देसी ब्रांडः जानिए 25 रुपए से शुरू हुए अमूल ने कैसे खड़ा किया 90,000 करोड़ का साम्राज्य

अमूल की सफलता 1946 में गुजरात के आनंद जिले से शुरू हुई, जब किसानों ने बिचौलियों के शोषण के खिलाफ सहकारी आंदोलन शुरू किया। आज, अमूल भारत की शीर्ष डेयरी कंपनी है, जो 50 देशों में अपनी पहचान बना चुकी है।

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Manish Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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Be इंडियन-Buy इंडियन: स्वदेशी और देसी ब्रांड अमूल की सफलता की कहानी एक प्रेरणादायक वीरता और संघर्ष की दास्तान है, जो 1946 में गुजरात के आनंद जिले से शुरू हुई। उस दौर में दूध से जुड़ा कारोबार पूरी तरह से पोलसन डेयरी नामक ब्रिटिश स्वामित्व वाली कंपनी के कब्जे में था। किसान मेहनत करते थे, लेकिन दलालों और बिचौलियों के दबाव में उनका स्वार्थी शोषण होता था। यही बिंदु था जहां से अमूल की शुरुआत हुई, जो एक विशाल क्रांति में तब्दील हो गई।

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अमूल की शुरुआत और शुरुआती संघर्ष

1946 में आनंद के किसान बिचौलियों के शोषण से आतंकित थे, जो उनके दूध को मनमाने दामों पर खरीदकर मोटा मुनाफा कमाते थे। इस अन्याय के खिलाफ किसानों ने विद्रोह किया। राष्ट्रीय नेता सरदार वल्लभभाई पटेल और त्रिभुवनदास पटेल ने किसानों को बिचौलियों से छुटकारा पाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने किसान-स्वामित्व वाला सहकारी आंदोलन शुरू किया और 14 दिसंबर 1946 को आनन्द मिल्क यूनियन लिमिटेड (AMUL) की स्थापना की गई।

इस शुरुआत में केवल 247 लीटर दूध की सप्लाई थी और सीमित संसाधन। पोलसन डेयरी का दबदबा था, जो मनमानी कीमत पेश करता और किसानों को नुकसान पहुंचाता था। अमूल ने किसानों को अपने उत्पाद पर नियंत्रण देने के लिए एक समर्थ को-ऑपरेटिव मॉडल अपनाया, जिससे किसान स्वयं दूध उत्पादन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग के पहले पूर्ण स्वामित्व वाले भागीदार बने। शुरुआती दौर में कई चुनौतियां आईं जैसे वितरण नेटवर्क का अभाव, संसाधनों की कमी, और विपणन में कठिनाइयां। लेकिन किसानों ने हार नहीं मानी।

अमूल की सफलता का सफर

1950 के दशकों में अमूल ने सहकारी संगठन को मजबूत किया और आधुनिक डेयरी प्रौद्योगिकियों को अपनाया। श्वेत क्रांति के वक्त डॉ. वर्गीज कुरियन ने अमूल का नेतृत्व संभाला और इसे देश का पहला विशाल डेयरी ब्रांड बनाने के लिए रणनीतियां बनाईं। अमूल ने दुनिया में पहला भैंस के दूध वाला स्कीम्ड मिल्क पाउडर बनाया। 

अमूल गर्ल वाला विज्ञापन अभियान भी ब्रांड की लोकप्रियता का एक बड़ा कारण था। इसके कार्टून विज्ञापन ने लोगों के दिलों में गहरा स्थान बनाया और अमूल के प्रति एक गहरा भरोसा पैदा किया। अमूल ने लगातार नए उत्पाद बाजार में उतारे, दूध, मक्खन, दही, पनीर से लेकर आइसक्रीम, और यहां तक कि हेल्दी और प्राकृतिक उत्पादों जैसे हल्दी आइसक्रीम तक। 

अमूल ने केवल भारत में ही नहीं, बल्कि 50 से अधिक देशों में अपनी पहुंच बनाई है। इसकी सहकारी संरचना में 36 लाख से अधिक किसान जुड़े हैं, जो इसे विश्व की सबसे बड़ी सहकारी डेयरी संस्था बनाती है। इसके वितरण नेटवर्क में 1,50,000 से अधिक डेयरी सहकारी समितियां और 7000 से अधिक एक्सक्लूसिव स्टोर शामिल हैं। 

