सुनो भाई साधोः अंतरिक्ष में भी जाति? नेता जी का नया फॉर्मूला: हर वर्ग का स्पेस अलग!

बुनियादी प्रश्नों से मुंह छुपाकर अनर्गल बातों पर राजनीतिक विमर्श खड़ा करने की प्रवृत्ति पर तीखा व्यंग्य कर रहे हैं उभरते हुए व्यंग्यकार सुधीर नायक जो कि मध्यप्रदेश के प्रमुख ट्रेड यूनियन लीडर भी हैं।

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The Sootr
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Photograph: (The Sootr)

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सुधीर नायक

अभी कुछ दिन पहले भारत से शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष यात्रा पर गए थे। उस समय किसी कथित टाइप के नेता का बयान आया कि अंतरिक्ष यात्रा में इस वर्ग का नहीं उस वर्ग का व्यक्ति भेजा जाना था। वे चूक गए। मुझसे नहीं मिले। मैं उन्हें और भन्नाट बयान बता सकता था। पक्का, वे नौसिखिये रहे होंगे। बयान बहुत कमजोर है। इस पर तो पासिंग मार्क भी नहीं मिलेंगे।

हर वर्ग का अंतरिक्ष अलग होना चाहिए

मैं होता तो कहता कि इस वर्ग का अंतरिक्ष अलग होना चाहिए और उस वर्ग का अलग। अंतरिक्ष में चूना डालो। हम बाउंड्री बनाएंगे। हमारे अंतरिक्ष में हमारा ही आदमी जाएगा। और सुन लो, हमारे अंतरिक्ष में कोई तांकाझाकी न करे। कसम से, मज़ा आ जाता। लोग भी उधार बैठे हैं। बहस छिड़ जाती। हम ये वाली आकाशगंगा लेंगे। तुम उधर वाली। कोई धरने पर बैठ जाता। ये वाली आकाशगंगा लेकर रहेंगे। लेकर रहेंगे, लेकर रहेंगे। कुछ दिन और कट जाते। हमारा लोकतंत्र अब वक्त काटने के काम का ही रह गया है।

बयान देकर टाइम निकालते हैं नेता लोग

राजनीति अब एक कॉमेडी शो जैसी हो गई है और नेता स्टैंड अप कॉमेडियन। हम बयानों की अंत्याक्षरी खेलकर समय बिताते हैं। दो चुनावों के बीच का टाइम काटे नहीं कटता। बयान दे-देकर टाइम निकालते हैं नेता लोग। मेरे पास बयानों का अच्छा लॉट है। मैं और भी अच्छे-अच्छे बयान बता सकता हूं। पर मुझसे कोई पूछता नहीं। अंतरिक्ष से किस भाषा में बात की? यह भी एक जोरदार बयान हो सकता था। हिंदी में बात क्यों की? और भी तो भाषाएं हैं उनमें क्यों नहीं बोले? अंतरिक्ष में भी हिंदी थोपी जा रही है। हिंदी बोलने वाला पिछली बार चला गया था। इस बार किसी और भाषा वाले को भेजा जा सकता था। 

अंतरिक्ष में कुछ उल्टा सीधा तो नहीं खा लिया

और फिर वह अंतरिक्ष में शर्ट-पैंट पहनकर क्यों गया? धोती पहनकर जाना था। वहां अंतरिक्ष में भारतीय संस्कृति की नाक कटवाकर आया है। अंतरिक्ष वाले क्या सोचते होंगे? अंतरिक्ष में क्या खाया-पिया? इसकी खबर मिल जाए तो इस पर भी अच्छा आगलगाऊ बयान बन सकता है। अगर कुछ अल्लबल्ल खा लिया हो तो पापकर्म में आ जाएगा और वह भी अंतरिक्ष में जहां भगवान स्वयं रहते हैं। उनका लोक वहां से पास ही है। ऐसी पवित्र जगह पर अभक्ष्य भक्षण। हे राम राम! घोर पाप। मैं इस लायक नहीं हूं कि मेरे बयान कोई सुने। नहीं तो मैं ही दे डालता। मन तो बहुत करता है मेरा। पर जब तक मैं सुने जाने लायक बनूं तब तक मैं मुफ्त बयान सेवा देने के लिए तैयार हूं। फिसड्डी नेता बेहतरीन फड़कते हुए भड़काऊ बयानों के लिए संपर्क कर सकते हैं। बैठे से बेगार भली।

सुनो भाई साधो... इस व्यंग्य के लेखक मध्यप्रदेश के कर्मचारी नेता सुधीर नायक हैं

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अंतरिक्ष कॉमेडियन राजनीति कर्मचारी नेता सुधीर नायक शुभांशु शुक्ला सुनो भाई साधो
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