चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 जगहों के नाम बदले; ड्रैगन ने 6 साल में ऐसा तीसरी बार किया, भारत ने कहा था- नए नाम से तथ्य नहीं बदलेंगे

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Atul Tiwari
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चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 जगहों के नाम बदले; ड्रैगन ने 6 साल में ऐसा तीसरी बार किया, भारत ने कहा था- नए नाम से तथ्य नहीं बदलेंगे

NEW DELHI/BEIJING. भारत और चीन के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ सकता है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 11 स्थानों के नाम बदलने की घोषणा की है। इस लिस्ट में दो रिहाइशी इलाके, 5 पर्वत चोटियां, दो नदियां और दो अन्य इलाके शामिल हैं। चीन ने लिस्ट के साथ मैप भी जारी किया है। बीते 6 सालों में ये तीसरी बार है जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश की जगहों के नाम बदले। चीन अरुणाचल प्रदेश के इस हिस्से को जंगनान प्रांत बताता है और इससे पहले 2017 में भी जंगनान के छह नामों को मान्यता दी गई थी।



पहले भी दो बार अरुणाचल के नाम बदले



चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के हवाले से भारतीय अखबारों ने ये खबर लगाई है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने इन 11 जगहों की लिस्ट और इनके मानकीकृत भौगौलिक नाम भी जारी किए हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश के इस हिस्से को जंगनान प्रांत बताता है। 2017 में भी जंगनान के 6 नामों को मान्यता दी गई थी। 2021 में भी 15 जगहों के नामों की लिस्ट जारी की गई थी। तब भारत सरकार ने इन बदले हुए नामों के मामले में चीन की निंदा की थी। भारत सरकार ने कहा था, नाम रख देने से जमीन पर तथ्य नहीं बदलेंगे। अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और आगे भी हमेशा रहेगा।



दलाई लामा की यात्रा के बाद बदला था नाम



2017 में दलाई लामा अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर गए थे। चीन ने उनकी इस यात्रा की आलोचना की थी और कुछ दिनों बाद पहली बार नाम को बदला था। पिछले कुछ वर्षों में चीन और भारत के संबंध तनावपूर्ण देखने को मिले हैं। 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच डोकलाम को लेकर स्टैंडऑफ देखने को मिला था। इसके अलावा व्यापार को लेकर भी चीन और भारत के बीच तनाव रहा है। भारत ने पिछले कई वर्षों में कई चीनी ऐप को बैन किया है।



चीन का भारत की जमीन पर दावा और भारत से लगातार रहता है तनाव



चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अपना बताता है। अरुणाचल प्रदेश को लेकर चीन पहले भी लगातार दावे करता रहा है और भारत हर बार उसका सख्ती से खंडन करता आया है। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपनी जमीन बताता है और उसे दक्षिण तिब्बत कहता है। अरुणाचल प्रदेश, लद्दाख में कई बार भारतीय सैनिकों के चीनी सैनिकों के सामने-सामने आने की खबरें भी बीते सालों में आती रही हैं।



ऐसे भारत में घुसपैठ करता रहा है चीन




  • अक्टूबर 2021- अरुणाचल में ही दोनों सेनाएं आमने सामने आई थीं। तब भारतीय सेना ने चीन के कई सैनिकों को घंटों बंधक बना कर रखा था। बातचीत के बाद उन्हें छोड़ दिया गया।


  • 9 दिसंबर 2022- चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के 300 सैनिक अरुणाचल में 17 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंच गए। यहां दोनों देश आमने-सामने आ गए और भारतीय सैनिक इन पर भारी पड़े। चीनी सैनिक पूरी तैयारी के साथ आए थे। जानकारी के मुताबिक, चीनी सैनिक भारतीय पोस्ट को तोड़ना चाहते थे। चीनी सैनिक तवांग (अरुणाचल) में भारतीय पोस्ट को हटवाने के लिए आए थे। चीनी सैनिक कंटीली लाठी और डंडे लेकर आए थे, ऐसा ही गलवान झड़प के दौरान भी हुआ था। भारतीय जवानों ने तुरंत मोर्चा संभाला और भिड़ गए। भारतीय जवानों को भारी पड़ता देख चीनी सैनिक पीछे हटे।

  • 1 मई 2020- दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। यहीं से तनाव की स्थिति बढ़ गई थी। 

  • 15 जून 2020- रात में गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। चीनी सैनिक घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। भारतीय जवानों ने उन्हें रोका तो वह हिंसा पर आमादा हो गए। इसके बाद विवाद बढ़ गया। झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवान मारे गए थे। इनमें कई चीनी सैनिक नदी में बह गए थे। हालांकि, चीन ने केवल चार जवानों के मौत की पुष्टि की। अमेरिका की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, इस झड़प में 45 से ज्यादा चीनी जवान मारे गए थे। 


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