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Photograph: (The Sootr)
सुधीर नायक
सराहना का अंत कराहना में होता है। सराहना वाले लंबी चोट देकर जाते हैं। कोई सराहना करता है तो मैं सिहर जाता हूं। हे राम रक्षा करना। अब न जाने कौन सी विपदा आने वाली है।
वैसे मैं आजकल चौकन्ना रहता हूं। आज सुबह की ही बात है। हम लोग पार्क में घूम रहे थे। मैं रोज घूमता हूं और अकेले कभी नहीं घूमता। शर्मा जी मेरे घूमने के साथी हैं। सुबह-सुबह घूमने के जो बहुत सारे फायदे बताए जाते हैं। वे तो मुझे समझ में नहीं आए, लेकिन सुबह सुबह शर्मा जी से जो खुराक मिलती है। उससे पूरा दिन मजे में कटता है।
खिड़की जिससे दुनिया दिखती है
ज्ञान भक्ति वैराग्य राजनीति से लेकर छिछोरेपन तक का पूरा पैकेज शर्मा जी मुझे थमा जाते हैं। शर्मा जी खिड़की हैं जिससे दुनिया दिखती हैं। यार ये तो सच है कि ये दुनिया माया ही है। कुछ नहीं रखा संसार में। वे चले गए पटेल साब। जिंदगी भर कितनों का गला काटा। अब दामाद की चांदी है। हां, दामाद ही है। लड़की के साथ है तो भाई दामाद ही तो कहेंगे। मुझे तो लगता उसने इलाज भी ठीक से नहीं करवाया। वो चाहता था कि ये जल्दी निपटें।
होली-दीवाली पर ही बनेगी दाल
दाल के रेट तो देखो। आग लगी है। मुझे तो लगता आगे चलकर होली-दीवाली पर ही दाल बनेगी। वो तो देखो वर्मा बुढ़ापे में भी नहीं मान रहा। कल बिट्टन मार्केट में मैंने दोनों को साथ देखा। ककड़ी में अब वो स्वाद नहीं बचा। ककड़ी खाओ तो लगता है जैसे लकड़ी खा रहे। एक ऑफर है, गुरु, अपने पास। तुम साथ दो तो दोनों भाई मिलकर खेल कर दें।
चूक गया अचूक निशानेबाज
तो आज सुबह भी मैं खुराक ग्रहण कर रहा था कि अचानक शर्मा जी बोले- भाई तेरी बात अलग है। उनका इतना कहना था कि मेरे कान खड़े हो गए। मैंने उन्हें आगे बोलने का मौका नहीं दिया। मैंने कहा- नहीं, नहीं तुम्हें कन्फ्यूजन है। मैं बिल्कुल अलग नहीं हूं। जैसे तुम हो, वैसा ही हूं। वे चौंके। अचूक निशानेबाज का निशाना चूक जाए वैसे भाव उनके चेहरे पर थे। बोले- ये क्या कह रहे तुम? सभी कहते हैं- तू सच्चा आदमी है।
जो फूलता है आखिर में फोड़ा जाता है
मैंने फिर विरोध किया- लोग गलत कहते हैं। मैं सच्चा नहीं हूं क्योंकि कच्चा नहीं हूं। कच्चा ही सच्चा होता है। वे निराश हो गए। अब मैं नहीं फूलता। मेरी फूलनीयता खत्म हो गई है। पहले जब मैं बहुत जल्दी फूलता था, मुझे फुला-फुलाकर बहुत फोड़ा गया। जो फूलता है वह आखिर में फोड़ा जाता है। जो नहीं फूलता वो बच जाता है। फुलाने से भी बेहतरीन शोषण होता है। यह बड़ी कारगर तकनीक है।
सुनो भाई साधो... इस व्यंग्य के लेखक मध्यप्रदेश के कर्मचारी नेता सुधीर नायक हैं |
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