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NEW DELHI. एक ओर पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं तो वहीं 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अभी से जमीन तैयार की जाने लगी है। सियासत की बिसात पर बीजेपी और विपक्षी दल इंडिया अपने-अपने दांव चल रही है। आरक्षण के लिए मंडल कमीशन की सिफारिशों के बाद सत्ता का दूसरा रास्ता भगवान राम के नाम के सहारे बीजेपी पार पाना चाहती है। बात साफ है, अयोध्या के मंदिर के सहारे वोटर्स को जोड़ने की बीजेपी की चाल के जवाब में INDIA गठबंधन के साथी नीतीश कुमार ने आरक्षण कार्ड की एक और चाल चल दी है, जी हां, बिहार में आरक्षण संशोधन बिल पास कर दिया गया। सबसे बड़ी बात तो ये है कि बीजेपी ने इसका समर्थन भी किया है।
बिहार में 75% आरक्षण लागू होगा, बीजेपी भी समर्थन में उतरी
बिहार में अब 75% आरक्षण लागू होने जा रहा है। खास बात ये है कि किसी ने भी इसका विरोध नहीं किया, बीजेपी ने भी नहीं यानी बीजेपी पूरी तरह समर्थन में है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कर कहा, जरूरत पड़ी तो आरक्षण का दायरा और बढ़ाएंगे। ऐसे में देखना ये है कि आम चुनाव में 'नीति के राज' या 'आरक्षण की नीति' में से कौन सी रणनीति काम आएगी। हालांकि बिहार विधानसभा में सुशासन बाबू नीतीश अपना आपा दूसरी बार खो बैठे थे। माफी मांगने के बाद भी नीतीश की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं।
नीतीश ने ऐसे निकाला बीजेपी का तोड़
भले ही विवादों की वजह से नीतीश कुमार के विरोधी बढ़ गए हों, भले ही उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं बता रहे हों, लेकिन मोदी के खिलाफ INDIA गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले नीतीश का एक सच ये भी है कि उन्होंने राम मंदिर की राजनीति को आरक्षण से धार देने का फॉर्मूला खोज निकाला है। बिहार में जातीगत जनगणना करवाकर आरक्षण संशोधन विधेयक पास कराया है। ऐसे में इस अहम जीत को विपक्षी गठबंधन भुनाने से पीछे नहीं हटेगा।
राहुल की जुबां पर भी छाया है आरक्षण
2024 के लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन वाले ओबीसी आरक्षण की तगड़ी मांग कर रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी हर रैली में ओबीसी आरक्षण की बात करते हैं तो क्या नीतीश कुमार सारा दिमाग 2024 के लिए लगा रहे हैं और आरक्षण के आंकड़े बैठाकर मोदी को हराने का प्लान बना रहे हैं? ऐसे में तो कांग्रेस को बैठे-बिछाए एक और अहम जीत का मुद्दा मिल गया।
श्रीराम पर फोकस हुई देश की राजनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, इस समय पूरी राजनीति श्रीराम पर फोकस हो गई है। अयोध्या में अगले साल यानी 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा है। पीएम मोदी इस आयोजन के मुख्य यजमान होंगे, तो राम मंदिर के शुभारंभ से पहले योगी सरकार ने पहली बार, अपनी पूरी कैबिनेट लेकर अयोध्या पहुंच गए। पहले अयोध्या में सीएम योगी अपनी पूरी कैबिनेट के साथ हनुमान गढ़ी में बजरंग बली की आरती करते हैं इसके बाद योगी आदित्यनाथ निर्माणाधीन राम मंदिर का भी जायजा लेते हैं। हनुमानगढ़ी और रामलला का आशीर्वाद लेने के बाद अयोध्या के रामकथा सभागार में सीएम योगी आदित्यनाथ कैबिनेट की बैठक करते हैं। कुल मिलाकर बीजेपी अपना श्रेय लेने के साथ इसे अहम मुद्दा भी बना रही है।
मप्र की चुनावी सभा में हिंदू एजेंडा छा रहा, श्रेय लेने की होड़
चुनावों से पहले बीजेपी अपने हिंदुत्व एजेंडे को धार देने में जुटी है, इसलिए ही 9 नवंबर को मध्य प्रदेश के सतना में पीएम मोदी ने भव्य राममंदिर की चर्चा की। यहां मोदी ने कहा कि मैं आजकल जहां भी जाता हूं वहां अयोध्या में बन रहे प्रभु श्रीराम के मंदिर की चर्चा चलती है। श्रीराम मंदिर को लेकर पूरे देश में खुशी की लहर है। इस बार 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस भी राम मंदिर की राजनीति से खुद को दूर नहीं रख रही। वो भी दावा कर रही है कि अयोध्या में ताला तो कांग्रेस ने ही खुलवाया था।