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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान में मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री सांवलियाजी मंदिर में मासिक भंडार गिनती का आखिरी दौर पूरा हुआ। जिसमें कुल 44 लाख 24 हजार 476 रुपए नकद गिने गए। इसके साथ ही चारों चरणों को जोड़ने पर मंदिर को कुल 18 करोड़ 75 लाख 44 हजार 476 रुपए का नकद भंडार प्राप्त हुआ। इसके अलावा ऑनलाइन और मनीऑर्डर से 4 करोड़ 58 लाख 21 हजार 846 रुपए की प्राप्ति हुई, जिससे इस बार कुल चढ़ावे की राशि 23 करोड़ 33 लाख 66 हजार 322 रुपए रही। हर महीने अमावस्या के आसपास मंदिर के भंडार खोले जाते हैं, और भक्तों द्वारा दान की गई राशि का हिसाब रखा जाता है।
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भंडार खोलने की परंपरा
सांवलियाजी मंदिर में हर महीने अमावस्या से पहले चतुर्दशी के दिन भंडार खोलने की परंपरा है। इस परंपरा के अनुसार, 20 सितंबर 2025 को इस बार भंडार खोला गया। जैसे ही गिनती शुरू हुई, श्रद्धालुओं की आस्था का रूप साफ-साफ दिखने लगा। पहले राउंड में ही 9 करोड़ 70 लाख रुपए नकद प्राप्त हुए। इसके बाद अमावस्या के दिन लाखों श्रद्धालु मंदिर परिसर में पहुंचे। भीड़ की वजह से गिनती रोक दी गई ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न फैले। इसके बाद सोमवार को भी गिनती नहीं हो सकी क्योंकि उस दिन नवरात्रि की शुरुआत थी और बैंक अवकाश था। इस कारण से भंडार गिनने की प्रक्रिया में कुछ विलंब हुआ, लेकिन फिर भी यह प्रक्रिया शुरू हो गई।
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भंडार गिनने की प्रक्रिया के चरण
पहले चरण की गिनती
भंडार खोलने के पहले ही दिन, श्रद्धालुओं का उत्साह साफ दिखाई दिया। पहले ही चरण में 9 करोड़ 70 लाख रुपए नकद गिने गए। यह राशि इस बात का प्रमाण थी कि श्रद्धालुओं का मंदिर में अटूट विश्वास है और वे अपनी आस्था के अनुसार दान करते हैं।
दूसरे चरण की गिनती
अगले दिन, अमावस्या के दिन गिनती फिर से शुरू की गई। इस दौरान मंदिर प्रशासन और बैंक अधिकारियों की देखरेख में गिनती की गई। दूसरे चरण में 6 करोड़ 95 लाख 50 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई।
इस दौर में सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम थे, ताकि किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो। मंदिर में लाखों भक्त जुटे थे, जिनकी श्रद्धा और विश्वास को देखकर यह माना जा सकता था कि इस प्रकार के दान का यह क्रम सालों से चला आ रहा है।
तीसरे चरण की गिनती
तीसरे चरण में भी गिनती लगातार जारी रही। बुधवार को, पूरे दिन नोटों की गिनती हुई, जिसमें 1 करोड़ 65 लाख 70 हजार रुपए की राशि प्राप्त हुई। अब तक, इन तीन राउंडों में कुल 18 करोड़ 31 लाख 20 हजार रुपए तक पहुंच गए थे।
चौथे और अंतिम चरण की गिनती
गुरुवार को, भंडार की अंतिम राउंड की गिनती में 44 लाख 24 हजार 476 रुपए और मिले। इस प्रकार, चारों चरणों के बाद कुल 18 करोड़ 75 लाख 44 हजार 476 रुपए की प्राप्ति हुई, जो कि एक रिकॉर्ड है। यह मंदिर के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था को दर्शाता है।
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सांवलिया सेठ मंदिर का इतिहास क्या है?श्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से सांवलिया सेठ की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का भी अपना इतिहास है। सन 1840 में तत्कालीन मेवाड़ राज्य में उदयपुर से चित्तौड़ जाने के लिए बनने वाली सड़क के निर्माण में बागुन्ड गांव में बाधा बन रहे बबूल के पेड़ को काटकर खोदने पर वहां से भगवान कृष्ण की सांवलिया स्वरूप 3 प्रतिमाएं निकली थीं। 1978 में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया था। इस स्थल पर अब एक अत्यंत ही नयनाभिराम एवं विशाल मंदिर बन चुका है। 36 फुट ऊंचा एक विशाल शिखर बनाया गया है जिस पर फरवरी 2011 में स्वर्णजड़ित कलश व ध्वजारोहण किया गया। बता दे कि सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी और डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर अपनी सुन्दरता और वैशिष्ट्य के कारण हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। | |
पाव भर सोना और 126 किलो चांदी भी मिली
नकद राशि के साथ-साथ इस बार सोना और चांदी का चढ़ावा भी अत्यधिक मिला। भंडार से 200 ग्राम और भेंट कक्ष से 54 ग्राम 100 मिलीग्राम सोना प्राप्त हुआ। कुल मिलाकर 254 ग्राम 100 मिलीग्राम सोना चढ़ावा के रूप में मंदिर को मिला।
इसके अलावा, दानपेटी से 57 किलो 200 ग्राम और भेंट कक्ष से 69 किलो 674 ग्राम 500 मिलीग्राम चांदी प्राप्त हुई। इस तरह कुल 126 किलो 874 ग्राम 500 मिलीग्राम चांदी मंदिर को दान स्वरूप मिली।
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श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास
चित्तौड़गढ़ का सांवलिया सेठ मंदिर को मेवाड़ का कृष्णधाम कहा जाता है। यहां न केवल राजस्थान बल्कि देशभर से भक्त आते हैं। प्रत्येक दिन हजारों श्रद्धालु मंदिर में माथा टेकने के लिए आते हैं और अपनी आस्था के अनुसार दान चढ़ाते हैं। सांवलिया सेठ को करोड़ों का दान और सोना-चांदी आती है। कुछ श्रद्धालु सिक्के डालते हैं, कुछ नोट चढ़ाते हैं और कई भक्त सोने-चांदी के आइटम्स अर्पित करते हैं। सांवलिया सेठ मंदिर में चढ़ावा बढ़ता है और यह दर्शाता है कि यहां श्रद्धा का स्तर कितना अधिक है। भक्तों का विश्वास है कि सांवलियाजी के दरबार में उनकी हर मुराद पूरी होती है। जीवन के संकट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि मिलती है। यही कारण है कि यहां पर हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है।
सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं व्यापारी
मान्यता है कि जो भगवान सांवलिया सेठ का मंदिर में भक्त खजाने में जितना देते हैं सांवलिया सेठ उससे कई गुना ज्यादा भक्तों को वापस लौटाते हैं। व्यापार जगत में उनकी ख्याति इतनी है कि लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए उन्हें अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं। यह मान्यता पूरे देश के व्यापारियों में है। राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग विशेष कर व्यापारी यहां आते हैं। सांवलिया सेठ मंदिर की खासियत यह है कि यह व्यापारी यहां के श्रीकृष्ण के विग्रह को अपने व्यापार में साझेदार तक बनाते हैं और भगवान लाभ का हिस्सेदार बना कर उनके हिस्से की राशि यहां चढ़ा कर जाते है। गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल तक से लोग अपनी कामनाओं को लेकर भगवान सांवरिया सेठ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रतिदिन हजारों लोग भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं।