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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराए जाएं या नहीं, इस बारे में राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी हो गई है।
हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। जल्द ही छात्रसंघ चुनाव बैन मामले में हाई कोर्ट के फैसला आ जाएगा। हाई कोर्ट के जस्टिस समीर जैन की अदालत में जय राव व अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई हुई।
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कोर्ट ने की तल्ख टिप्पणी
सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि इस समय राजस्थान यूनिवर्सिटी अर्श से फर्श का सफर तय कर रही है। लोकसभा-विधानसभा चुनाव में आरयू अपने भवनों को दो महीने के लिए किराए पर देती है। क्या उस समय स्टूडेंट्स की पढ़ाई बाधित नहीं होती है?
सत्र का कैलेंडर समय-सारणी के अनुसार लागू नहीं किया जाता है। छात्र नेताओं और छात्रों को हाई कोर्ट से छात्रसंघ चुनाव होने की उम्मीद बंधी है।
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चेक एंड बैलेंस के लिए चुनाव जरूरी
हाई कोर्ट में दायर याचिकाओं में याचिकाकर्ताओं के वकील शांतनु पारीक ने कहा कि यूनिवर्सिटी ऑफ केरल के जजमेंट में छात्रसंघ चुनाव को मौलिक अधिकार माना गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बनी लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार सत्र शुरू होने के 6 से 8 सप्ताह में छात्रसंघ चुनाव कराना जरूरी है।
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चुनाव कराना जरूरी
राजस्थान सरकार संवैधानिक प्रावधानों की पालना कराने में फेल हुई है। यूनिवर्सिटी प्रशासन और स्टूडेंट्स के बीच छात्र नेता एक सेतु के रूप में काम करता है। यूनिवर्सिटी प्रशासन को सही तरीके से चलाने के लिए चेक एंड बैलेंस होना भी जरूरी है। छात्र प्रतिनिधि इसके लिए काम करता है। इसलिए चुनाव कराना जरूरी है।
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छात्रसंघ चुनाव मौलिक अधिकार नहीं
सरकार की ओर से बहस करते हुए महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव छात्रों का मौलिक और कानूनी अधिकार नहीं है। जिस लिंगदोह कमेटी की बात कही जा रही है, वो सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत बनी थी।
अब वे मूल याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित नहीं हैं। ऐसे में आज के समय लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को लागू नहीं माना जा सकता है। वहीं इसके लिए याचिका नहीं लगाई जा सकती है।
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सरकार चुनाव कराने से बच रही
राजस्थान में बंद पड़े छात्रसंघ चुनाव को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने अपना फैसला रिजर्व कर दिया। छात्र नेता शुभम रेवाड़ का दावा है कि हाई कोर्ट का फैसला छात्र हित में आएगा और सरकार को छात्रसंघ चुनाव करवाने ही होंगे।
वहीं इस मामले में छात्र राजनीति से जुड़े संगठन भी मान रहे हैं कि अदालत का रुख देखते हुए बहाली की संभावना मजबूत हो गई है। यह फैसला प्रदेश के लाखों छात्रों की उम्मीदों को नई दिशा देगा।
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