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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित कृष्णधाम सांवलियाजी मंदिर का भंडार हर माह खोला जाता है और वहां प्राप्त राशि की गणना की जाती है। मंदिर में भंडार राशि की अंतिम और नवें चरण की गणना पूरी की गई। इस बार कुल 28 करोड़ 37 लाख 45 हजार 510.79 रुपए की नकदी प्राप्त हुई। साथ ही, मंदिर में 143 किलो 780 ग्राम चांदी और 1 किलो 835 ग्राम 590 मिलीग्राम सोने की भी प्राप्ति हुई।
सांवलिया सेठ मंदिर का भंडार हर महीने खोला जाता है और राशि की गणना की जाती है। इस बार भंडार की राशि की गणना 22 अगस्त से शुरू हुई। यह कुल नौ चरणों में की गई। इसमें भंडार, भेंट कक्ष (Donation Room), कार्यालय की प्राप्त राशि और ऑनलाइन प्राप्त राशि भी शामिल थी।
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मंदिर की मुख्य निष्पादन अधिकारी, एडीएम प्रभा गौतम ने इस गणना को लेकर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस बार की गणना में कुल 28 करोड़ 37 लाख 45 हजार 510.79 रुपये की नकदी प्राप्त हुई है। इसके अलावा 143 किलो 780 ग्राम चांदी और 1 किलो 835 ग्राम 590 मिलीग्राम सोना भी प्राप्त हुआ है। प्रभा गौतम ने यह भी कहा कि गणना के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं पाई गई, और यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही।
सांवलियाजी मंदिर का इतिहास और महत्व
सांवलियाजी मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और विशेष रूप से उनकी पवित्रता और कृपा की याद में यहां पूजा की जाती है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है, और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।
यह मंदिर खासतौर पर अपने भव्य समारोहों और पूजा विधियों के लिए प्रसिद्ध है। श्रद्धालु यहां आकर भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं, और उनके दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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सांवलियाजी मंदिर में भंडार राशि की गणना की प्रक्रिया क्या है?
मंदिर में भंडार राशि की गणना एक विस्तृत और पारदर्शी प्रक्रिया होती है, जिसे पूरी सावधानी के साथ किया जाता है। प्रत्येक महीने मंदिर के भंडार को खोला जाता है और उस महीने में प्राप्त धन और वस्तुओं की पूरी जांच की जाती है। इस प्रक्रिया में विभिन्न विभागों और अधिकारियों की टीम शामिल होती है, जो इस बात का ध्यान रखती है कि गणना सही तरीके से की जाए।
सांवलियाजी मंदिर में लोग दान क्यों करते हैं?
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सांवलियाजी मंदिर में भंडार खोलने की प्रक्रिया क्या है?
सांवलिया सेठ मंदिर की दानपेटी को हर महीने खोला जाता है, और इस दौरान वहां जमा की गई राशि की गणना की जाती है। भंडार में जमा राशि, चांदी, सोना, नकद धन, भेंट और दान जैसी सभी चीजों की गणना की जाती है। यह पूरी प्रक्रिया सार्वजनिक होती है, और श्रद्धालुओं को यह सुनिश्चित करने का मौका मिलता है कि उनके द्वारा दान की गई राशि सही तरीके से इस्तेमाल हो रही है।
सांवलिया सेठ मंदिर क्या है?श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से सांवलियाजी की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का भी अपना इतिहास है। सन 1840 में तत्कालीन मेवाड़ राज्य में उदयपुर से चित्तौड़ जाने के लिए बनने वाली सड़क के निर्माण में बागुन्ड गांव में बाधा बन रहे बबूल के पेड़ को काटकर खोदने पर वहां से भगवान कृष्ण की सांवलिया स्वरूप 3 प्रतिमाएं निकली थीं। 1978 में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया था। इस स्थल पर अब एक अत्यंत ही नयनाभिराम एवं विशाल मंदिर बन चुका है। 36 फुट ऊंचा एक विशाल शिखर बनाया गया है जिस पर फरवरी 2011 में स्वर्णजड़ित कलश व ध्वजारोहण किया गया। बता दे कि सांवलियाजी मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी और डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। प्रसिद्ध सांवलियाजी मंदिर अपनी सुन्दरता और वैशिष्ट्य के कारण हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। | |
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सांवलियाजी मंदिर में नियमित भंडार गणना
सांवलियाजी मंदिर में प्रत्येक महीने एक नियमित प्रक्रिया के तहत भंडार खोलने की व्यवस्था की जाती है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि मंदिर की प्राप्त राशि का उपयोग सही दिशा में हो, हर महीने गणना की जाती है। यहां तक कि ऑनलाइन दान की राशि भी गणना में शामिल की जाती है, जो मंदिर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। हर माह सांवलिया सेठ को करोड़ों का दान और सोना-चांदी भेंट आती है।
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श्रद्धालुओं का योगदान
सांवलिया सेठ मंदिर में चढ़ावा के रूप में प्राप्त धन का अधिकांश हिस्सा मंदिर के कार्यों और सेवा में उपयोग किया जाता है। श्रद्धालु अपनी श्रद्धा और विश्वास से मंदिर को दान करते हैं, और इन दानों का उपयोग समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में किया जाता है। यह दान मंदिर के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है, जिससे मंदिर की सेवा कार्यों में निरंतरता बनी रहती है।
यह मंदिर समाज के विभिन्न वर्गों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसके द्वारा किए जाने वाले कार्यों में गरीबों की सहायता, धार्मिक कार्यों के आयोजन, और मंदिर का रखरखाव शामिल है।
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मंदिर की आय और व्यय
चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर की आय मुख्य रूप से श्रद्धालुओं द्वारा किए गए दान और भेंट से आती है। यह आय मंदिर के रखरखाव, धार्मिक गतिविधियों, सामाजिक सेवा और अन्य कार्यक्रमों के लिए उपयोग की जाती है। मंदिर की आय का एक हिस्सा मंदिर के संचालन में खर्च होता है, जबकि कुछ राशि विभिन्न सामाजिक कार्यों में भी खर्च की जाती है। भगवान सांवलिया सेठ का मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह समाज सेवा का भी एक केंद्र बन चुका है।
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