अब रात में काम नहीं कर पाएंगे 14-18 साल के युवक-युवतियां, सुरक्षा को ध्यान में रखकर किए कड़े प्रावधान

राजस्थान में किशोरों के लिए रात में काम करने पर अब प्रतिबंध है। भजनलाल सरकार के नए कानून को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब 14-18 साल के किशोर रात में काम नहीं कर सकेंगे। ऐसा करना अब अपराध माना जाएगा।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में किशोरों के लिए रात में काम करना अब अपराध माना जाएगा। राजस्थान सरकार ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नया कानून लागू किया है, जिसके तहत 14 से 18 वर्ष के किशोर रात के समय काम नहीं कर सकेंगे। राज्यपाल ने इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है और यह अब कानून का रूप ले चुका है। अब रात में काम नहीं कर पाएंगे 14-18 साल के युवक-युवतियां।

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काम करने के समय पर नई सीमा

भजनलाल सरकार ने किशोरों की सुरक्षा और भविष्य को ध्यान में रखते हुए नया कानून लागू किया है। पहले 12 से 15 वर्ष की आयु के किशोरों के लिए रात में काम करने की सीमा थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 14 से 18 वर्ष कर दिया गया है। इसका उद्देश्य किशोरों को रात की शिफ्ट में काम करने से रोकना है, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े।

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राज्यपाल की मंजूरी से बना कानून

राज्यपाल ने राजस्थान दुकान एवं वाणिज्य संस्थान (संशोधन) अध्यादेश 2025 को मंजूरी दी है। इस फैसले के बाद यह अध्यादेश कानून का रूप ले चुका है। सरकार ने इस मुद्दे को लेकर तुरंत कार्रवाई की और राज्यपाल से स्वीकृति प्राप्त की। इस कानून के तहत किशोरों को रात में काम करने से रोकने के लिए कई कड़े प्रावधान किए गए हैं।

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3 घंटे से अधिक काम नहीं होगा

नए कानून के तहत 14 से 18 वर्ष के किशोर अब एक दिन में अधिकतम 3 घंटे ही काम कर सकेंगे। यह सीमा किशोरों की शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तय की गई है। इससे पहले, 12 से 15 वर्ष के किशोरों के लिए यह सीमा तय की गई थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 14 से 18 वर्ष कर दिया गया है। किसी भी कामकाजी दिन के छह घंटे के बाद कर्मचारियों को आधे घंटे का विश्राम देना अनिवार्य होगा।

किसी भी प्रतिष्ठान में आधे घंटे का विश्राम

इस कानून के अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया गया है कि कामकाजी स्थानों पर कर्मचारियों को हर छह घंटे के काम के बाद आधे घंटे का विश्राम मिलेगा। इस प्रावधान के साथ, किशोरों के लिए काम करने की परिस्थितियां अधिक सुरक्षित और स्वास्थ्यप्रद हो जाएंगी।

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विधानसभा सत्र के बिना अध्यादेश लागू

सरकार ने इस अध्यादेश को विधानसभा सत्र के बिना ही लागू किया था, क्योंकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का कहना था कि ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो गई थीं, जिनके कारण यह कदम तत्काल उठाना जरूरी था। यह निर्णय सरकार द्वारा दी गई तात्कालिक आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए लिया गया। राज्यपाल ने भी इसे मंजूरी दे दी, जिससे यह अब कानून का हिस्सा बन गया है।

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सामाजिक-कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण कदम

यह कदम किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह कानून किशोरों के कामकाजी घंटों को सीमित करके उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह कदम सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह किशोरों के शारीरिक, मानसिक और शैक्षिक विकास को प्राथमिकता देती है।

मुख्य बिंदु

  • नया कानून 14 से 18 वर्ष के किशोरों को रात में काम करने से रोकता है। यह उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है।
  • किशोरों को एक दिन में अधिकतम तीन घंटे काम करने की अनुमति है। यह समय उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।
  • हर छह घंटे के काम के बाद कर्मचारियों को आधे घंटे का विश्राम अनिवार्य रूप से दिया जाएगा। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी। 
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