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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में फर्जी डिग्री और दस्तावेजों के जरिए नौकरी पाने वाले गिरोहों पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों द्वारा जारी किए गए डिग्री, डिप्लोमा, मार्कशीट और माइग्रेशन सर्टिफिकेट पर अनिवार्य रूप से QR कोड अंकित किया जाएगा। यह कदम भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने और फर्जी दस्तावेजों की पहचान में मदद करने के लिए उठाया गया है।
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क्या है QR कोड का उद्देश्य?
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने 21 अगस्त को सरकार को यह सुझाव दिया था कि विश्वविद्यालयों के द्वारा जारी किए गए सभी दस्तावेजों पर QR कोड अंकित किया जाए। QR कोड का उद्देश्य यह है कि किसी भी अभ्यर्थी द्वारा पेश किए गए दस्तावेज को आसानी से और जल्दी सत्यापित किया जा सके। इससे विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से एक क्लिक पर अभ्यर्थी की डिग्री और प्रमाणपत्र की पुष्टि की जा सकेगी।
डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में होगी तेजी
इस नई व्यवस्था से भर्ती प्रक्रिया में तेजी आएगी, क्योंकि किसी भी दस्तावेज को सत्यापित करने के लिए लंबी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होगी। अब QR कोड को स्कैन करते ही संबंधित विश्वविद्यालय के डाटाबेस से रिकॉर्ड का मिलान हो जाएगा। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सकेगा।
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फर्जी दस्तावेजों पर लगाम
QR कोड की व्यवस्था लागू होने के बाद उम्मीदवारों को फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत करने का मौका कम मिलेगा। पहले भर्ती प्रक्रिया में कई बार उम्मीदवार बैक डेट में बनी फर्जी डिग्री पेश करते थे, जिससे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में समय लग जाता था। अब यह समस्या खत्म हो जाएगी क्योंकि हर दस्तावेज का डिजिटल रूप से सत्यापन हो सकेगा।
नई व्यवस्था के फायदे
डिजिटल वेरिफिकेशन : डिग्री और प्रमाण-पत्र पर छपे QR कोड को स्कैन करते ही, संबंधित अभ्यर्थी का रिकॉर्ड विश्वविद्यालय के डाटाबेस से मिलान किया जा सकेगा। यह डिजिटल वेरिफिकेशन प्रक्रिया पारदर्शिता को बढ़ावा देगी और भर्ती प्रक्रिया को और भी तेज बनाएगी।
स्टैंडर्ड एनरोलमेंट सिस्टम : राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए हैं कि वे एक मानक एनरोलमेंट (नामांकन) व्यवस्था लागू करें। अब हर वर्ष और क्रमवार नामांकन नंबर दिए जाएंगे, जिससे रिकॉर्ड में कोई हेराफेरी नहीं की जा सकेगी।
सभी प्रमाण-पत्रों पर लागू होगा यह नियम : यह नया नियम केवल डिग्री तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रोविजनल सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अन्य प्रमाण पत्रों पर भी लागू होगा। इससे सभी दस्तावेजों की प्रमाणिकता का सत्यापन आसान हो जाएगा।
भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता
RPSC के सचिव रामनिवास मेहता ने बताया कि इस नई व्यवस्था से न केवल भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी, बल्कि दस्तावेजों की प्रमाणिकता का डिजिटल वेरिफिकेशन होने से भर्तियों में भी तेजी आएगी। यह कदम भर्ती परीक्षाओं में फर्जी दस्तावेजों की पहचान और कार्रवाई के लिए बेहद अहम साबित होगा।
अब हर डिग्री पर होगा QR कोड
- QR कोड की व्यवस्था लागू होने से उम्मीदवारों द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों का सत्यापन तुरंत होगा, जिससे फर्जी दस्तावेजों की पहचान और कार्रवाई करना आसान होगा।
- QR कोड को स्कैन करते ही संबंधित विश्वविद्यालय का डाटाबेस उम्मीदवार के रिकॉर्ड से मिलान कर लेगा, जिससे दस्तावेजों का सत्यापन तुरंत किया जा सकेगा।
- यह व्यवस्था केवल डिग्री तक सीमित नहीं रहेगी। यह प्रोविजनल सर्टिफिकेट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अन्य प्रमाण-पत्रों पर भी लागू होगी।
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