चंद्रयान-3 के तकनीशियन को 18 महीने से वेतन ना मिलने की खबर को मोदी सरकार ने बताया 'भ्रामक'

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Pratibha Rana
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चंद्रयान-3 के तकनीशियन को 18 महीने से वेतन ना मिलने की खबर को मोदी सरकार ने बताया 'भ्रामक'

New Delhi. बीबीसी की रिपोर्ट आई थी कि चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चपैड का निर्माण करने वाले टेक्नीशियन सैलरी ना मिलने की वजह से अब सड़क किनारे इडली बेचने को मजबूर हैं। इसको लेकर केंद्र की मोदी सरकार का जवाब आया है। सरकार ने ऐसे किसी भी मीडिया रिपोर्ट को खारिज कर इसे भ्रामक बताया है। सरकार ने कहा है कि सभी को वेतन दिया गया है। बीबीसी की रिपोर्ट बिना तथ्य के जारी की गई है। मामले में और जानकारी निकाली जा रही है।

क्या है बीबीसी की रिपोर्ट

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड) में तकनीशियन दीपक कुमार उपरारिया जिन्होंने इसरो के चंद्रयान -3 लॉन्चपैड के निर्माण के लिए काम किया था, गुजारा करने के लिए रांची में सड़क किनारे इडली बेचने के लिए मजबूर हैं। बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उपरारिया की रांची के धुर्वा इलाके में पुरानी विधानसभा के सामने एक स्टॉल है। चंद्रयान-3 के लिए फोल्डिंग प्लेटफॉर्म और स्लाइडिंग दरवाजा बनाने वाली भारत सरकार की कंपनी (सीपीएसयू) एचईसी ने 18 महीने तक उन्हें वेतन नहीं दिया। इससे बाद उनकी आर्थिक हालत खराब हो गई। उन्होंने सड़क किनारे अपना स्टॉल खोला।

2,800 कर्मचारियों को 18 महीने से वेतन नहीं मिला!

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एचईसी के करीब 2,800 कर्मचारियों का दावा था कि उन्हें पिछले 18 महीने से वेतन नहीं मिला है। इनमें उपरारिया भी शामिल हैं। दीपक कुमार उपरारिया ने कहा था कि वह पिछले कुछ दिनों से गुजारा करने के लिए इडली बेच रहे हैं. और दुकान और ऑफिस का काम एक साथ संभालते रहे हैं।

बताया दर्द : लोगों ने कर्ज देना बंद कर दिया

अपना दर्द बताते हुए उपरारिया ने कहा था कि पहले मैंने क्रेडिट कार्ड से अपना घर चलाया, जिसके बाद मेरे ऊपर दो लाख रुपये का कर्ज हो गया और मुझे डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया। इसके बाद मैंने रिश्तेदारों से पैसे लेकर कुछ दिनों तक घर चलाया। पैसे नहीं लौटाने पर लोगों ने उधार देना बंद कर दिया है। फिर मैंने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख दिए और कुछ दिनों तक हमारा घर उस पैसे से चला। उन्होंने कहा था कि जब उन्हें लगा कि उनके सामने भुखमरी की नौबत आ जाएगी तो उन्होंने इडली बेचने का फैसला लिया।

मप्र के रहने वाले हैं वेतन ना मिलने का आरोप लगाने वाले उपरारिया

उपरारिया मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले हैं। 2012 में उन्होंने एक निजी कंपनी की नौकरी छोड़ दी और 8,000 रुपये के वेतन पर एचईसी में नौकरी करने लगे। सरकारी कंपनी होने के नाते उन्हें उम्मीद थी कि उनका भविष्य उज्ज्वल होगा लेकिन चीजें लगातार खराब ही होती गईं। बीबीसी के मुताबिक, यह स्थिति सिर्फ दीपक उपरारिया की नहीं है, उनकी तरह एचईसी से जुड़े कुछ अन्य लोग भी इसी तरह का काम कर अपनी जीविका चला रहे हैं।

ट्वीट कर बताई खबर की सच्चाई?

अब इस खबर की सच्चाई के बारे में बताते हुए सरकार की नोडल एजेंसी पत्र सूचना कार्यालय की पीआईबी फैक्ट चेक ने रिपोर्ट को भ्रामक बताया है। पीआईबी फैक्ट ने बताया कि बीबीसी हिंदी ने अपने एक आर्टिकल के हेडलाइन में दावा किया है कि इसरो के लिए लॉन्चपैड बनाने वाले हैवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचईसी) के कर्मचारियों का 18 महीने का वेतन बकाया है। यह हेडलाइन भ्रामक है। वायरल हो रहा पुराने वीडियो पोस्ट में आगे कहा गया कि एचईसी को 'चंद्रयान 3' के लिए किसी भी घटक के निर्माण का काम नहीं सौंपा गया था। एचईसी ने इसरो के लिए सितंबर 2003 से जनवरी 2010 तक कुछ बुनियादी ढांचे की आपूर्ति की थी।

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