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आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपना 54वां जन्मदिन ( rahul gandhi birthday ) मना रहे हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने नेता के जन्मदिन के लिए खासी तैयारियां की हैं। राहुल गांधी का यह जन्मदिन कई मायनों में खास है।
पिछले कुछ समय में राहुल गांधी ने उनकी नौसिखिए नेता की छवि को पूरी तरह बदल दिया है। देशभर में पैदल यात्रा करके और लोगों से जुड़कर अब वे एक जन नेता की तरह उभर गए हैं।
इसका परिणाम भी उनकी पार्टी को साफ मिला। लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने 99 सीटों पर जीत दर्ज की। उन्होंने खुद अपनी दोनों सीटों- रायबरेली और वायनाड से जीत दर्ज की। ऐसे में आज समझते हैं कैसा रहा राहुल गांधी का राजनीतिक सफर ( rahul gandhi political journey ) और कैसे बन गए वे पप्पू से एक मास लीडर...
विदेश में पढ़ाई पूरी कर राजनीति में आए
राहुल गांधी को राजनीति विरासत में मिली है। उनके परिवार ने देश को तीन प्रधानमंत्री दिए हैं। 1984 में उनकी दादी और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राहुल और उनकी बहन प्रियंका गांधी की स्कूलिंग सुरक्षा कारणों से घर पर ही हुई। उस समय राहुल केवल 14 साल के थे।
इसके बाद राहुल ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से एम. फिल की उपाधि हासिल की। इसके अलावा उन्होंने 3 साल एक मैनेजमेंट कंसल्टेंसी फर्म के साथ काम भी किया।
2004 में राहुल ने पहली बार राजनीति में कदम रखा। उन्होंने गांधी परिवार की परंपरागत सीट अमेठी जीती। वे लगातार तीन टर्म अमेठी के सांसद रहे। 2019 में अमेठी में राहुल की हार हुई। हालांकि वे केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद चुनकर आए। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल ने वायनाड और रायबरेली से जीत दर्ज की। हालांकि वे रायबरेली के ही सांसद बने रहेंगे।
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राहुल के खिलाफ चला पप्पू कैंपेन
अपने राजनीतिक करियर के शुरुआती दिनों में राहुल को कई तरह की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उन्हें अयोग्य नेता समझा जाता रहा। साथ ही नेहरू-गांधी परिवार से होने के चलते लगातार परिवारवाद के आरोप भी लगते आए हैं। 2014 और 2019 की लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार का ठीकरा गांधी के सिर पर ही फोड़ा गया।
उनके खिलाफ एक पूरा कैंपेन चला जिसमें राहुल गांधी की एक नासमझ नेता की छवि बनाई गई। राहुल को पप्पू कहकर संबोधित किया जाता। सोशल मीडिया पर यह एक तरह का मीम बन चुका था। उनके राजनीतिक ज्ञान पर भी सवाल उठाए गए।
राहुल के कई बयानों को भी तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया। हालांकि अपने करियर के शुरुआती दिनों में राहुल से गलतियां भी हुईं। उन्हें 'भ्रष्टाचा'र और 'बलात्कार' शब्दों में कंफ्यूज होते, 'आलू चिप्स की फैक्ट्री' को 'आलू बनाने की फैक्ट्री' बोलते और स्टीव जॉब्स को माइक्रोसॉफ्ट का बताते हुए देखा गया है।
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2023 में भारत जोड़ो यात्रा से कमबैक
2019 की लोकसभा में कांग्रेस की करारी हार के बाद राहुल का विरोध बढ़ने लगा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। राहुल ने लोगों से जुड़ना शुरू किया।
2023 में एक ओर उन्होंने मोदी उपनाम वाले विवाद के चलते अपनी सांसदी गवाईं तो दूसरी ओर दक्षिण भारत में भारत जोड़ो यात्रा ने उनके मिशन 2024 की तैयारी कर दी।
इस दौरान उनके "नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलनी है" बयान ने लाखों लोगों का दिल जीता। इसके बाद 2024 में उन्होंने भारत जोड़ो न्याय यात्रा की। उन्होंने देश के विभिन्न प्रदेशों में जनसंपर्क किया। राहुल गांधी के बयान और उनकी सोच ने लोगों को खासा प्रभावित किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल एक जन नेता बनकर उभर गए हैं। उनके नेता प्रतिपक्ष बनने की भी पूर्ण संभावना है।
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सहजता से जीता लोगों का दिल
राहुल गांधी ने अपनी सहजता से लोगों का दिल जीता है। उन्हें पूरे चुनाव प्रचार के दौरान सफेद रंग की एक टी शर्ट में देखा गया। अपनी यात्राओं के दौरान भी राहुल ने एक साधारण व्यक्ति की छवि बनाई रखी।
वे लोगों से बात करते, उनके घरों का खाना खाते और उनकी समस्याएं सुलझाने का वादा करते। लोगों से अपने घर परिवार की बाते कर राहुल एक इमोशनल कनेक्ट भी बनाते हैं। वहीं कुछ मजाकिया बयान जैसे- "फटा-फट" और "टका-टक" से वे लोगों का ध्यान आकर्षित करना भी भली भांति सीख गए हैं।
उनके बयानों में अब तर्क ज्यादा दिखाई देता है। अपने खिलाफ चलाए गए कैंपेन का जवाब भी अब राहुल स्मार्टली देते हैं। जो उन्हें अयोग्य कहते रहे उन्हें जवाब देते हुए राहुल ने कहा- "अगर मैं अयोग्य हूं, बेकार हूं, तो भारत के लोग यह देखेंगे।" गांधी की बढ़ती पॉपुलैरिटी को देखते हुए अब उनके प्रधानमंत्री बनने के चर्चे भी शुरू हो गए हैं।
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