मैनपावर के नाम पर करोड़ों का घोटाला, रिकॉर्ड का अता-पता नहीं, एसीबी की जांच नहीं बढ़ी आगे

राजस्थान के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग तथा राजकॉम्प में मैनपावर घोटाले पर एसीबी की जांच रुक गई है। विभागों के पास मैनपावर सप्लाई का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं। जानें घोटाले का पूरा मामला और राजस्थान हाई कोर्ट में केस की स्थिति।

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Mukesh Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान के सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग और सरकारी कंपनी राजकॉम्प घोटालों का पर्याय बन गए हैं। स्थिति यह है कि विभाग के पास इस बात का कोई पुराना रिकॉर्ड ही नहीं है कि ​किस व्यक्ति को किस काम के ​कितने पैसे दिए गए।

सूत्रों का कहना है कि मैनपावर सप्लाई का रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने से एसीबी की जांच आगे नहीं बढ़ रही है। शिकायतों और राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद एसीबी की जांच बरसों से पूरी नहीं हुई। 

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मैनपावर सप्लाई का कोई हिसाब नहीं

दरअसल, राजस्थान सरकार की कंपनी राजकॉम्प विभिन्न प्रकार के आईटी प्रोजेक्ट के लिए मैनपावर सप्लाई के टेंडर जारी करती है। यह काम केंद्र सरकार की कंपनी नीक्सी (NICSI) के माध्यम से होता है। काम के अनुसार अनुभव व शैक्षणिक योग्यता के आधार पर ही मैनपावर ली जाती है। इसके आधार पर राज्य सरकार कंपनी को भुगतान करती है। 

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विभाग के पास नहीं कोई जानकारी

जिस व्यक्ति को एक सरकारी कंपनी राज्य की सरकारी विभाग के काम के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर रख रही है, उसकी पूरी जानकारी कंपनी और विभाग दोनों के पास होनी ही चाहिए। हालात यह हैं कि सूचना व प्रौद्योगिकी विभाग के पास इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। विभाग यह बताने की स्थिति में नहीं है कि किसे कितना पैसा किस काम के लिए दिया गया। 

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पैसा दिया पूरा, लेकिन आदमी आए ही नहीं

सीएजी की जांच में पता चला था कि राजकॉम्प ने 2015 में तिमाही और छह महीने में भुगतान किया था। जितने आदमियों का भुगतान दिया, उतने आदमी आए ही नहीं और अधिकांश अनुपस्थित रहे। यह तथ्य भी उजागर हुआ कि काम के लिए भेजी गई मैनपावर के अनुभव प्रमाण-पत्र ही रिकॉर्ड में नहीं हैं।

ऐसे में यह प्रमाणित नहीं होता कि काम पर लिए गए व्यक्ति प्रोजेक्ट की आवश्यकता के अनुसार शैक्षणिक योग्यता वाले व पर्याप्त अनुभवी थे। कंपनी ने काम के लिए आने वालों की कोई जांच नहीं की। 

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टीए-डीए सीएस के वेतन से ज्यादा

राजस्थान सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, राजकॉम्प ने एक सोशल ​मीडिया प्रोजेक्ट के लिए राजस्थान में घूमने के लिए टीए-डीए के 2,61,400 रुपए प्रतिदिन प्रति व्यक्ति दिए हैं, जबकि राज्य से बाहर का एक दिन का टीए-डीए 4,95,666 रुपए दिया है। रोचक तथ्य यह है कि राज्य मुख्य सचिव का वेतन 2,25,000 रुपए फिक्स है, लेकिन कंपनी ने मुख्य सचिव के वेतन से ज्यादा तो एक व्यक्ति को एक दिन का टीए-डीए ही दिया है। 

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6 साल से हाई कोर्ट में अटका मामला

राजकॉम्प और डीओआईटी में हुए घोटालों के खिलाफ एडवोकेट पूनमचंद भंडारी ने साल 2019 में एक जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने मामले की एसीबी या सीबीआई व अन्य एजेंसियों से जांंच करवाने की गुहार की। यह याचिका आज भी राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित चल रही है। इस पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है। 

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मैनपावर के नाम पर करोड़ों का घोटाला

राजकॉम्प : सरकारी कंपनी, जो आईटी प्रोजेक्ट्स के लिए मैनपावर सप्लाई कर रही
सीएजी रिपोर्ट : जांच में अनुपस्थित कर्मचारियों के भुगतान का खुलासा
टीए-डीए : यात्रा भत्ते में सरकारी नियमों का उल्लंघन
मैनपावर सप्लाई : रिकॉर्ड का अभाव और सरकारी धन का गलत इस्तेमाल
हाई कोर्ट में लंबित मामला : 2019 से चल रहा केस, अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई

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