/sootr/media/media_files/2025/10/10/madhya-pradesh-sir-process-voter-list-registration-2025-10-10-14-53-15.jpeg)
Thesootr Prime में आज समझिए कि चुनावी प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाने वाली मतदाता सूची के फॉर्म्स के बारे में। बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद पूरे देश के लिए मतदाता सूची का संशोधन योजना बनाई गई है। आइए विस्तार से जानते हैं कि किस फॉर्म का क्या उपयोग है, मतदाता सूची में नाम दर्ज करने और आपत्ति/संशोधन के लिए कौन-कौन से विकल्प हैं…
मतदाता सूची संशोधन की कहानी की शुरुआत
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी के साथ ही चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के स्पेशल रिवीजन की प्रक्रिया पूरी कर ली है। अब यह प्रक्रिया भारत के अन्य राज्यों में भी लागू की जाएगी।
चुनावी सूची का महत्व
भारत के प्रजाप्रभुत्व कानून, 1950 की धारा 21 के तहत चुनाव आयोग को मतदाता सूची की तैयारी और रिवीजन का अधिकार है। हर आम चुनाव या उपचुनाव से पहले मतदाता सूची का संक्षिप्त रिवीजन होता है, जबकि जरूरी होने पर विशेष रिवीजन भी किया जाता है। इस बार चुनाव आयोग ने 24 जून के आदेश पर SIR की शुरुआत की। बिहार में चुनाव की वजह से 1 जुलाई को क्वालीफाइंग डेट रखी गई थी।
कई विवादों के बाद बिहार में आखिरकार SIR की फाइनल लिस्ट आ ही गई और इसी दौरान पूरे भारत में SIR प्रक्रिया लागू करने का फैसला भी हो गया। चलिए पहले SIR यानी Special Intensive Revision (विशेष गहन पुनरीक्षण) को समझते हैं…
SIR क्या है?
SIR यानी Special Intensive Revision (विशेष गहन पुनरीक्षण), चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची की शुद्धता और लिस्ट अपडेट करने के लिए चलाया जाता है। इसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में घर-घर जाकर पात्र नागरिकों के वोटर रजिस्ट्रेशन की पुष्टि की जाती है। इसमें नए मतदाताओं को जोड़ने, मृत/अपात्र नागरिकों के नाम हटाने और गलतियों को सुधारने का अभियान चलता है।
SIR की मुख्य बातें
यह एक केंद्रित और समयबद्ध प्रक्रिया है, जिसमें बूथ लेवल अधिकारी (BLO) हर घर जाकर मतदाता पहचान, दस्तावेज़ और जानकारियों की गहन जांच करते हैं।
इसके तहत मतदाता सूची को सही, समावेशी और त्रुटिरहित बनाने का काम किया जाता है।
SIR की जरूरत इसलिए होती है कि सूची में पुराने, फर्जी या दोहरे नाम हटाए जा सकें। नए योग्य नागरिकों को जोड़ा जाए और सभी जरूरी सुधार किए जा सकें। इससे चुनाव निष्पक्ष, पारदर्शी और लोकतांत्रिक होते हैं।
SIR खासकर उन इलाकों में होती है जहां जनसंख्या में बदलाव या बड़े चुनाव हैं, जैसे विधानसभा या लोकसभा चुनाव।
प्रक्रिया में डिजिटल पंजीकरण, ऑनलाइन आवेदन और नए तकनीकी उपायों का भी उपयोग किया जाता है ताकि नाम जोड़ना, हटाना या सुधार करना आसान और पारदर्शी हो।
समाज के वंचित व प्रवासी वर्ग को शामिल करने के लिए जागरूकता अभियान और विशेष शिविर आयोजित किए जाते हैं।
SIR के दौरान नागरिक अपना नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए निर्धारित फार्म जमा कर सकते हैं।
SIR को लेकर कभी-कभी विवाद भी उठता है, खासकर नागरिकता ज्ञापन या मतदान अधिकार की जांच को लेकर, लेकिन आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि संविधान एवं कानून के अनुसार ही प्रक्रिया होती है, और नागरिकता पर कोई असर नहीं पड़ता।
इस प्रकार SIR मतदाता सूची की विश्वसनीयता, समावेशिता और लोकतांत्रिक मजबूती के लिए चुनाव आयोग का महत्वपूर्ण कदम है।
SIR की चरणवार प्रक्रिया के बारे में समझिए
सभी मतदाता एनुमरेशन फॉर्म भरते हैं।
नागरिकता सिद्ध करने के लिए जरूरी डॉक्युमेंट्स जमा कराए जाते हैं (2003 के बाद रजिस्ट्रेशन पर दस्तावेज आवश्यक हैं)।
सभी दस्तावेजों के आधार पर ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाती है।
छूटे या किसी भी गलती के लिए दावे और आपत्तियां जमा करने की अवधि दी जाती है।
ERO (Electoral Registration Officers) द्वारा दावों और आपत्तियों की जांच और निपटारा किया जाता है।
और तय तारीख को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाती है।
मध्यप्रदेश में SIR को लेकर क्या तैयारी है?
