/sootr/media/media_files/2025/09/26/hypertension-2025-09-26-18-18-21.jpg)
Photograph: (thesootr)
भारत में हाइपरटेंशन (High Blood Pressure) अब एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है, जो देश की 30% से अधिक आबादी को प्रभावित कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की 2025 ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 21 करोड़ से ज्यादा लोग हाइपरटेंशन से जूझ रहे हैं।
यह बीमारी न केवल दिल और दिमाग पर दबाव डालती है, बल्कि अगर सही समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो इससे दिल का दौरा (Heart Attack), स्ट्रोक (Stroke), किडनी फेलियर (Kidney Failure), और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
हाइपरटेंशन का असर
हाइपरटेंशन की समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है और इसका असर बड़े पैमाने पर दिख रहा है। WHO की रिपोर्ट के अनुसार, 30 से 79 साल की उम्र के 21 करोड़ लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, जिनमें से अधिकांश को इस बीमारी के बारे में जानकारी भी नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक-
- पारंपरिक स्वास्थ्य समस्या: भारत में हाई ब्लड प्रेशर से प्रभावित लोगों का आंकड़ा 21 करोड़ को पार कर चुका है।
- जानकारी की कमी: केवल 39% लोग जानते हैं कि उन्हें हाइपरटेंशन है।
- नियंत्रण की कमी: 83% लोग इस पर नियंत्रण पाने में असफल हैं, जबकि सिर्फ 17% लोग ही इसे नियंत्रित करने में सफल हुए हैं।
ये खबर भी पढ़ें...
WHO रिपोर्ट और वैश्विक आंकड़े
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 2025 की ग्लोबल रिपोर्ट में हाइपरटेंशन के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है। 2024 तक, पूरी दुनिया में 140 करोड़ लोग हाई ब्लड प्रेशर से प्रभावित थे, जो विश्व की 34% आबादी का हिस्सा है। लेकिन, WHO का कहना है कि केवल 1 में से 5 लोग ही दवा या जीवनशैली में बदलाव से इस पर नियंत्रण पा पाते हैं।
WHO के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्रेयसस का कहना है कि कि हर घंटे 1000 से अधिक लोग हाइपरटेंशन से जुड़ी बीमारियों की वजह से मर जाते हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
ये खबर भी पढ़ें...
इन्वेस्टमेंट के नाम पर 50 लाख की ठगी का पर्दाफाश: फर्जी एमसीएक्स कंपनी ने ऐसे खेला खेल...
हाइपरटेंशन के इलाज में समस्याएं...हाइपरटेंशन के इलाज में कई समस्याएं हैं, जिनके कारण लाखों लोगों तक उपचार नहीं पहुंच पाता। इनमें शामिल हैं-
|
ये खबर भी पढ़ें...
रॉयल्टी को लेकर छिड़ी बड़ी बहसः क्या है हिंदी साहित्य का आर्थिक भविष्य?
इलाज के लिए चुनौतियां...
- स्वास्थ्य नीतियों की कमी: शराब, तंबाकू, नमक और ट्रांस फैट पर सही नीतियों का अभाव।
- डॉक्टरों और उपकरणों की कमी: ग्रामीण इलाकों में डॉक्टरों की कमी और जांच उपकरण की उपलब्धता न होना।
- सप्लाई चेन की समस्याएं: दवाओं की सप्लाई चेन में समस्याएँ और असमान वितरण।
जेनेरिक दवाओं से राहत
भारत में कुछ राज्य सरकारों ने इस समस्या पर काबू पाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। 2018-2019 से सरकार ने सरकारी क्लीनिकों में मुफ्त जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराई हैं, जिससे मरीजों को राहत मिल रही है।
- पहले: केवल 14% मरीजों का ब्लड प्रेशर कंट्रोल था।
- अब: पंजाब और महाराष्ट्र में यह आंकड़ा 70-81% तक पहुंच चुका है। इसके अलावा, सिस्टोलिक बीपी (Systolic BP) में 15-16 mmHg की कमी आई है।
ये खबर भी पढ़ें...
WHO की अपील
WHO का कहना है कि सभी देशों को हाइपरटेंशन कंट्रोल को अपनी स्वास्थ्य योजना में शामिल करना चाहिए। इसके साथ ही, सही नीतियों, दवाओं की सस्ती उपलब्धता, और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाकर लाखों लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। भारत ने भी इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं और अन्य देशों के मुकाबले सफलता प्राप्त की है।