वर्ल्ड कप में जाने से पहले शेफाली ने मांगी थी मनसा माता से मन्नत, पूरी होने पर दरबार में लगाई धोक

राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले के दहमी गांव की रहने वाली शेफाली का परिवार सालों पहले हरियाणा के रोहतक में शिफ्ट हो गया था, लेकिन गांव में उनके परिवार के चाचा-ताऊ व अन्य लोग आज भी रहते हैं।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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सुनील जैन @ अलवर

महिला वर्ल्ड कप 2025 में अंतिम दो मैचों में अचानक शामिल होकर भारत को जीत दिलाने वाली शेफाली वर्मा अपने गांव राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले के दहमी गांव में पहुंची। वहां उन्होंने अपने परिवार के साथ कुलदेवी मनसा माता की पूजा-अर्चना की। उसके बाद माता को 56 भोग का प्रसाद का भोग लगाया। 

कुलदेवी के चरणों में रखे मेडल

शेफाली ने जीत के बाद मिले मेडल को अपनी कुलदेवी के चरणों में रखकर आशीर्वाद लिया। इस दौरान शेफाली ने देश की लाखों युवतियों को संदेश देते हुए कहा कि उनको खुद पर विश्वास करना होगा और कठोर मेहनत करनी होगी। वो हमेशा अपने देश के लिए खेलती हैं। शेफाली की बदौलत भारत ने फाइनल जीत कर इतिहास रच दिया।

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शेफाली की जीत में अहम भूमिका

कोटपूतली-बहरोड़ जिले के दहमी गांव की रहने वाली शेफाली का परिवार सालों पहले गांव से हरियाणा के रोहतक में शिफ्ट हो गया था, लेकिन गांव में उनके परिवार के चाचा-ताऊ व अन्य लोग आज भी रहते हैं। वो हमेशा त्योहार और शादी-विवाह के मौके पर गांव में आती रहती हैं। वर्ल्ड कप में शेफाली को प्लेयर ऑफ द मैच का अवॉर्ड मिला। टीम को वर्ल्ड कप दिलवाले में शेफाली की अहम भूमिका रही। 

माता को भेंट अर्पित की

शेफाली पूरे परिवार के साथ अपनी कुलदेवी के दर्शन करने के लिए पहुंची। शेफाली के परिवार ने माता को चांदी का छत्र, हार, चांदी की पाइजेब, सोने की लॉन्ग, चुटकी, नए नोटों की माला, लाल रंग की साड़ी, श्रीफल और मुकुट भेंट किया। इस दौरान शेफाली के साथ मां परवीन एवं पिता संजीव वर्मा सहित पूरा परिवार मौजूद था। शेफाली ने वहां लोगों को अपने हाथों से खाना खिलाया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

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मैंने डर से आगे की सोच रखी

शेफाली ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया को हराने के बाद उनकी टीम में जबरदस्त कॉन्फिडेंस आया, क्योंकि हमेशा ऑस्ट्रेलिया उनको हराकर जाती थी। उन्होंने कहा कि साउथ अफ्रीका ने फाइनल में कई बार इंडिया को हराया है। इसलिए किसी भी टीम को उन्होंने हल्के में नहीं लिया। उन्होंने अपनी स्ट्रैंथ को बैक किया और प्रत्येक खिलाड़ी अपना बेस्ट देने का प्रयास कर रहा था। शेफाली ने कहा कि यह हर फियरलेस की कहानी है। मैं फियरलेस खिलाड़ी हूं और हमेशा अपनी टीम की सोचती हूं। 

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बहुत तकलीफ में बीता पिछला साल

कभी मैंने अपने बारे में नहीं सोचा और मेरी टीम को जो चाहिए, वो मैं देती हूं। फिर चाहे मैं जल्दी आउट हो जाऊं। उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसलिए मैं अलग दिखती हूं। मेरे परिवार ने भी मुझे यही सिखाया है कि हमेशा अलग दिखना है और खुद के लिए ही नहीं सोचकर पूरी टीम के लिए सोचना है।

मेरा देश भारत मेरे लिए सबसे पहले है। मैं अपने आपको नहीं रखती हूं। शेफाली ने बताया कि उसका बीता एक साल खासा कठनाई भरा रहा। वो हमेशा से ही मनसा माता का आशीर्वाद लेने आती रही हैं। 

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एक साल खुद पर काम किया

उन्होंने एक साल में खुद पर बहुत काम किया। फिजिकल और खेल पर खास ध्यान दिया। शेफाली ने सब चीजों को त्याग दिया था और केवल अपना खेल बेहतर करने का प्रयास कर रही थी। किसी भी चीज पर ध्यान नहीं दिया और सबके आशीर्वाद और कठोर मेहनत देखकर माता रानी ने मुझे आशीर्वाद दिया व भारतीय टीम में पहुंचाया। 

मेहनत जरूर रंग लाएगी

उसने कहा कि मेरा परिवार और मैं साधारण इंसान है। जब मैं अपने गांव लौटी तो पूरे रोहतक के लोगों ने उनका स्वागत किया। लड़कियों को संदेश देते हुए शेफाली ने कहा कि जो लड़कियां खेल को चुनती हैं। वो लोग हार्ड वर्क करें और खुद पर विश्वास करें। सच्ची मेहनत हमेशा रंग लाएगी। फिर चाहे कोई भी फील्ड हो। सभी को अपने आप पर विश्वास रखना चाहिए।

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मिल गई टीम इंडिया में जगह

शेफाली को सेमीफाइनल से पहले प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली थी, लेकिन बाद में शेफाली को टीम में शामिल किया गया। उन्होंने सेमीफाइनल से पहले दो अभ्यास सत्रों में हिस्सा लिया था। उसके बाद उन्होंने साउथ अफ्रीका के साथ खेले गए फाइनल में 52 रन से टीम को जीत दिलवाई।

शेफाली ने 36 रन देकर दो विकेट लिए थे। शेफाली ने 15 साल की उम्र में क्रिकेट में डेब्यू किया था। 2019 के टी 20 वर्ल्ड कप से पहले शेफाली की टीम इंडिया में एंट्री हुई थी।

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