गुजरात में एक बार फिर इंसानियत की मिसाल देखने को मिली, जब एक गरीब परिवार के मासूम की जान बचाने के लिए लोगों ने महज एक महीने में 16 करोड़ रुपये चंदे से जुटा लिए। एसएमए टाइप-1 बीमारी से पीड़ित इस बच्चे को अमेरिका में बनने वाले महंगे इंजेक्शन की जरूरत थी, जिसे 72 घंटे में भारत लाया गया। डॉक्टर्स की विशेष देखरेख में उसे यह दवा दी गई और अब उसकी हालत में सुधार हो रहा है।
मासूम को थी दुर्लभ स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी
गुजरात के हिम्मतनगर में एक 20 महीने के मासूम को दुर्लभ जेनेटिक बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA टाइप-1) थी, जिसका इलाज बेहद महंगा था। इस बीमारी के इलाज के लिए अमेरिका में मिलने वाला एक इंजेक्शन ही एकमात्र समाधान था, जिसकी कीमत 16 करोड़ रुपये थी। बच्चे के परिवार ने मदद की गुहार लगाई और देखते ही देखते गुजरात के लोगों ने एक महीने में पूरी रकम जुटा ली।
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-70 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखना था इंजेक्शन
सोमवार को यह इंजेक्शन अमेरिका से अहमदाबाद लाया गया। इसकी खासियत यह थी कि इसे पूरे समय -70 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखना अनिवार्य था। इसे दुबई होते हुए दिल्ली लाया गया और फिर विशेष इंतजामों के साथ अहमदाबाद पहुंचाया गया।
एसएमए टाइप-1 एक आनुवंशिक बीमारी
बच्चे का इलाज करने वाले रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड न्यूरोसाइंस के डॉक्टर संजीव मेहता ने बताया कि एसएमए टाइप-1 एक आनुवंशिक बीमारी है, जो मांसपेशियों को कमजोर कर देती है। इससे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ होती है और वे न तो बैठ सकते हैं, न ही चल सकते हैं। यह इंजेक्शन सेल्स को एक्टिव करने का काम करता है और बीमारी की प्रगति को रोकता है।
बच्चे के चाचा आबिद अली ने बताया कि पहले बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था, लेकिन डेढ़ साल का होने के बाद उसमें सुस्ती और कमजोरी आने लगी। जब उसे सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब जांच में एसएमए टाइप-1 बीमारी का पता चला। इलाज के लिए 16 करोड़ रुपये की जरूरत थी, जिसे जुटाना उनके लिए असंभव था।
डॉक्टरों, व्यापारियों और आम नागरिकों ने किया सहयोग
इसके बाद इंपैक्ट गुरु फाउंडेशन आगे आया और सोशल मीडिया पर अभियान शुरू किया। पूरे गुजरात से डॉक्टरों, व्यापारियों और आम नागरिकों ने इसमें सहयोग किया। कुछ लोगों ने 50 रुपये तो कुछ ने 100 रुपये दान दिए, जिससे 16 करोड़ रुपये की राशि एकत्र हो गई। सरकार ने भी इसमें सहयोग करते हुए टैक्स माफ कर दिया।
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अगले तीन महीने तक की जाएगी बच्चे की निगरानी
डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की नियमित निगरानी अगले तीन महीने तक की जाएगी। उसकी मांसपेशियों की ताकत, श्वसन प्रणाली और लिवर की स्थिति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इस दौरान उसे स्टेरॉयड थेरेपी भी दी जाएगी, ताकि शरीर पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े। डॉ. सिद्धार्थ शाह ने बताया कि इंजेक्शन को लाने से लेकर उसे बच्चे को देने तक की प्रक्रिया बेहद संवेदनशील थी, जिसमें किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं थी। मुंबई और अमेरिका के विशेषज्ञों के साथ लगातार संपर्क रखा गया, जिससे प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया।