पैरा एथलीट को दो साल बाद भी सरकारी नौकरी नहीं, हाई कोर्ट ने वित्त सचिव और आबकारी आयुक्त को व्यक्तिगत बुलाया

राजस्थान हाई कोर्ट ने पैरा एथलीट निहाल सिंह की नियुक्ति में देरी पर राजस्थान के वित्त सचिव और आबकारी आयुक्त को तलब किया है। उन्हें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता दो साल से नौकरी का इंतजार कर रहा है।

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Mukesh Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान सरकार की ओर से सरकारी नौकरी की अनुशंसा करने के बाद भी पैरा एथलीट खिलाड़ी को करीब दो साल तक नियुक्ति नहीं देने पर राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के वित्त सचिव और आबकारी आयुक्त को व्यक्तिश: अदालत में तलब किया है। जस्टिस अशोक कुमार जैन ने पैरा एथलीट निहाल सिंह की याचिका पर दोनों अधिकारियों को 26 नवंबर को हाई कोर्ट में पेश होकर स्पष्टीकरण देने को कहा है।  

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अनुशंसा के बाद भी नियुक्ति नहीं

याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार ने 29 सितंबर, 2023 को 2023-24 की रिक्तियों के विरुद्ध सहायक आबकारी अधिकारी (निवारक) के पद पर उसकी नियुक्ति की अनुशंसा की थी। 11 अक्टूबर, 2023 को आबकारी विभाग को चयन-पत्र भेजने के बाद भी याचिकाकर्ता को एक साल 9 महीने से नियुक्ति नहीं दी है।

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याचिकाकर्ता ने जीते हैं कई पदक

याचिका में बताया गया है कि याचिकाकर्ता पेरिस पैरालिंपिक 2024, एशियाई पैरा गेम्स 2023 और कई विश्व पैरा शूटिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका है। विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक सहित 20 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं।

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दिव्यांगजन योग्य पदों की पहचान नहीं

एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि विभाग ने राज्य दिव्यांगजन आयुक्त के समक्ष यह स्वीकार किया कि पिछले तीन साल से आबकारी विभाग में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत दिव्यांगजन योग्य पदों की पहचान प्रक्रिया नहीं की गई। 

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आदेश की अवहेलना और अनदेखी

याचिकाकर्ता के प्रार्थना-पत्र पर राज्य दिव्यांगजन आयुक्त ने 12 नवंबर, 2024 को विस्तृत आदेश पारित करते हुए आबकारी विभाग को निर्देशित किया कि वह याचिकाकर्ता को समस्त परिणामी लाभ देते हुए नियुक्ति आदेश जारी करें। वहीं कानून की अनुपालना में दिव्यांगता योग्य पदों की तुरंत पहचान करें, लेकिन विभाग ने वैधानिक रूप से बाध्यकारी होने के बावजूद आदेश की अवहेलना और अनदेखी की है।

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भेदभावपूर्ण रवैया अपनाया गया

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की तरह की स्थिति वाले अन्य पैरा एथलीट अवनि लेखरा, सुंदर गुर्जर और देवेंद्र झाझड़िया को 2017 के नियमों के तहत एसीएफ के पद पर नियुक्ति की अनुशंसा की गई थी, जिन्हें पहले ही नियुक्ति मिल चुकी है। वहीं उस समय वह पद भी दिव्यांगजनों के लिए निर्धारित नहीं था, लेकिन याचिकाकर्ता के विरुद्ध भेदभावपूर्ण निष्क्रियता समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

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