भारत का तीसरा और दुनिया का पांचवां अक्षरधाम मंदिर जोधपुर में, आज होगा लोकार्पण

राजस्थान के जोधपुर में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का लोकार्पण 25 सितंबर 2025 की शाम को होगा। TheSootr में जानें मंदिर की खासियत और निर्माण में लगे सात साल के बारे में।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) शहर में आज, 25 सितंबर 2025 की शाम को स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर (Swaminarayan Akshardham Temple) का लोकार्पण किया जाएगा। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन 10 दिनों तक किया गया था, जो आज समाप्त हुआ। यह मंदिर अपने भव्य आकार और अद्वितीय वास्तुकला के लिए खास पहचान बना चुका है। आज सुबह 7 बजे से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान हो रहा है, और शाम 5 बजे मंदिर का विधिवत लोकार्पण होगा, जिसमें कई गणमान्य अतिथि हिस्सा लेंगे। यह भारत का तीसरा और दुनिया का पांचवां अक्षरधाम मंदिर है।

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स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर की खासियत

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर जोधपुर के सूरसागर क्षेत्र में स्थित कालीबेरी इलाके में बना है। यह मंदिर भारत का तीसरा अक्षरधाम मंदिर (Third Akshardham Temple in India) है, जबकि विश्व में यह पाँचवां अक्षरधाम मंदिर (Fifth Akshardham Temple in the World) है। इस मंदिर का निर्माण कार्य पिछले सात वर्षों में किया गया और इसमें लगभग 500 शिल्पकारों ने मिलकर मंदिर की भव्यता को आकार दिया। शिल्पकारों का ये दल विभिन्न स्थानों से आया था, जैसे कि पिंडवाड़ा, सागवाड़ा, भरतपुर, जोधपुर, जयपुर और अन्य शहरों से। मंदिर का निर्माण पूरी तरह से जोधपुर के पत्थरों (Jodhpur Stones) से किया गया है, जिससे इसकी संरचना में एक विशिष्ट राजस्थान की छाप देखने को मिलती है।

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मंदिर का निर्माण: सात साल की मेहनत

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर के निर्माण में सात साल (Seven Years) का समय लगा। यह विशाल और भव्य मंदिर 42 बीघा जमीन पर फैला हुआ है। मंदिर के आसपास बगीचे में 500 पेड़ और 5500 पौधे (500 Trees and 5500 Plants) लगाए गए हैं, जो उसकी प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाते हैं। मंदिर में 1,11,111 क्यूबिक फीट (1,11,111 Cubic Feet) बलुआ पत्थर और संगमरमर का इस्तेमाल किया गया है। इसमें धातु, सीमेंट और गारे (Metal, Cement, and Mortar) का प्रयोग न करते हुए इंटरलॉकिंग पत्थर प्रणाली (Interlocking Stone System) का उपयोग किया गया है, जो इसके निर्माण में एक अद्वितीय तकनीक का प्रतीक है।

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मंदिर की वास्तुकला: ऐतिहासिक और आधुनिक का संगम

मंदिर का डिजाइन राजस्थान और गुजरात की प्रचलित नागर शैली (Nagara Style) पर आधारित है, जो 10वीं और 13वीं शताब्दी के बीच विकसित हुई थी। इसे मारू-गुर्जर (Maru-Gurjar) या सोलंकी शैली (Solanki Style) के रूप में भी जाना जाता है। इस शैली में मंदिरों की भव्यता और जटिल कारीगरी देखने को मिलती है। स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का मुख्य मंदिर 191 फीट लंबा, 181 फीट चौड़ा और 111 फीट ऊँचा है। मंदिर की चारदीवारी 1100 फीट की है और इसमें पाँच प्रमुख शिखर और 14 छोटे गुंबद (Domes) हैं।

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स्वामीनारायण संप्रदाय क्या है?

  • स्वामीनारायण संप्रदाय:
    भगवान स्वामीनारायण द्वारा स्थापित, यह हिंदू धर्म की वैष्णव परंपरा से संबंधित एक भक्ति संप्रदाय है।

  • BAPS (बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था):
    यह स्वामीनारायण संप्रदाय की जड़ें रखता है और भगवान स्वामीनारायण द्वारा प्रचारित भक्ति परंपरा और दर्शन को आगे बढ़ाता है।

  • भगवान स्वामीनारायण:
    भगवान स्वामीनारायण (1781-1830) ने केवल 49 वर्षों में अपनी जीवन यात्रा पूरी की, लेकिन उन्होंने एक अमिट विरासत छोड़ी जिसने लाखों लोगों को ईश्वर के आनंद का अनुभव कराया।

  • संस्थापक:
    भगवान स्वामीनारायण का जन्म घनश्याम पांडे के रूप में 1781 में उत्तर प्रदेश के छपिया में हुआ था।

  • शिक्षाएँ:
    यह संप्रदाय वेदों, उपनिषदों, और गीता जैसे वैदिक ग्रंथों पर आधारित है और 'अक्षर पुरुषोत्तम दर्शन' का प्रतिपादन करता है।

  • आदर्श:
    संप्रदाय ईश्वर की भक्ति, पवित्रता, सामाजिक समरसता और समाज सेवा पर जोर देता है।

  • ग्रंथ:
    स्वामीनारायण संप्रदाय की प्रमुख शिक्षाओं का आधार 'शिक्षापत्री' और 'वचनामृत' जैसे ग्रंथ हैं।

  • मंदिर और विस्तार:
    स्वामीनारायण संप्रदाय ने भारत और दुनिया भर में 1,200 से अधिक मंदिर बनाए हैं। दिल्ली का प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर इसी संप्रदाय के द्वारा बनवाया गया है।

  • सामाजिक कार्य:
    संप्रदाय स्वास्थ्य सेवा, वृक्षारोपण, जल संरक्षण और अन्य पर्यावरणीय गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।

वास्तुकला में प्राकृतिक वातानुकूलन

अक्षरधाम मंदिर जोधपुर में प्राकृतिक रूप से वातानुकूलन (Natural Air Conditioning) की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पत्थर की जालीदार दीवारें (Stone Lattice Walls) बनाई गई हैं। ये दीवारें गर्मी को कम करने और ठंडी हवा को अंदर लाने का कार्य करती हैं। यह वास्तुकला की एक ऐसी विशेषता है, जो मंदिर की गर्मी को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करती है और इसे एक विशिष्ट अनुभव प्रदान करती है।

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मंदिर का महत्व: धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय (Swaminarayan Sect) के अनुयायियों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र है और यहां भक्तों के लिए पूजा और ध्यान की विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके अलावा, इस मंदिर का लोकार्पण जोधपुर शहर की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को और भी समृद्ध करेगा। मंदिर के उद्घाटन के बाद यह स्थान न केवल देश बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन जाएगा।

जोधपुर में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन जोधपुर शहर में पर्यटन को एक नई दिशा दे सकता है। इसके बाद जोधपुर शहर में धार्मिक पर्यटन (Religious Tourism) और सांस्कृतिक पर्यटन (Cultural Tourism) को एक नई ऊँचाई मिल सकती है। इसके अलावा, मंदिर में आंतरिक सजावट और कला की विशेषताएं भी पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद करेंगी। मंदिर के आसपास के क्षेत्र में पर्यटन के विकास के साथ, जोधपुर में रोजगार के अवसर भी बढ़ सकते हैं।

बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था BAPS भगवान स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर जोधपुर अक्षरधाम मंदिर
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