/sootr/media/media_files/2025/11/13/rajasthan-high-court-2025-11-13-09-06-23.jpg)
Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने आरोपी के लंबे समय तक फरार रहने पर मामलों के लंबित रहने पर चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा कि कई मामले ऐसे हैं, जिनमें आरोपी के दशकों तक फरार रहने से मुकदमों की ट्रायल रुकी हुई है।
एसआई भर्ती 2025 : राजस्थान हाई कोर्ट की लताड़, भर्ती परीक्षा मामलों में विश्वसनीयता खो चुकी सरकार
मामला होता है कमजोर
जस्टिस अनूप ढंड ने कहा है कि दशकों तक लंबित मामलों से न्याय प्रशासन में जनता का विश्वास कम होता है। यह स्थिति कानून के शासन को कमजोर करती है। जैसे-जैसे मामला लंबा खिंचता है, सबूत खो सकते हैं और गवाह लापता हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों का मामला कमजोर हो जाता है। इससे फैसले की निष्पक्षता और गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
स्पेशल सेल गठित करें
अदालत ने गृह विभाग के प्रमुख सचिव और डीजीपी को निर्देश दिया कि वे फरार अभियुक्तों और घोषित अपराधियों का पता लगाने के लिए एक स्पेशल सेल का गठन करें, ताकि उन पर मुकदमा चलाया जा सके और अपराध के पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से मामलों के निपटारे में न केवल मदद मिलेगी, बल्कि तेजी भी आ सकेगी।
राजस्थान हाई कोर्ट : ससुर को हर महीने बहू देगी 20 हजार रुपए, सैलरी से कटकर बैंक खाते में जाएगी रकम
आरोपी का पता नहीं चल रहा
अदालत ने कहा कि जमानती वारंट से भी जब आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होता है, तो कोर्ट गिरफ्तारी वारंट जारी करती हैं, लेकिन पुलिस बिना किसी उचित कारण के वारंट तामील कराने में विफल रहती है। ऐसे में मुकदमा अनिश्चितकाल तक लंबित रहता है।
मंजूर नहीं है ऐसी दलील
अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य है कि वे देश भर में फरार आरोपियों का पता लगाएं, वारंट तामील करवाएं और आरोपियों को अदालत में पेश करें। उन्हें यह दलील देने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि आरोपी का पता नहीं चल रहा है। पुलिस की ऐसी अनुचित दलील स्वीकार करने योग्य नहीं है।
राजस्थान हाई कोर्ट ने दिए जयपुर के चारदीवारी क्षेत्र में 19 अवैध बिल्डिंगों को सीज करने के आदेश
38 साल से आरोपी को नहीं पकड़ा
अदालत नाथी देवी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता के खिलाफ रास्ता रोकने और मारपीट करने का मामला साल 1983 में दर्ज हुआ था। पुलिस ने 38 साल से आरोपी को नहीं पकड़ा है, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी दिखाई।
1987 से जमानत जब्त
जमानत बॉन्ड जब्त होने के बाद साल 1987 में कोर्ट ने गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए, लेकिन उसके बाद भी याचिकाकर्ता कोर्ट में पेश नहीं हुईं। उसके बाद कोर्ट ने उसे साल 2000 में फरार घोषित करते हुए स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए।
राजस्थान हाई कोर्ट की फटकार : अधिकारी कोर्ट के आदेश को कितने समय तक दबाकर रख सकते हैं?
पुलिस 25 साल तक तलाशती रही
पिछले चार दशक से एक ही जगह पर रहने के बाद भी पुलिस उस याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं कर सकी। याचिकाकर्ता ने गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में बदलने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us