आज बाजार में अमूल की स्थिति और ब्रांड की पॉजिशन

आज अमूल भारत में शीर्ष दुग्ध उत्पादक कंपनी है, जिसका डीमैट टर्नओवर 90,000 करोड़ रुपए से अधिक है। अमूल ने भारतीय बाजार में एक ऐसा विश्वास और पहचान बनाई है कि इसे "दूध का स्वाद" और "टेस्ट ऑफ इंडिया" के नाम से जाना जाता है। हालांकि प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है, अमूल का सहकारी मॉडल इसे किसानों के लिए एक स्थायी और सामाजिक आर्थिक शक्ति के रूप में बनाए हुए है।

अमूल अपने उत्पादों की गुणवत्ता, वैज्ञानिक प्रक्रिया, वितरण की विश्वसनीयता और सामाजिक जुड़ाव के कारण बाजार में अपनी अग्रणी स्थिति बनाए रखता है। इसकी मार्केटिंग रणनीतियां, जैसे अमूल गर्ल विज्ञापन, आइकोनिक टैगलाइन "टेस्ट ऑफ इंडिया" और नवाचार वाले प्रोडक्ट, इसे उपभोक्ताओं की पहली पसंद बनाते हैं।

अमूल का मूल मंत्र

अमूल का मूल मंत्र है "किसान के हक की लड़ाई" और "परोपकार के लिए व्यवसाय।" इसका मॉडल किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण देना, स्थानीय समुदायों को मजबूत बनाना, और गुणवत्ता पर कभी समझौता न करना है। अमूल का आदर्श है कि उत्पाद की गुणवत्ता से भले ही कीमत में तालमेल रखें, लेकिन ग्राहकों के विश्वास को कभी न तोड़ें। सहकारी ढांचा और ग्रामीण आत्मनिर्भरता के साथ अमूल ने यह सिद्ध किया कि सामाजिक उद्यमिता के माध्यम से भी बड़ा व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है।

इस कहानी से क्या सीखा जा सकता है

अमूल की कहानी सिखाती है कि कैसे सामूहिक प्रयास, संगठित सहकारी मॉडल, स्थानीय किसानों का सशक्तिकरण, और सही नेतृत्व के माध्यम से शोषण से लड़कर एक छोटा आंदोलन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सफलता की कहानी बन सकता है। यह बताती है कि व्यापार सिर्फ मुनाफे के लिए नहीं, बल्कि समाज के उत्थान के लिए होना चाहिए। साथ ही, नवाचार, गुणवत्ता नियंत्रण और सही मार्केटिंग रणनीतियाँ व्यवसाय को लोकप्रिय और टिकाऊ बनाती हैं।

स्रोत:

https://amul.com › about-us
Research Articles on Amul Innovation and Market Trends
Industry Insights from Leading Dairy Experts

FAQ

अमूल की स्थापना कब और कैसे हुई थी?
अमूल की स्थापना 14 दिसंबर 1946 में गुजरात के आनंद जिले में किसानों के सहकारी आंदोलन से हुई थी, जिसका उद्देश्य दूध पर बिचौलियों के शोषण को खत्म करना था।
अमूल का सबसे प्रसिद्ध विज्ञापन अभियान कौन सा है?
अमूल गर्ल वाला कार्टून आधारित विज्ञापन अभियान सबसे लोकप्रिय है, जिसने लंबे समय तक ग्राहकों का ध्यान खींचा और ब्रांड को घर-घर में पहचान दिलाई।
अमूल किस मॉडल पर चलती है?
अमूल एक सहकारी संरचना (co-operative model) पर कार्य करती है, जिसमें लाखों किसान दूध उत्पादन, प्रोसेसिंग, और मार्केटिंग में भागीदार होते हैं, जिससे किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलता है।

इस प्रकार, अमूल आज सिर्फ एक ब्रांड नहीं, बल्कि किसानों की संघर्षगाथा और भारतीय स्वावलंबन की मिसाल बन चुका है। यह कहानी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्रोत है।

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