नगर निगम ठेले वालों को तो हटाता है, लेकिन पक्के निर्माण पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती : हाई कोर्ट

राजस्थान हाई कोर्ट ने अतिक्रमण के लिए जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं करने पर जेडीसी को हाजिर होने के दिए निर्देश। दोनों नगर निगम के आयुक्तों को भी बुलाया। जयपुर में अतिक्रमण, पार्किंग व सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं का मामला।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने राजधानी जयपुर में अतिक्रमण व मूलभूत सुविधाओं के मामले में स्व:प्रेरणा से दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि नगर निगम ठेले वालों को तो हटाता है, लेकिन पक्के निर्माण पर कार्रवाई नहीं करता। 

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हो जाते हैं पुन: अतिक्रमण

एक्टिंग सीजे संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस बीएस संधू की खंडपीठ सोमवार को मामले की सुनवाई कर रही थी। मामले में न्यायमित्र रिनेश गुप्ता ने कहा कि मामले में केवल कागजी कार्रवाई हो रही है और अतिक्रमण हटाने के मॉनिटरिंग नहीं होने से पुन: अतिक्रमण हो जाते हैं। 

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जेडीसी हाजिर होकर बताएं कारण  

जेडीए के एडवोकेट अमित कुड़ी ने अदालत के पिछले आदेश की पालना में हलफनामा पेश करके बताया कि बार-बार अतिक्रमण हटाने के बाद भी पुन: होने के मामले में प्रवर्तन शाखा के जिम्मेदार 22 कर्मचारियों को नोटिस दिए हैं।

इस पर अदालत ने नोटिस देने के बाद की गई कार्रवाई बताने को कहा तो कुड़ी ने बताया कि कार्रवाई तो कुछ भी नहीं हुई है। इससे नाराज अदालत ने अगली तारीख पर जेडीसी को व्यक्तिश: उपस्थित होकर कार्रवाई नहीं होने का कारण बताने को कहा है। 

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इनको भी बुलाया

हाई कोर्ट ने जयपुर में पार्किंग, सफाई, अतिक्रमण और यातायात प्रबंधन की खराब स्थिति पर हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगमों के आयुक्तों सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को 13 नवंबर को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने को कहा है। अदालत ने सड़क, पार्किंग और वेंडिंग जोन से जुड़े रिकॉर्ड भी पेश करने, ट्रैफिक मैनेजमेंट और पब्लिक यूटिलिटी के साथ-साथ स्वच्छता के लिए गठित कमेटियों की जानकारी भी पेश करने को कहा है।

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हलफनामा पेश करने के आदेश

अदालत ने वैशाली नगर स्थित गांधी पथ पर अतिक्रमण के मामले में जेडीए आयुक्त को आठ दिसंबर को पेश होकर इस मामले में जिम्मेदारी कर्मचारियों पर की गई कार्रवाई बताने को भी कहा है। अदालत ने जेडीए के एडवोकेट को जेडीए के क्षेत्राधिकार को लेकर हलफनामा पेश करने तथा अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज शर्मा आवासन मंडल के जिम्मेदार अफसर का हलफनामा पेश करने तथा संबंधित अधिकारियों को अगली सुनवाई के दौरान अदालत में हाजिर रखने के निर्देश दिए हैं। 

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केवल कागजी कार्रवाई हो रही

एडवोकेट विमल चौधरी और एडवोकेट योगेश टेलर ने अदालत को बताया कि शहर की पार्किंग, अतिक्रमण, यातायात, आवारा पशु और सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं पर अदालत ने स्व:प्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर जनहित याचिका दर्ज की है। अदालत ने नगर निगम और राज्य सरकार के अफसरों को कई बिंदुओं पर दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन सिर्फ कागजी कार्रवाई हो रही है। 

जरूरी रिकॉर्ड भी तलब

जगह-जगह कचरे के ढेर हैं और शहर यातायात से जूझ रहा है। पार्किंग नहीं होने के कारण फुटपाथ पर बेतरतीब तरीके से वाहन खड़े रहते हैं। जगह-जगह अतिक्रमण हैं। शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। अतिरिक्त महाधिवक्ता मनोज शर्मा ने राज्य सरकार की ओर से की गई कार्रवाई की जानकारी दी। सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने दोनों नगर निगम के आयुक्त सहित जेडीए व हाउसिंग बोर्ड के अफसरों को पेश होने के आदेश देकर जरूरी रिकॉर्ड भी तलब किया है।

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