PATNA. बिहार में जाति आधारित गणना के आंकड़े जारी करने के बाद सीएम नीतीश कुमार पर दबाव बढ़ रहा है। अब इस हर स्तर पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यादव और मुसलमानों को छोड़ दें तो हरे जाति को गणना के आंकड़े पर संदेह है। राज्य सरकार के भवन निर्माण मंत्री और मुख्यमंत्री के करीबी अशोक चौधरी ने गुरुवार (5 अक्टूबर) को स्वीकार किया कि उनके पास भी विभिन्न जाति के लोगों के फोन आ रहे हैं। वे गणना पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश सिंह ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि गणना के बारे में आ रही शिकायतों का सरकार निराकरण करेगी। बीजेपी ने आंकड़ों को गलत ठहराया है।
पासी जाति के मंत्री बोले- हमारी संख्या कम बताई गई
बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कहा- हम पासी जाति के हैं। हमारी जाति के लोगों का फोन आ रहा है कि उनकी संख्या कम बताई जा रही है, लेकिन वह निजी तौर पर इस तरह के विवाद को गलत मान रहे हैं।
बीजेपी-कांग्रेस के एक सुर
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी इस गणना के पक्ष में है। संख्या के बारे में जो शिकायतें आ रही हैं, सरकार उस पर गौर करे। उन्होंने ताजा आंकड़े के आधार पर पिछड़े, अति पिछड़े और अनुसूचित जातियों के विकास के लिए योजनाएं बनाने की मांग की। इससे पहले बीजेपी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कायस्थ जाति की कम संख्या पर आपत्ति प्रकट की है। संकेत यह भी है कि जाति आधारित गणना की प्रक्रिया को कोर्ट में चुनौती दी जाए।
जदयू सांसद ने भी उठाए सवाल, तेली समाज की गणना गलत
जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू ने जाति आधारित गणना पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने तेली समाज की गणना गलत होने की बात कही है। इस संदर्भ में पटना में 8 अक्टूबर को समाज के लोगों की एक बैठक होगी। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार को ज्ञापन दिया जाएगा।
अति पिछड़ों में भी असंतोष
बिहार में हुई गणना में अति पिछड़ों की आबादी सबसे अधिक 36 प्रतिशत बताई गई है। मगर, उनके बीच से भी विरोध के स्वर उठ रहे हैं। जदयू के प्रदेश महासचिव प्रगति मेहता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर धानुक जाति की आबादी की ठीक से गिनती न करने की शिकायत की है। अति पिछड़ों की एक जाति है अमात। गणना में इसकी आबादी दो लाख 85 हजार हजार बताई गई है। स्वयं को इस जाति का नेता बताने वाले भानु प्रकाश राय कहते हैं- उत्तर बिहार में अमात जाति की आबादी 30 लाख से अधिक है। बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना के नाम पर घोटाला किया है।