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आसमान में आज चांद पर ग्रहण पड़ा है और जमीन पर सत्ता–साहबशाही पर। फर्क बस इतना है कि ऊपर वाला ग्रहण बस कुछ घंटों में छंट जाएगा, लेकिन नीचे वाले ग्रहण का असर लंबे समय तक रहने वाला है। अब देखिए ना, एक कलेक्टर मैडम ग्रहण की चपेट में आ गई हैं। उनकी लंबी चौड़ी शिकायत डॉक्टर साहब के दफ्तर तक पहुंच गई है।
वहीं, एक मंत्रीजी कैमरे की चमक में फंस गए हैं। उधर, दामाद जी की रेड ने हलचल मचा दी है। कहानी यहीं खत्म नहीं होती। सोनू-मोनू की हिट जोड़ी ने ठेकों की दुनिया पर ग्रहण डाल रखा है। भोपाल कमिश्नरी की कुर्सी पर भी ग्रहण की छाया मंडरा रही है।
...तो जनाब, इस चंद्रग्रहण के सूतक में हम भी खोल रहे हैं अफसरशाही और सियासत की ग्रहण–कथाएं, जो चेहरे चमक रहे थे, आज उन्हीं पर अंधेरे की स्याही छिटक रही है। आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
अरे! मैडम ये क्या कर रही हैं आप?
मध्यप्रदेश के एक जिले की कलेक्टर मैडम इन दिनों सुर्खियों में हैं और वजह भी कम दिलचस्प नहीं है। सरकारी गलियारों से लेकर नेताओं की महफिल तक हर जगह उन्हीं के किस्से तैर रहे हैं। सरकार के पास मैडम की एक गंभीर शिकायत पहुंची है।
शिकायतकर्ता ने लिखा है कि मैडम खाने-पीने की बड़ी शौकीन हैं। उनका प्रेमी वर्ग विशेष का है। वह बीफ खाता है, इसलिए मैडम भी कुतिया छोड़कर हर जानवर का मांस खा लेती हैं। शिकायतकर्ता ने तो अपनी चिट्ठी में मैडम के लेन-देन की बातें भी लिखी हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मैडम कलेक्टर बनने से पहले अपने सीनियर अफसरों से लोहा लेती रही हैं। उनकी एक जांच ने पहले वाले बड़े साहब के कॅरियर को दागदार कर दिया था। अब जब मैडम कलेक्टर हैं तो स्थानीय नेता भी उनसे नाराज चल रहे हैं।
ये कैमराजीवी मंत्री कौन है?
अरे भाई, ये नया टाइटल सुना आपने? कैमराजीवी मंत्री...जी हां, यही नाम सोशल मीडिया ने एक केंद्रीय मंत्रीजी को चिपका दिया है। अब आप सोच रहे होंगे कैमराजीवी मतलब? तो लीजिए समझ लीजिए...हर मौके पर कैमरे के सामने पोज देने वाले नेताजी! और ये नेताजी कोई छोटे-मोटे नहीं, मध्यप्रदेश से सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री हैं।
हुआ यूं कि हाल ही में नेताजी दूसरे राज्य में स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे, लेकिन ऐसा लगता है कि जनता से ज्यादा उनका ध्यान कैमरों पर था। नतीजा यह हुआ कि विपक्ष ने मौका ताड़ लिया और एक वीडियो पोस्ट कर मंत्रीजी की कलई खोल दी।
वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि चार-चार कैमरामैन वीडियो बना रहे हैं और नेताजी निरीक्षण में व्यस्त हैं। बस फिर क्या था, सोशल मीडिया पर ट्रोल सेना एक्टिव हो गई। हर कोई कैमराजीवी मंत्री लिख-लिखकर उन्हें आईना दिखाने लगा।
कुर्सी का मोह है कि छूटता ही नहीं!
मालवा के एक जिले के एसपी साहब इन दिनों चर्चा में हैं। साहब ने ऐसी बल्लेबाजी की थी कि खबर भोपाल तक पहुंच गई और उनका तबादला कर दिया गया। कहानी यहां खत्म नहीं होती। अब मामला ऐसा है कि एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी साहब का मोह कम होने का नाम नहीं ले रहा है। वे अभी भी बंगले में जमे हुए हैं और हर दिन जिले के राजनीतिक देवताओं के दर्शन करने जा रहे हैं।
वे दर-दर पर जाकर अपनी गलती पूछ रहे हैं। उधर, नए कप्तान साहब ने कमान संभाल ली है। सूत्र बताते हैं कि एसपी साहब ने जाते-जाते 40 पुलिस वालों के गुपचुप तबादले कर दिए हैं। अपने समय की जांच डायरियों को चहेते अधिकारियों को ट्रांसफर करके अपना आखिरी दांव चल दिया है, ताकि पोल-पट्टी न खुल सके।
अब सियासी गलियारों और महकमे में कानाफूसी है कि कहीं तत्कालीन साहब की यह स्पेशल टीम नए कप्तान की लुटिया न डुबो दे।
मंत्रीजी, दामाद जी और वो ठेकेदार!
