/sootr/media/media_files/2025/12/24/rajasthan-2025-12-24-19-08-44.jpg)
पांच प्वाइंट्स में समझें पूरा मामला
| |
Rajasthan News:राजस्थान के जालोर जिले में पंचायत ने एक हैरान करने वाला फैसला सुनाया है। पंचायत ने 15 गांवों की महिलाओं और बेटियों को 26 जनवरी से कैमरे वाला स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी है। अब महिलाएं इस फैसले का खुलकर विरोध कर रही हैं। यह फैसला चर्चा का विषय बन गया है। आइए जानते हैं क्या है इस विवाद के पीछे का कारण...
ये भी पढ़ें...नर्स से अफेयर के शक में पत्नी ने दी पति के मर्डर की सुपारी, फर्जी CID अफसर बनकर शूटर बना हर्ष पटेल दबोचा
पंचायत अध्यक्ष ने क्या कहा
महिलाओं के स्मार्ट फोन के उपयोग को लेकर समाज अध्यक्ष ने सफाई देते हुए कहा कि यह फैसला बच्चों के हित में लिया गया है। उन्होंने कहा अगर महिलाओं के पास smartphone होता है तो इसका सबसे अधिक उपयोग बच्चे करते हैं। इससे उनकी आंखें खराब होने का डर रहता है। हालांकि, इस फैसले में पुरुषों के लिए कुछ नहीं कहा गया।
महिलाएं कर रहीं इस फैसले का विरोध
गाजीपुर गांव की महिलाओं और बेटियों ने पंचायत के फैसले का विरोध कर रही हैं। एक महिला ने कहा कि अगर हमें स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा, तो हम वीडियो कॉल कैसे करेंगे, खासकर जब परिवार के लोग दूसरे राज्यों में काम करते हैं? कई महिलाओं ने यह भी कहा कि स्मार्टफोन आज के समय में पढ़ाई और समाजिक संपर्क के लिए सबसे जरूरी है।
ये भी पढ़ें...जयपुर में मकर संक्रांति से पहले 13 दिन तक नहीं उड़ा सकेंगे पतंग, सेना दिवस के चलते लगाई गई रोक, जानें पूरा मामला
पूर्व सरपंच ने फैसला सही बताया
इस फैसले का समर्थन करने वालों में लाछी देवी भी शामिल हैं, जो पूर्व सरपंच रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि घर की महिलाएं घर में ही रहती हैं। लाछी देवी ने कहा मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से महिलाओं और बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए पंचायत का यह फैसला सही है।
ये भी पढ़ें...महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार, दोषी अफसरों पर कार्रवाई नहीं, जांच रिपोर्ट में देरी
विद्यालय में छात्राओं का विरोध
राजस्थान के गाजीपुर गांव के स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं ने भी इस फैसले को गलत बताया है। एक छात्रा ने कहा कि पंचायत को स्मार्टफोन पर पाबंदी लगाने का कोई अधिकार नहीं है। हमारे भाई जो काम के लिए बाहर हैं, उनसे हम वीडियो कॉल कर सकते हैं। यह फैसला हमारे अधिकारों का उल्लंघन है।
स्कूल के प्रिंसिपल भगुराम परमार ने भी इस फैसले को गलत बताया और कहा कि स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से यहां पढ़ाई होती है। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि स्कूल में लड़कियों की संख्या ज्यादा है। गजीपुरा सरपंच छगन ने कहा कि यह फैसला बिल्कुल गलत है। हम समझाने का प्रयास करेंगे।
ये भी पढ़ें...सरकारी स्कूलों में कृष्ण भोग हुआ स्थगित, मिड डे मील योजना आयुक्तालय ने जारी किए आदेश, जानें वजह
सरपंच ने क्या कहा?
गजीपुर गांव के सरपंच छगन ने कहा कि यह फैसला महिलाओं के लिए नुकसानदेह है। हम इसे समझाने की कोशिश करेंगे। सरपंच का कहना है कि महिलाएं स्मार्टफोन( SMART PHONE BAN) का इस्तेमाल पढ़ाई और जरूरी कामों के लिए करती हैं, ऐसे में इस फैसले से वे पिछड़ सकती हैं। गाजीपुर न्यूज
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us