देसी ब्रांडः जानिए कैसे महाराजा के तोहफे से शुरू हुए मैसूर सैंडल सोप ने तय किया 1,788 करोड़ रुपए तक का टर्नओवर

मैसूर सैंडल सोप की कहानी 1916 में शुरू हुई सरकारी चंदन तेल फैक्ट्री से लेकर आज के रिकॉर्ड-ब्रेकिंग मुनाफे तक की यात्रा को दर्शाती है। विरासत, संघर्ष और इनोवेशन के साथ कंपनी ने खुद को भारतीय बाजार में एक मजबूत ब्रांड के रूप में स्थापित किया है। 

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Manish Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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Be इंडियन-Buy इंडियन: भारत ही नहीं दुनियाभर के देशों में अपनी धाक जमाने वाले देसी ब्रांड मैसूर सैंडल सोप को बनाने वाली कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट्स लिमिटेड यानी KSDL की सफलता की कहानी भारतीय ब्रांड के जज्बे, संघर्ष और सैकड़ों साल के विरासत की मिसाल पेश करती है। साल 1916 में शुरू हुई सरकारी चंदन तेल फैक्ट्री से लेकर 2025 की रिकॉर्ड-ब्रेकिंग बिक्री और मुनाफे तक, यह कहानी हीरोज्म, इनोवेशन और भारतीयता की महक को संजोए हुए है।

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कैसे हुई मैसूर सैंडल सोप की शुरुआत

1916 में मैसूर के महाराजा कृष्णराज वाडियार और उनके दीवान मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया ने भारत में उपलब्ध चंदन की सरप्लस मात्रा का इस्तेमाल करने के लिए सरकारी चंदन तेल कारखाना शुरू किया। इसका उद्देश्य था बेहतरीन सेंडलवुड ऑयल निकालना और घरेलू इस्तेमाल के लिए नैचुरल प्रोडक्ट तैयार करना।

1918 में महाराजा को गिफ्ट के रूप में कुछ साबुन मिले थे, जिन्हें भारतीय सेंडलवुड ऑयल से तैयार किया गया था। तभी विचार आया कि भारत के लिए अपना स्वतः निर्मित चंदन साबुन बनाया जाए। इसी सोच के साथ बेंगलुरु में गवर्नमेंट सैंडल सोप फैक्ट्री शुरू हुई और 'मैसूर सैंडल सोप' के नाम से पहला ब्रांड बाजार में उतरा।

मैसूर सैंडल सोप ब्रांड की शुरुआती संघर्ष की कहानी

पहले विश्व युद्ध के समय चंदन तेल के निर्यात में समस्याएं आईं, जिससे घरेलू अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा। शुरुआती दौर में उत्पादन सीमित था और सालाना सिर्फ 4,000 टन साबुन बनता था। ब्रांड को जनता के बीच पहुंचाने में काफी मेहनत लगी।

ब्रांड की पहचान और गुणवत्ता को स्थापित करने के लिए कंपनी ने शानदार अभियान और पैकेजिंग की। 1980 में सरकार ने साबुन कारखाना टेकओवर करते हुए कर्नाटक सोप्स एंड डिटर्जेंट्स लिमिटेड (KSDL) संस्था बनाई जिसके बैनर तले मैसूर सैंडल सोप और अन्य प्रोडक्ट तैयार होने लगे।

उत्पादन बढ़ाने की जल्दी में गलतियां भी हुईं। डिमांड के अनुपात में क्षमता बहुत ज्यादा बढ़ा दी गई, जिसके कारण माल का भारी स्टॉक बच गया और नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन, कंपनी ने संकट के समय में हार नहीं मानी बल्कि प्रबंधन ने अपने कामकाज को बेहतर किया और दोबारा उन्नति की राह पकड़ी।

मैसूर सैंडल सोप ब्रांड की सफलता की कहानी

धीरे-धीरे मैसूर सैंडल सोप का नाम गुणवत्ता की पहचान बन गया। नैचुरल सेंडलवुड ऑयल से तैयार ब्रांड की विशिष्ट खुशबू और शुद्धता ने इसे भारतीय जनमानस में खास जगह दिला दी। आर्थिक संकट के दौरान राजकीय मदद और री स्ट्रक्चरिंग के बाद कंपनी ने 1990 के दशक में फिर से बाजार में पकड़ मजबूत की। इसके बाद KSDL ने विविधता लाते हुए अगरबत्ती, हर्बल साबुन, हैंडवॉश और टेल्क पाउडर जैसे नए प्रोडक्ट लॉन्च किए।

