीं है। हाई कोर्ट में कार्य दिवस बढ़ाने के साथ न्यायाधीशों की संख्या भी बढ़नी चाहिए, तभी मुकदमों का जल्द निपटारा होगा और त्वरित न्याय की अवधारणा मूर्त रूप ले सकेगी।  

जनता और वकीलों की भागीदारी जरूरी

न्यायपालिका पिछले कई सालों से अदालतों में बढ़ते बोझ को कम करने के लिए प्रयासरत रही है। इसके लिए ईवनिंग कोर्ट का प्रयोग भी किया था। गुजरात में ईवनिंग कोर्ट शुरू भी हुईं, लेकिन जज, जनता और वकीलों की भागीदारी की कमी से यह प्रयोग असफल कर दिया और अंतत: वहां ईवनिंग कोर्ट बंद हो गईं।

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न्यायाधीशों की संख्या बढ़ानी ही होगी : अनिल चौधरी

दी बार एसोसिएशन जयपुर के पूर्व अध्यक्ष अनिल चौधरी के अनुसार, ईवनिंग कोर्ट का प्रयोग असफल हो चुका है। इसे शुरू करने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि वकीलों को मुकदमों की तैयारी करनी होती है और क्लाइंट से मिलना होता है। यह काम वकील कोर्ट समय के बाद शाम को अपने कार्यालय में करते हैं। 

यदि ईवनिंग कोर्ट में जाना पड़ा तो वह अगले दिन की तैयारी कैसे करेंगे! जहां तक हाई कोर्ट में कार्य दिवस बढ़ाने का सवाल है, तो महीने में दो दिन बढ़ाने से बहुत फायदा नहीं होने वाला। शिक्षा के प्रसार के साथ आमजन अपने अधिकारों के प्रति जाग्रत हुआ है और आगे और भी ज्यादा होगा। ऐसे में मुकदमे तो बढ़ेंगे, लेकिन इनके जल्द निपटारे के लिए न्यायाधीशों की संख्या बढ़ानी ही होगी।    

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कोई आने को तैयार नहीं हुआ

गुजरात में मुख्य रूप से न्यायाधीश व कर्मचारियों की कमी के साथ ही वकीलों और मुवक्किलों की उदासीनता के साथ न्यायिक प्रणाली के कामकाज में पारंपरिक बाधाएं शामिल रहीं। अधिकांश वकील तो शाम को काम करने को तैयार ही नहीं थे, बल्कि मुवक्किल भी ईवनिंग कोर्ट में आने को तैयार नहीं थे। 

राजस्थान में लंबित मुकदमों की तस्वीर

अधीनस्थ अदालतों में लंबित मुकदमे : 26,05,540 
सिविल मुकदमे : 5,05,627
क्रिमिनल मुकदमे : 20,99,913 

राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित मुकदमे
कुल मुकदमे : 6,89,906 
सिविल : 4,96,099 
क्रिमिनल : 1,93,807

हाई कोर्ट की जयपुर बेंच में लंबित मुकदमे
कुल मुकदमे : 4,01,162
सिविल : 2,83,485
क्रिमिनल : 1,17,677

जोधपुर मुख्य पीठ में लंबित मुकदमे
कुल मुकदमे : 2,88,744
सिविल : 2,12,614
क्रिमिनल : 76,130

(नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के अनुसार 13 दिसंबर, 2025 तक आंकड़े)

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