महिलाओं के स्मार्टफोन बैन पर मचा बवाल, पंचायत के इस फरमान पर सभी नाखुश

राजस्थान के जालोर जिले में पंचायत ने महिलाओं के स्मार्टफोन उपयोग पर पाबंदी लगाई है। पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि बच्चों की आंखों की सुरक्षा के लिए यह फैसला लिया गया है। इस फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है।

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Anjali Dwivedi
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पांच प्वाइंट्स में समझें पूरा मामला

  • राजस्थान के जालोर जिले में पंचायत ने महिलाओं के स्मार्टफोन उपयोग पर पाबंदी लगाई।

  • पंचायत का तर्क, मोबाइल से बच्चों की आंखों की सुरक्षा प्रभावित होती है।

  • पूर्व सरपंच और महिलाओं ने फैसले को सही और गलत बताया।

  • स्मार्टफोन का उपयोग पढ़ाई और वीडियो कॉल के लिए आवश्यक बताया गया।

  • सरपंच ने इसे महिलाओं के लिए नुकसानदेह और पिछड़ने वाला कहा।

Rajasthan News:राजस्थान के जालोर जिले में पंचायत ने एक हैरान करने वाला फैसला सुनाया है। पंचायत ने 15 गांवों की महिलाओं और बेटियों को 26 जनवरी से कैमरे वाला स्मार्टफोन इस्तेमाल करने पर पाबंदी लगा दी है। अब महिलाएं इस फैसले का खुलकर विरोध कर रही हैं। यह फैसला चर्चा का विषय बन गया है। आइए जानते हैं क्या है इस विवाद के पीछे का कारण...

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पंचायत अध्यक्ष ने क्या कहा

महिलाओं के स्मार्ट फोन के उपयोग को लेकर समाज अध्यक्ष ने सफाई देते हुए कहा कि यह फैसला बच्चों के हित में लिया गया है। उन्होंने कहा अगर महिलाओं के पास smartphone होता है तो इसका सबसे अधिक उपयोग बच्चे करते हैं। इससे उनकी आंखें खराब होने का डर रहता है। हालांकि, इस फैसले में पुरुषों के लिए कुछ नहीं कहा गया।

महिलाएं कर रहीं इस फैसले का विरोध

गाजीपुर गांव की महिलाओं और बेटियों ने पंचायत के फैसले का विरोध कर रही हैं। एक महिला ने कहा कि अगर हमें स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा, तो हम वीडियो कॉल कैसे करेंगे, खासकर जब परिवार के लोग दूसरे राज्यों में काम करते हैं? कई महिलाओं ने यह भी कहा कि स्मार्टफोन आज के समय में पढ़ाई और समाजिक संपर्क के लिए सबसे जरूरी है।

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पूर्व सरपंच ने फैसला सही बताया

इस फैसले का समर्थन करने वालों में लाछी देवी भी शामिल हैं, जो पूर्व सरपंच रह चुकी हैं। उन्होंने कहा कि घर की महिलाएं घर में ही रहती हैं। लाछी देवी ने कहा मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से महिलाओं और बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए पंचायत का यह फैसला सही है।

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विद्यालय में छात्राओं का विरोध

राजस्थान के गाजीपुर गांव के स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं ने भी इस फैसले को गलत बताया है। एक छात्रा ने कहा कि पंचायत को स्मार्टफोन पर पाबंदी लगाने का कोई अधिकार नहीं है। हमारे भाई जो काम के लिए बाहर हैं, उनसे हम वीडियो कॉल कर सकते हैं। यह फैसला हमारे अधिकारों का उल्लंघन है।

स्कूल के प्रिंसिपल भगुराम परमार ने भी इस फैसले को गलत बताया और कहा कि स्मार्ट क्लासेस के माध्यम से यहां पढ़ाई होती है। प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि स्कूल में लड़कियों की संख्या ज्यादा है। गजीपुरा सरपंच छगन ने कहा कि यह फैसला बिल्कुल गलत है। हम समझाने का प्रयास करेंगे।

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सरपंच ने क्या कहा?

गजीपुर गांव के सरपंच छगन ने कहा कि यह फैसला महिलाओं के लिए नुकसानदेह है। हम इसे समझाने की कोशिश करेंगे। सरपंच का कहना है कि महिलाएं स्मार्टफोन( SMART PHONE BAN) का इस्तेमाल पढ़ाई और जरूरी कामों के लिए करती हैं, ऐसे में इस फैसले से वे पिछड़ सकती हैं। गाजीपुर न्यूज

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