Morena. हे भगवान (Oh God) ! जिस नाजुक उम्र में बच्चे अपने माता-पिता की गोद में लेटकर इतराते हैं, उस छोटी सी उम्र में किसी को अपनी गोद में छोटे भाई का शव (dead body of younger brother in lap) लेकर बैठना पड़े, वह भी पल - दो - पल नहीं, बल्कि तब तक जब तक पिता की लाचारी (father's helplessness) खत्म न हो जाए। मासूम को न अपनी गोद मेंं आए इस सबसे बड़े भार का अंदाजा था और न शव के साथ व्यवहार का सलीका। नतीजनन, पिता के न लौटने पर कभी खुद रो पड़ता तो कभी अपने छोटे भाई के मृत देह को सहलाने लगता। बच्चे को देखते ही लोगों की आंखों से आंसू निकल आए और मुंह से फकत इतना ही निकला, हे भगवान!
#मुरैना में जिला अस्पताल मुरैना के बाहर देखकर हर किसी के कदम ठिठक गए। महज 8 साल का बच्चा काफी देर तक अपनी गोद में कफन में लिपटे एक छोटे बच्चे को लेकर बैठा था। बच्चे को जिसने भी देखा उसकी रूह कांप उठी।@DrPRChoudhary @collectormorena
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— TheSootr (@TheSootr) July 10, 2022
कुछ ऐसा ही नजारा मुरैना में जिला अस्पताल मुरैना (District Hospital in Morena) के बाहर देखकर हर किसी के कदम ठिठक गए। महज 8 साल का बच्चा काफी देर तक अपनी गोद में कफन में लिपटे एक छोटे बच्चे को लेकर बैठा था। बच्चे को जिसने भी देखा उसकी रूह कांप उठी। इस बच्चे की मजबूरी यह थी कि उसके छोटे भाई का निधन हो चुका था और अस्पताल में शव को घर तक ले जाने की सुविधा नहीं थी। बाहर शव ले जाने वाले वाहनों की कतार लगी थी, लेकिन गरीब पिता की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि वह इन निजी गाड़ी वालों को मुंह मांगा किराया दे सकें। मजबूरी में सस्ते वाहन के लिए वह यहां-वहां भटकते रहे और भाई के शव को गोद में लेकर बैठा 8 साल का मासूम सड़क पर टकटकी लगाए उनके लौटने के इंतजार में आंसू बहाता रहा।
अंबाह का था परिवार
यह बच्चा अंबाह का बताया जा रहा है। अंबाह के बड़फरा गांव निवासी पूजाराम जाटव अपने दो साल के बेटे राजा को एंबुलेंस से अंबाह अस्पताल से रैफर कराकर जिला अस्पताल लेकर आए थे। एनीमिया और पेट में पानी भरने से परेशान राजा ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। अंबाह अस्पताल से राजा को लेकर जो एंबुलेंस Ambulancesआई वह तत्काल लौट गई थी। राजा की मौत के बाद उसके गरीब पिता पूजाराम ने अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ से पुत्र के शव को गांव ले जाने के लिए वाहन की बात की तो यह कहकर मना कर दिया कि अस्पताल में इस काम के लिए कोई वाहन नहीं है। बाहर भाड़े से गाड़ी कर लो। अस्पताल परिसर में खड़ी एंबुलेंस मालिकों में से कोई 1000 तो कोई 1500 मांग रहा था। पूजाराम के पास इतनी रकम नहीं थी, इसलिए वह अपने बेटे राजा के शव को लेकर अस्पताल के बाहर आ गया। साथ में आठ साल का बेटा गुलशन भी था। अस्पताल के बाहर भी कोई वाहन नहीं मिला। इसके बाद गुलशन को नेहरू पार्क के सामने, सड़क किनारे बने नाले के पास बैठाकर पूजाराम सस्ता वाहन तलाशने चला गया।
गोद में शव लेकर बैठा रहा गुलशन
8 साल का गुलशन अपने दो साल के भाई राजा Raja के शव को गोद में लेकर करीब एक घंटे से ज्यादा देर तक सड़क किनारे बैठा रहा। इस दौरान उसकी नजरें सड़क पर टकटकी लगाए पिता के लौटने का इंतजार करती रहीं। नन्हा गुलशन कभी रोने लगता तो कभी अपने भाई के शव को दुलारने लगता। सड़क पर राहगीरों की भीड़ लग गई, जिसने भी यह द्श्य देखा उसकी रूह कांप गई, कई लोगों की आंखें से आंसू बह निकले।
मामले के तूल पकड़ते ही टीआई आए सामने
देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया। सोशल मीडिया पर भी वीडियो और सूचना वायरल होने लगी। सूचना मिलने पर कोतवाली टीआई योगेंद्र सिंह जादौन Kotwali TI Yogendra Singh Jadounआए। उन्होंने मासूम गुलशन की गोद से उसके भाई का शव उठवाया। दोनों को जिला अस्पताल ले गए। वहां गुलशन का पिता पूजाराम भी आ गया। फिर एंबुलेंस की व्यवस्था कराई और शव को बड़फरा भिजवाया गया। रोते हुए पूजाराम ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं। तीन बेटे और एक बेटी। राजा सबसे छोटा था। पूजाराम के अनुसार उसकी पत्नी तुलसा तीन महीने पहले घर छोड़कर अपने मायके डबरा चली गई है। वह खुद ही बच्चों की देखभाल करता है।