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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में पंचायत चुनाव समय पर नहीं होने के कारण अब इसका सीधा असर ग्रामीण विकास पर पड़ने लगा है। पंचायत समिति प्रधानों ने इस मुद्दे को लेकर जयपुर में मोर्चा खोला है और दो सौ से ज्यादा प्रधान राजधानी में डेरा डाले हुए हैं। उनकी मांग है कि उन्हें प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाए, क्योंकि वर्तमान प्रशासनिक व्यवस्था कागजी औपचारिकताओं तक ही सीमित रह गई है।
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केंद्र सरकार ने रोक दिया फंड
पंचायत चुनाव न होने के कारण सबसे बड़ा झटका वित्तीय मोर्चे पर आया है। केंद्र सरकार ने राज्य को 3100 करोड़ का फंड रोक दिया है, जिसमें 2024-25 के वित्तीय वर्ष की पहली किस्त 1300 करोड़ और दूसरी किस्त 1800 करोड़ शामिल हैं। यह राशि जून-जुलाई और नवंबर में जारी होने वाली थी।
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...तो जारी नहीं होगा फंड
वित्त आयोग की गाइडलाइंस के अनुसार, जब तक चुने हुए जनप्रतिनिधि नहीं होंगे, तब तक फंड जारी नहीं किया जा सकता। इस कारण अब तक राजस्थान को एक भी रुपया नहीं मिला है। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों की रफ्तार ठप हो गई है।
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ग्रामीण विकास पर पड़ा असर
चुनाव की देरी के कारण पंचायतों की भूमिका सीमित हो गई है और विकास कार्यों की गति धीमी हो गई है। कई ग्राम पंचायतों में पिछले एक साल से विकास कार्य पूरी तरह से रुके हुए हैं। ग्राम पंचायतों में पेयजल, शौचालय निर्माण, सड़कें और सार्वजनिक स्थानों की सफाई जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रभावित हुई हैं।
लाखों लोगों को मानदेय नहीं मिला
सरपंच संघ का कहना है कि पिछले डेढ़ साल से केंद्र से कई योजनाओं की राशि नहीं आई है। इसकी वजह से गांवों में बुनियादी ढांचे की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। इस समय सवा लाख पंच और 11 हजार से ज्यादा सरपंचों को मानदेय नहीं मिला है, जिससे उनकी स्थिति भी दयनीय हो गई है।
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चुनाव की देरी और भविष्य की स्थिति
राज्य सरकार ने वन स्टेट वन इलेक्शन लागू करने की अपनी मंशा पहले ही जाहिर की थी और राज्य निर्वाचन आयोग इसी दिशा में काम कर रहा है। हालांकि एसआईआर रिपोर्ट और ओबीसी प्रतिनिधित्व आयोग की रिपोर्ट लंबित होने के कारण पंचायत और निकाय चुनाव अब मई-जून तक टलने की संभावना है।
प्रशासनिक ढांचे पर असर
पंचायत चुनावों में देरी के कारण प्रशासनिक ढांचा कमजोर हुआ है और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। केंद्र का फंड जारी न होने से स्थिति और भी कठिन हो गई है। इसके चलते गांवों में बुनियादी सुविधाओं का भी संकट पैदा हो गया है। विकास कार्य नहीं होने के कारण लोगों को भी संकट का सामना करना पड़ रहा है।
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