PRAYAGRAJ. यूपी के उमेश पाल अपहरण केस में गैंग्स्टर अतीक अहमद को 28 मार्च को दोषी करार दिया गया। इसके बाद अतीक को उम्रकैद सुनाई गई। अतीक समेत हनीफ, दिनेश पासी को भी दोषी पाया और इन्हें भी उम्रकैद की सजा दी गई। कोर्ट ने तीनों दोषियों पर 1-1 लाख का जुर्माना भी लगाया। अतीक के भाई अशरफ समेत 7 को बरी कर दिया गया। अतीक को 27 मार्च को गुजरात की साबरमती जेल से लाया गया था। 17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट ने बाहुबली अतीक अहमद को सुनाई। इस मामले में कुल 11 आरोपी थे, जिनमें से एक की मौत हो गई थी। अतीक के भाई अशरफ को बरेली से प्रयागराज लाया गया था। इसके अलावा एक अन्य आरोपी फरहान को भी यहीं लाया गया था।
ये थे आरोपी
कोर्ट ने अतीक अहमद, अशरफ, दिनेश पासी, अंसार अहमद उर्फ अंसार बाबा, खान सौलत हनीफ, फरहान, इसरार, आबिद प्रधान, आशिक मल्ली और एजाज अख्तर को दोषी करार दिया। अंसार अहमद की मौत हो चुकी है। अभी अतीक अहमद, अशरफ और फरहान जेल में थे, बाकी आरोपी जमानत पर थे।
ऐसे दहशत कहें या रसूख?
हैरानी की बात है कि अतीक के खिलाफ 1985 से 100 से ज्यादा आपराधिक केस दर्ज हैं, लेकिन अब से पहले उसे किसी भी मामले में सजा नहीं सुनाई गई। 50 मामले अलग-अलग कोर्ट में विचाराधीन हैं, जबकि 12 मामलों में वह बरी हो चुका है। 2004 में तत्कालीन समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार ने दो केस वापस ले लिए थे।
एक्शन में योगी
यूपी पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, अब तक अतीक अहमद उसके सहयोगियों और गैंग के कब्जे से 416 करोड़ 92 लाख 46 हजार कीमत की जमीन मुक्त करवाई गई। अतीक अहमद के कब्जे से अब तक 1166 करोड़ 45 लाख 42 हजार रुपए की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। पत्नी शाइस्ता परवीन से 8 करोड़ की संपति जब्त की जा चुकी है।
उसके भाई अशरफ की 27.33 करोड़ की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। प्रयागराज के सबसे पॉश और सबसे महंगे इलाके में अतीक अहमद का साम्राज्य चल रहा था। यहां एक मॉल था, जिसे दो साल पहले सील किया गया था। इस मॉल को अली टॉवर के नाम से भी जाना जाता है। ये टॉवर पहले भी सील हुआ था, लेकिन अतीक अहमद जबरन सील तोड़कर चलाता था।
2005 में विधायक राजू पाल की हत्या, 2006 में गवाह उमेश का अपहरण हुआ था
25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस केस में अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 5 आरोपी नामजद थे, जबकि 4 अज्ञात को आरोपी बनाया था। इस केस में राजू पाल के रिश्तेदार उमेश पाल मुख्य गवाह थे। उमेश को 28 फरवरी 2006 को अगवा किया गया था। इसका आरोप अतीक अहमद और उसके साथियों पर लगा था। उमेश ने आरोप लगाया था कि अतीक ने उसके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी।
ऐसे बना अतीक की दबंगई का साम्राज्य
तांगा चलाने वाले के बेटे पर 17 की उम्र में लगा था हत्या का आरोप
अतीक अहमद की कहानी 1979 से शुरू होती है। उस वक्त इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के चाकिया मोहल्ले में फिरोज अहमद का परिवार रहता था, जो तांगा चलाकर परिवार का गुजर-बसर करते थे। फिरोज का बेटा अतीक हाईस्कूल में फेल हो गया था। इसके बाद पढ़ाई-लिखाई से अतीक का मन उचटा और उसे अमीर बनने का चस्का लग गया। इसके लिए वो गलत काम धंधे में पड़ गया और रंगदारी वसूलने लगा। महज 17 साल की उम्र में उस पर हत्या का आरोप लग चुका था। उस समय पुराने शहर में चांद बाबा का दौर था। पुलिस और नेता दोनों चांद बाबा के खौफ को खत्म करना चाहते थे। इसके लिए अतीक अहमद को पुलिस और नेताओं का साथ मिला। किसे पता था कि आगे चलकर अतीक अहमद, चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक साबित होगा।
2004 में सपा से सांसद बना, राजू पाल ने उसके भाई को उपचुनाव में हराया और दुश्मनी शुरू...
देश में 2004 में आम चुनाव हो चुके थे। यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से अतीक अहमद ने सपा के टिकट पर जीत हासिल की। इससे पहले वह इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक था। अतीक के सांसद बन जाने के बाद इलाहाबाद पश्चिम सीट खाली हो गई। कुछ दिनों बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ। इस सीट पर हुए सपा ने अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन बसपा ने अशरफ के सामने राजू पाल को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार दिया। जब उपचुनाव हुआ तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ को हरा दिया।
25 जनवरी 2005 - राजू पाल हत्याकांड
उपचुनाव में अशरफ की हार से अतीक खेमे में खलबली थी। धीरे-धीरे मामला शांत भी हो चुका था। राजू पाल की जीत की खुशी ज्यादा दिन कायम नहीं रही। पहली बार विधायक बने राजू की कुछ महीने बाद ही 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव नाम के दो लोगों की भी मौत हुई थी, जबकि दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस सनसनीखेज हत्याकांड ने यूपी की सियासत में भूचाल ला दिया था। इस सनसनीखेज हत्याकांड में सीधे तौर पर तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सामने आया था।
राजू पाल की पत्नी पूजा ने कराई थी एफआईआर, उमेश पाल मुख्य गवाह थे
विधायक राजू पाल की हत्या से पूरा इलाका सन्न था। बसपा ने सपा सांसद अतीक अहमद के खिलाफ धावा बोल रखा था। उसी दौरान दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा ने थाना धूमनगंज में हत्या का मामला दर्ज कराया था। उस रिपोर्ट में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम को नामजद किया गया था। मामला दर्ज हो जाने के बाद पुलिस ने मामले की छानबीन शुरू कर दी थी।
इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस में उमेश पाल एक अहम चश्मदीद गवाह था. जब केस की छानबीन आगे बढ़ी तो उमेश पाल को धमकियां मिलने लगी थीं. उसने अपनी जान खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उमेश पाल को यूपी पुलिस की तरफ से सुरक्षा के लिए दो गनर दिए गए थे.
ऐसे चली जांच
- 6 अप्रैल 2005: विधायक राजूपाल हत्याकांज की जांच पड़ताल और छानबीन में जुटी पुलिस ने रात दिन एक कर दिया था। पुलिस ने इस हत्याकांड की जांच करने के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।