मुंबई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief mohan Bhagwat) ने पिछले दिनों धर्म संसदों में दिए गए बयानों को खारिज किया है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यह हिंदुत्व नहीं है। हिंदुत्व को मानने वाले लोग उन बयानों से कभी सहमत नहीं होंगे।
भागवत ने 6 फरवरी को मुंबई में 'राष्ट्रीय एकता और हिंदुत्व' विषय पर एक कार्यक्रम में कहा कि धर्म संसद में जो बयान दिए गए, वे हिंदू की व्याख्या नहीं करते। उन्होंने कहा, 'यदि कभी मैं गुस्से में कुछ कह दूं तो वह हिंदुत्व नहीं है।' संघ प्रमुख ने रायपुर में हुई धर्म संसद का जिक्र करते हुए कहा कि आरएसएस या हिंदुत्व को मानने वाले इसमें विश्वास नहीं करते।
सावरकर का भी जिक्र किया: संघ प्रमुख ने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदू समुदाय की एकता और उसे संगठित करने की बातें कही थीं। उन्होंने ये बातें भगवद्गीता का संदर्भ लेते हुए कही थीं, किसी को खत्म करने या नुकसान पहुंचाने के संदर्भ में नहीं।
भारत के हिंदू राष्ट्र बनने का सवाल ही नहीं: क्या भारत 'हिंदू राष्ट्र' बनने की राह पर है, इस सवाल पर भागवत ने कहा- यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है। भले ही इसे कोई स्वीकार करे या न करे, यह हिंदू राष्ट्र है। हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व वाली है। यह वैसी ही है, जैसी कि देश की अखंडता की भावना। संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं, बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है। इससे पैदा होने वाली एकता ज्यादा मजबूत होगी।
कालीचरण महाराज को किया गया था गिरफ्तार: छत्तीसगढ़ के रायपुर में आयोजित धर्म संसद में कालीचरण महाराज ने कथित तौर पर महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। कई राज्यों में उनके खिलाफ केस दर्ज किए गए। पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार में हुई धर्म संसद में मुसलमानों को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए गए थे।