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सिविल सेवा परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में गिना जाता है। लाखों छात्र हर साल इस परीक्षा में हिस्सा लेते हैं, लेकिन केवल कुछ ही अपने सपनों को हकीकत बना पाते हैं। खासतौर पर छोटे शहरों के कम लोग ही अपने सपनों को उड़ान दे पाते हैं। इन्हीं चंद लोगों में से एक हैं हर्षल पंचोली। साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर आईएएस बनकर उन्होंने यह साबित किया कि सच्ची लगन और सही दिशा मिलने पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
प्रारंभिक शिक्षा और पृष्ठभूमि
2015 बैच के आईएएस हर्षल पंचोली का जन्म मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक साधारण परिवार में हुआ। उन्होंने कक्षा 6 से 10 तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय, मानपुर इंदौर से पूरी की। वे मानते हैं कि उनकी शैक्षणिक नींव और जीवन को दिशा देने में नवोदय विद्यालय का बड़ा योगदान रहा।
यहीं से उन्होंने अनुशासन, मेहनत और लगन का पाठ सीखा। उसके बाद बारहवीं उन्होंने उज्जैन के केंद्रीय विद्यालय से की। स्कूल के बाiद उन्होंने बीटेक की पढ़ाई प्रतिष्ठित आईआईटी कानपुर से पूरी की।
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सिविल सेवा का सफर
इंजीनियरिंग के साथ ही हर्षल पंचोली ने 2011 में प्रशासनिक सेवा की तैयारी शुरू की। बाद में दिल्ली जाकर कोचिंग ली और पूरी तरह से उसमें लग गए। वे मानते हैं कि स्नातक की पढ़ाई के साथ पूरी तरह सिविल सेवा की तैयारी करना आसान नहीं होता।
इसी कारण उनका सुझाव है कि अभ्यर्थियों को पहले अपनी कॉलेज की पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए और तभी सिविल सेवा की तैयारी शुरू करनी चाहिए जब वे अन्य जिम्मेदारियों से मुक्त हों।
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हर टॉपिक के नोट्स बनाना जरूरी
हर्षल बताते हैं कि सबसे जरूरी सिलेबस के नोट्स तैयार करना है। उन्होंने सिलेबस के हर विषय के लिए अलग-अलग फोल्डर तैयार किए, जिसमें महत्वपूर्ण जानकारी और नोट्स को व्यवस्थित ढंग से रखा। यह तरीका उनकी तैयारी में मील का पत्थर साबित हुआ।
वे द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस जैसे अखबारों को नियमित रूप से पढ़ते थे। इसके अलावा मैगजीन और सरकारी वेबसाइट से नीतियों और योजनाओं का नियमित अध्ययन करते थे। अलग-अलग जगह से जानकारी हासिल करने से उनके उत्तर लेखन की गुणवत्ता में सुधार हुआ।
वो कहते हैं कि अच्छी किताबों के साथ-साथ पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र और मॉक टेस्ट हल करना जरूरी है। हर्षल के अनुसार सिविल सेवा परीक्षा एक पूर्णकालिक तैयारी की मांग करती है। इसमें मल्टीटास्किंग काम नहीं आती। अभ्यर्थियों को तय करना होता है कि वे किस समय किस विषय को कितना देंगे। उन्होंने समय प्रबंधन को अपनी तैयारी का सबसे मजबूत आधार बनाया।
आईएएस हर्षल पंचोली कहते हैं कि छोटे-छोटे नोट्स, करंट अफेयर्स का निरंतर विश्लेषण और योजनाओं की समझ ही असली अंतर पैदा करती है। तथ्यों को रटने से ज्यादा जरूरी है समझना।
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दिल्ली में माहौल का मिलता है फायदा
हर्षल मानते हैं कि आज तकनीक ने तैयारी को आसान बना दिया है और कोई भी छात्र कहीं से भी पढ़ाई कर सकता है। यही वजह है कि अब छोटे शहरों के भी बहुत से लोग परीक्षा को पास कर रहे हैं। लेकिन तैयारी के दौरान दिल्ली में रहने से थोड़ा फायदा जरूर मिलता है।
दिल्ली में रहकर तैयारी करने का अनुभव उनके लिए बेहद खास रहा। यहां उन्हें प्रतियोगी माहौल और बेहतर कोचिंग तो मिली ही, हर विषय पर किताबें और अध्ययन सामग्री आसानी से उपलब्ध हो जाती थीं। हालांकि, उनका मानना है कि कोचिंग से केवल दिशा मिलती है, लेकिन असली मेहनत स्वयं करनी होती है।
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भावी अभ्यर्थियों के लिए संदेश
- सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें और हर दिन का लक्ष्य तय करें।
- नोट्स हमेशा सिलेबस आधारित और व्यवस्थित बनाएं।
- करंट अफेयर्स को योजनाओं और नीतियों के संदर्भ में समझें।
- अधिक से अधिक मॉक टेस्ट लिखें और अपनी गलतियों से सीखें।
- सबसे जरूरी है लगातार मोटिवेशन बनाए रखना।
विवादों में भी रहे IAS पंचोली
हर्षल पंचोली जब अनूपपुर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी थे, तब जिले की प्रभारी मंत्री मीना सिंह के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया था कि पंचोली ने मंत्री की बैठक का बहिष्कार कर दिया था।
इसके बाद मीना सिंह ने तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत की और हर्षल पंचोली को अनूपपुर से भोपाल बुला लिया गया। हालांकि, दो साल बाद हर्षल पंचोली इसी अनूपपुर के कलेक्टर बनाए गए।
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करियर एक नजर
नाम: हर्षल पंचोली
जन्मस्थान: उज्जैन, मध्य प्रदेश
एजुकेशन: बी टेक
बैच: 2015
कैडर: मध्य प्रदेश
वर्तमान पद: कलेक्टर अनूपपुर
पदस्थापना
आईएएस हर्षल पंचोली वर्तमान में अनूपपुर कलेक्टर हैं। इसके पहले वो असिस्टेंट कलेक्टर सिंगरौली, असिस्टेंट कलेक्टर बैतूल, अनूपपुर सीईओ, एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट भोपाल के पद पर कार्य कर चुके हैं।
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सोशल मीडिया एकाउंट्स: आईएएस हर्षल पंचोली
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देखें IAS हर्षल पंचोली का सर्विस रिकॉर्ड: Updated 7-10-2025
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हर्षल पंचोली की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो छोटे शहरों से यूपीएससी की कठिन यात्रा पर निकलते हैं। उनकी मेहनत, रणनीति और निरंतरता इस बात का प्रमाण है कि यदि लक्ष्य स्पष्ट हो और तैयारी व्यवस्थित ढंग से की जाए, तो सफलता अवश्य मिलती है।
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