पहले केदारनाथ अब कन्याकुमारी , आखिरी चरण की वोटिंग से पहले मोदी करेंगे साधना

पीएम नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के आखिरी फेज की वोटिंग से पहले कन्याकुमारी जाएंगे। वे यहां रॉक मेमोरियल के उसी शिला पर ध्यान लगाएंगे, जहां स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था।

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Dolly patil
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Kedarnath Kanyakumari PM NARENDRA MODI  meditation द सूत्र
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पीएम नरेंद्र मोदी (  Prime Minister Narendra Modi ) हर बार की तरह इस बार भी आखिरी चरण की वोटिंग से पहले साधना में लीन होंगे। लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव खत्म होने के बाद पीएम मोदी ( PM Modi ) ने केदारनाथ में ध्यान लगाया था। उससे पहले हुए चुनाव में वह छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतापगढ़ गए थे।  इस बार पीएम मोदी तमिलनाडु स्थित कन्याकुमारी जाएंगे। वह उसी स्थान ( विवेकानंद रॉक मेमोरियल ) पर साधना करेंगे जहां स्वामी विवेकानंद ने पूरे देश का भ्रमण करने के बाद तीन दिनों तक ध्यान लगाया था और विकसित भारत का सपना देखा था। 

कब करेंगे कन्याकुमारी का दौरा 

मोदी 30 मई की शाम को कन्याकुमारी पहुंचेंगे। मोदी का 30 मई की शाम तक तमिलनाडु के कन्याकुमारी पहुंचने का कार्यक्रम है। विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर 30 मई की रात से 1 जून की शाम तक ध्यान लगाएंगे।

स्वामी विवेकानंद ने भी यहां लगाया था ध्यान 

कहा जाता है कि 1893 में विश्व धर्म सभा में शामिल होने से पहले विवेकानंद तमिलनाडु के कन्याकुमारी गए थे। यहां समुद्र में 500 मीटर दूर पानी के बीच में उन्हें एक विशाल शिला दिखी, जहां तक वो तैरकर पहुंचे और ध्यानमग्न हो गए।

विकसित भारत का देखा था सपना

लोगों का मानना है कि जैसे सारनाथ भगवान गौतम बुद्ध के जीवन में विशेष स्थान रखता है क्योंकि वहां उन्हें बोध यानी ज्ञान प्राप्त हुआ था, वैसे ही यह चट्टान भी स्वामी विवेकानंद के लिए बेहद खास है क्योंकि यहां उन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत का स्मरण करते हुए एक भारत और विकसित भारत का सपना देखा था। यहीं उन्हें भारत माता के दर्शन हुए थे। यहीं उन्होंने अपने बाकी बचे जीवन को भारत के गरीबों को समर्पित करने का निर्णय किया था। स्वामी विवेकानंद पूरे देश का भ्रमण करने के बाद 24 दिसंबर 1892 को कन्याकुमारी पहुंचे थे। 

जानें विवेकानंद रॉक ​​​​​​के बारे में 

विवेकानंद शिला पर विवेकानंद स्मारक बनाने के लिए लंबा संघर्ष चला था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाहक रहे एकनाथ रानडे ने इस शिला पर विवेकानंद स्मारक मंदिर बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. वीवी गिरि ने 2 सितंबर 1970 को स्मारक का उद्घाटन किया था। उद्घाटन समारोह दोमहीने तक चला था। इसमें तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी भी शामिल हुई थीं। अप्रैल में पड़ने वाली चैत्र पूर्णिमा पर यहां चंद्रमा और सूर्य दोनों एक साथ एक ही क्षितिज पर आमने-सामने दिखाई देते हैं। इस स्मारक का प्रवेश द्वार अजंता और एलोरा गुफा मंदिरों के समान है। 
इसका मंडपम कर्नाटक स्थित बेलूर के श्री रामकृष्ण मंदिर के समान है। विवेकानंद शिला का पौराणिक महत्व भी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती भगवान शिव की प्रतीक्षा करते हुए उसी स्थान पर एक पैर पर ध्यान करती थीं। यह भारत का सबसे दक्षिणी छोर है। इसके अलावा यह वह स्थान है जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तटरेखाएं मिलती हैं। यह हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन बिंदु भी है।

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