मध्यप्रदेश सरकार के एक मंत्रीजी के दामाद ने कुछ ठेकेदारों की रेड मार दी है। जी हां, सही पढ़ा है आपने। कहानी कुछ यूं है कि मंत्रीजी के दामाद साहब इनकम टैक्स में ऊंचा ओहदा रखते हैं। अब जरा सोचिए, जब वही दामाद भोपाल में रेड मारने निकले तो सबसे पहले किनके यहां दस्तक दी?
उन्हीं ठेकेदारों के यहां जो मंत्रीजी के डिपार्टमेंट में काम लेकर मलाई काट रहे थे। कानाफूसी है कि ये ठेकेदार दिल्ली कनेक्शन के दम पर मोटे-मोटे टेंडर लपक रहे थे और मंत्रीजी को भाव ही नहीं दे रहे थे। इससे मंत्रीजी नाराज चल रहे थे।
बस फिर क्या... संयोग बना और दामाद जी ने रेड मारकर ठेकेदारों की हालत पलती कर दी। इस रेड की आहट से ठेकेदारों के साथ कुछ IAS और कारोबारी भी घबराए हुए हैं। अब लोग कह रहे हैं कि ये रेड इनकम टैक्स की थी या इन-लॉ टैक्स की?
गॉसिप गलियारों में सवाल यही है कि क्या ये सब महज इत्तेफाक है या फिर मंत्री जी और दामाद जी की कॉम्बिनेशन प्लानिंग? जो भी हो, इस खबर ने राजधानी के अफसरों और दलालों की नींद उड़ा दी है।
ठेकों की दुनिया के सरताज सोनू-मोनू...
इनकम टैक्स की ताजा रेड में सोनू-मोनू की जोड़ी सामने आई है। अब पहचानिए सोनू कौन? तो सोनू मध्यप्रदेश का नामी दलाल है, जिसकी पहुंच कई बड़े अफसरों तक मानी जाती है। और मोनू? मोनू तो उससे भी ज्यादा दमदार है। वह केंद्रीय मंत्री का ओएसडी है।
कहानी ये है कि सोनू-मोनू की ये जोड़ी सिर्फ मध्यप्रदेश में ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड तक सप्लाई और ठेकों का खेल चला रही है। सोनू दलाली और सेटिंग का काम देखता है। मोनू दिल्ली के नेटवर्क से रास्ते साफ करता है।
रेड के बाद अब सत्ता के गलियारों में कानाफूसी है कि भई, ये सोनू-मोनू तो सीरियल के हीरो-विलेन से भी बड़े खिलाड़ी निकले। एक मैदान संभाले, दूसरा दरबार। लोग मजाक में कह रहे हैं कि सोनू के बिना मोनू अधूरा, मोनू के बिना सोनू बेकार...लेकिन दोनों मिलकर ठेकों की दुनिया पर राज करते हैं।
पुराने अफसरों की कलई खुलने लगी
भोपाल की पुलिस कमिश्नरी तो बनी ही नहीं, लेकिन उसके पहले ही गॉसिप का थाने खुल गया है। अब हर कोई पूछ रहा है कि कौन बनेगा भोपाल का पुलिस कमिश्नर? दावेदारों की लंबी लाइन लगी है और खींचतान इतनी तेज कि पुराने किस्से भी बाहर निकलने लगे हैं। इसी बीच चर्चा में एक पूर्व आईजी साहब हैं, जो कभी भोपाल में पदस्थ रह चुके हैं।
गॉसिप गली में फुसफुसाहट है कि साहब के ड्रॉइंगरूम में 12 लाख का झूमर लटक रहा है और तो और उन्होंने भोपाल के ही रातीबड़ में करोड़ों की बेनामी जमीन भी खरीदी है। अब इन चर्चाओं में कितनी सच्चाई है, ये तो साहब और उनके खास साथी ही जानते होंगे। हां, इतना जरूर तय है कि पुलिस कमिश्नरी की कुर्सी ने अफसरों की नींद उड़ा दी है और भोपाल की हवा में अफसरशाही के सीक्रेट्स तैरने लगे हैं। देखते हैं, ये ग्रहण कब छंटेगा?
द सूत्र पर पढ़िए बोल हरि बोल | हरीश दिवेकर बोल हरि बोल | HARISH DIVEKAR
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