आज कंपनी की ब्रांडिंग में तमन्ना भाटिया जैसे सेलेब्रिटी चेहरों को शामिल किया गया है। KSDL के चेयरमैन के अनुसार, सरकारी स्वामित्व के बावजूद कंपनी की सफलता का मूल कारण 'आत्मनिर्भरता' और 'प्रबंधन को मिली स्वतंत्रता' है।

आज बाजार में मैसूर सैंडल सोप की क्या स्थिति है?

2025 में मैसूर सैंडल सोप ने 1,788 करोड़ रुपए की बिक्री और 416 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया। कंपनी तीसरे स्थान पर है सरकारी डिविडेंड भुगतान के मामले में। कंपनी ने 43,144 मीट्रिक टन साबुन और डिटर्जेंट बेचे और 2025-26 में 1,819 करोड़ के कारोबार का लक्ष्य रखा गया है। कंपनी के उत्पाद आज न केवल देश-भर में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोकप्रिय हैं, 23.3 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट हुआ।

ब्रांड मैसूर सैंडल सोप की मार्केट में पॉजिशन

आज मैसूर सैंडल सोप भारतीय साबुन और डिटर्जेंट उद्योग में नेतृत्व की भूमिका निभा रही है। यह न केवल एक प्रतिष्ठित सरकारी ब्रांड है, बल्कि अपने शुद्ध चंदन तेल और 'मेड इन इंडिया' स्वाभिमान के साथ देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड्स में गिना जाता है। गुणवत्ता, ग्राहकों का भरोसा, और पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी को कंपनी अपने मूल मंत्र के रूप में मानती है।

मैसूर सैंडल सोप ब्रांड का मूल मंत्र

स्वदेशी कंपनी का मूल मंत्र है - गुणवत्ता, शुद्धता, ग्राहकों की संतुष्टि और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण। 'मेड इन इंडिया', 'शुद्ध चंदन' और भारतीय भावनाओं के साथ - मैनेजमेंट ट्रांसपेरेंसी और इनोवेशन से बाजार में अपनी स्थायी जगह बनाए रखना ही इसकी यूएसपी है।

इस कहानी से क्या सीखा जा सकता है

मैसूर सैंडल सोप की कहानी बताती है कि विरासत और सांस्कृतिक अस्मिता को आधुनिकता से जोड़कर भी व्यावसायिक सफलता पाई जा सकती है। कठिनाइयां आना निश्चित है, लेकिन अच्छे मैनेजमेंट और इनोवेशन से संकट से बाहर निकला जा सकता है। 'ब्रांड स्टोरी' केवल प्रोडक्ट के इर्द-गिर्द नहीं होती, बल्कि मूल्यों, संस्कृति और ग्राहकों के साथ संवाद की भी होती है।

इस कहानी से नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक ताकत के साथ व्यापारिक दृष्टि और आत्मनिर्भरता का पाठ मिलता है।

स्रोत:

https://www.mysurusandal.co.in/ShoppingCart/ContactUs
Research Articles on Mysore Sandal Soap Innovation and Market Trends
Industry Insights from Leading FMCG Experts

FAQ

KSDL का सबसे प्रसिद्ध उत्पाद कौन सा है?
'मैसूर सैंडल सोप' KSDL का सबसे प्रसिद्ध और पुराना उत्पाद है, जो प्राकृतिक चंदन तेल और खास खुशबू के लिए जाना जाता है।
क्या KSDL पूरी तरह से सरकारी कंपनी है?
हां, KSDL कर्नाटक सरकार के स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनी है।
KSDL का चंदन साबुन खास क्यों है?
यह दुनिया का इकलौता साबुन है जिसमें शुद्ध चंदन तेल का उपयोग होता है और इसे जीआई टैग भी मिला है।

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