बदलाव : राजभवन का नाम बदलकर किया गया लोकभवन, ऐसा करने वाला राजस्थान 9वां राज्य बना

राजस्थान के राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन कर दिया गया है। यह बदलाव 1 दिसंबर से लागू हो गया है। राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े का कहना है कि यह परिवर्तन भारतीय लोकतंत्र की पहचान को और अधिक मजबूत करेगा।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में अब राजभवन को लोकभवन के नाम से जाना जाएगा। राज्यपाल हरिभाऊ बागडे ने इस परिवर्तन से संबंधित अधिसूचना जारी की, जो 1 दिसंबर 2025 से प्रभावी होगी। यह नाम परिवर्तन केवल एक बदलाव नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक भारतीय संस्कृति की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

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आकांक्षाओं और भावनाओं का प्रतीक

राज्यपाल ने कहा कि लोकभवन शब्द लोगों की आकांक्षाओं और भावनाओं का प्रतीक है और यह औपनिवेशिक मानसिकता से उबरने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका कहना था कि राज शब्द ब्रिटिश शासन की याद दिलाता है और इसी कारण यह बड़ा बदलाव किया गया है।

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क्यों किया गया यह बदलाव?

राज्यपाल बागडे ने बताया कि लोकभवन का नामकरण भारत की लोकतांत्रिक भावना से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारे संविधान की उद्देशिका हम भारत के लोग... से शुरू होती है। लोकतंत्र में लोक ही प्रमुख है, इसलिए राज्यपाल का कार्यस्थल अब लोकभवन के नाम से जाना जाएगा।

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अन्य राज्यों में भी हुए हैं नाम परिवर्तन

राजस्थान देश का 9वां राज्य है, जहां राजभवन का नाम बदलकर लोकभवन रखा गया है। इससे पहले उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी राजभवन का नाम लोकभवन रखा जा चुका है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार यह नामकरण किया गया है, जिससे राज्यों में लोकतांत्रिक भावना को और प्रोत्साहन मिलेगा।

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यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?

राजस्थान का यह कदम भारतीय लोकतंत्र और संस्कृति को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह बदलाव औपनिवेशिक मानसिकता को खत्म करने की दिशा में उठाया गया कदम है, जो भारतीय जनता की भावनाओं और राष्ट्र के गौरव को अधिक सम्मान देता है। 

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पहले से अधिक प्रेरणा मिलेगी

राज्यपाल हरिभाऊ बागडे का कहना है कि लोकभवन नामकरण का उद्देश्य राज्य के प्रशासन को जनता के अधिक निकट लाना है। यह दर्शाता है कि सरकार की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और लोकप्रियता का महत्व है। राज्यपाल ने कहा कि नामकरण के बाद जनता से जुड़ने की प्रेरणा पहले से कहीं अधिक मिलेगी।

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