मध्यप्रदेश में SIR (Special Intensive Revision) को लेकर चुनाव आयोग ने व्यापक तैयारियां शुरू की हैं। इनमें कई नवाचार और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही वोटर लिस्ट का नवीनतम डेटा भी अपडेट किया जा रहा है।
SIR के लिए तैयारी
मप्र चुनाव आयोग द्वारा प्रदेश के हर जिले में बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की तैनाती, प्रत्येक घर तक पहुंचने के लिए अभियान तेज किया जा रहा है।
जिलों में BLO की संख्या बढ़ाई गई है और कांग्रेस समेत कई दल अपने स्तर पर Booth Level Agents (BLA) नियुक्त कर रहे हैं ताकि हर वोटर तक पहुंचा जा सके।
प्रशिक्षण और नियमित मॉनीटरिंग के जरिए BLO को डिजिटल टूल्स, मोबाइल एप और टैबलेट दिए जा रहे हैं ताकि फील्ड डाटा तुरंत ऑनलाइन अपडेट हो सके।
SIR के लिए एमपी में क्या तकनीकी तैयारियां हैं?
मोबाइल एप और ऑनलाइन पोर्टल के जरिये अब नागरिक खुद भी मतदाता सूची में अपना नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए आवेदन कर सकते हैं।
E-EPIC डाउनलोड की सुविधा सभी मतदाताओं को दी गई है, जिससे वे डिजिटल वोटर कार्ड आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
मध्यप्रदेश का नवीनतम वोटर डेटा
https://ceomadhyapradesh.nic.in के अनुसार मप्र में जनसंख्या और वोटिंग एज में तेजी से बदलाव आने के कारण 2025 में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 5.60 करोड़ के आसपास पहुंची है।
मतदाता सूची में अब नियमित अपडेट को प्राथमिकता दी जा रही है- नवयुवक वोटर, प्रवासी नागरिक और नये शादीशुदा महिला वोटर को जोड़ने को विशेष फोकस दिया गया है।
अंतिम मतदाता सूची जनवरी 2025 में प्रकाशित हुई थी। इसमें हर जिले के लिए ऑनलाइन विशेष सॉर्टिंग की गई है। अपने इलाके की लिस्ट आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आसानी से देख सकते हैं:
https://ceomadhyapradesh.nic.in
मतदाता सूची से जुड़े मुख्य फॉर्म के बारे में जानिए
वोटर बनने, पता बदलने, विदेश में रहने वाले भारतीयों के रजिस्ट्रेशन, आपत्ति या सुधार के लिए कई फॉर्म्स हैं। आइए जानते हैं इन कब कौन सा फार्म उपयोग किया जा सकता है।
फॉर्म का नाम | उपयोग |
---|---|
Form 6 | नए मतदाता के जुड़ने या बाहर/विदेश से रजिस्ट्रेशन के लिए |
Form 6A | विदेशों में रहने वाले भारतीय मतदाताओं के लिए |
Form 7 | आपत्ति या किसी नाम को हटाने के लिए |
Form 8 | किसी भी सुधार- नाम, एड्रेस, जन्मतिथि आदि बदलने के लिए |
Form 8A | अस्थायी पता या स्थान परिवर्तन के लिए |
वोटर नहीं, नागरिक बनें- यह काम जरूर करें
साफ और अद्यतन मतदाता सूची निष्पक्ष चुनाव के लिए आवश्यक है। SIR पर विपक्षी पक्ष और समर्थन दोनों हैं, लेकिन नागरिकों के लिए मुख्य जिम्मेदारी है:
प्रकाशित ड्राफ्ट मतदाता सूची को अच्छी तरह जांचें।
आवश्यक होने पर सही फॉर्म में आवेदन करें।
नव-मतदाता या स्थान बदलने वाले अवश्य फॉर्म भरें।
सिविल सोसायटी और राजनीतिक दल गरीब, दिव्यांग, दलित एवं मोहल्ले के लोगों को प्रक्रिया में सहयोग दें।
आधार कार्ड समेत आवश्यक डॉक्युमेंट्स अपलोड करें।
विशेष सतर्कता पर बूथ लेवल ऑफिसर का नंबर अपने पास जरूर रखें, ताकि उसे अपडेट किया जा सके।
निष्कर्ष
Thesootr Prime की यह खबर देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत बनाने में मददगार है। SIR और सभी फॉर्म्स से जुड़े दिशानिर्देशों की जानकारी नागरिकों को सशक्त बनाती है और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करती है। सभी तथ्य और दिशा-निर्देश चुनाव आयोग के आदेश, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और बिहार SIR रिपोर्ट के आधार पर दिए गए हैं।
स्रोत: चुनाव आयोग आदेश, सुप्रीम कोर्ट निर्देश, बिहार SIR रिपोर्ट, BLO उपस्थिती जानकारी
ये भी पढ़ें...
thesootr prime : राजस्थान में बच्चों के खिलाफ अपराध, NCRB रिपोर्ट 2023 में बढ़े POCSO के 70% मामले
18वीं लोकसभा बन गई अब तक की सबसे बुजुर्ग संसद, युवा नेता 10 प्रतिशत से भी कम
Thesootr Prime: सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा- मानहानि कानून के मामले अब गैर-आपराधिक बनें
Thesootr prime: गिग इकोनॉमी- OTP Please, नए जमाने के मजदूरों की कहानी