महालक्ष्मी व्रत : इस उपाय को करने से सभी कष्ट और परेशानियां होंगी दूर

महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है। वैसे तो हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का विशेष महत्व होता है। सोलह दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत का समापन आश्विन मास की अष्टमी तिथि को होता है। इसे गज लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है।

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Ravi Singh
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Maa Lakshmi Vrat
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Mahalaxmi Vrat 2024 : हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है। वैसे तो हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का विशेष महत्व होता है। सोलह दिनों तक चलने वाले महालक्ष्मी व्रत का समापन आश्विन मास की अष्टमी तिथि को होता है। इसे गज लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इसको हाथी पूजा के नाम ने लोग जानते हैं, क्योंकि इसमें हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की पूजा का विधान है। मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत करने से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और देवी लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरसती है। तो आइए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत की पूजन विधि के बारे में.....

महालक्ष्मी व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत 16 दिनों तक रखा जाता है। हालांकि, यह निर्जल व्रत नहीं है, लेकिन इसमें अन्न का सेवन वर्जित है। इस व्रत में आप फलाहार खा सकते हैं। व्रत का समापन 16वें दिन होता है। अगर आप 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत नहीं रख पाते हैं, तो आप पहले 3 या आखिरी 3 व्रत रख सकते हैं। इससे आपकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।

इस मंत्र का जाप करें

ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः मंत्र का जाप करें


पंचांग के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत पर आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि 24 सितंबर को शाम 5:45 बजे से शुरू होगी। महालक्ष्मी व्रत 24 सितंबर को ही रखा जाएगा, क्योंकि महालक्ष्मी व्रत की सप्तमी तिथि 25 सितंबर को शाम 4:44 बजे तक रहेगी। ऐसे में कुछ महिलाएं अपनी सुविधा के अनुसार इस दिन व्रत रख सकती हैं।

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि

देवी लक्ष्मी की पूजा में सबसे पहले पूजा स्थल पर हल्दी से कमल बना लें। उस पर हाथी पर बैठी देवी लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें। पूजा में श्रीयंत्र रखना न भूलें। यह देवी लक्ष्मी का प्रिय यंत्र है। साथ ही सोने-चांदी के सिक्के, फल, फूल और मां के श्रृंगार का सामान भी रखें। एक साफ बर्तन में जल भरकर पूजा स्थल पर रखें। साथ ही इस बर्तन में एक पान का पत्ता रखें और फिर उस पर एक नारियल रखें। फल, फूल, अक्षत से पूजा करें। चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें।

महालक्ष्मी का भोग

इस दिन देवी लक्ष्मी को मालपुआ का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है। मालपुआ मिठास और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। मालपुआ बनाने के लिए मैदा और खोया से दो अलग-अलग घोल तैयार किए जाते हैं। दोनों घोल बनाने के बाद घी लगाकर धीमी आंच पर सेंक लें। चाशनी में डुबोने के बाद ऊपर से बादाम, पिस्ता और केसर डालें।

हाथी के नीचे आटे का दीया जलाएं

महालक्ष्मी की पूजा में आटे के 16 दीये बनाकर उनमें घी की बाती डालकर हाथी के ऊपर रख दिया जाता है। पूजा के दौरान ये दीये जलाए जाते हैं और पूजा संपन्न होती है। पूजा संपन्न होने के बाद इनमें से कोई भी एक दीया उठाकर अपने सिर से 5 या 7 बार दक्षिणावर्त घुमाकर हाथी के किसी एक पैर के नीचे रख दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से लोगों के सभी कष्ट और परेशानियां दूर हो जाती हैं।

महालक्ष्मी व्रत कथा

एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण महिला रहती थी। वह नियमित रूप से भगवान विष्णु की पूजा करती थी। भक्त की भक्ति से प्रसन्न होकर विष्णुजी उसके सामने प्रकट हुए और भक्त से वरदान मांगने को कहा। ब्राह्मण महिला ने कहा, मैं बहुत गरीब हूं, मेरी इच्छा है कि मेरे घर में देवी लक्ष्मी का वास हो। विष्णुजी ने ब्राह्मण महिला को एक उपाय बताया ताकि देवी लक्ष्मी उसके घर आएं। भगवान विष्णु ने बताया कि तुम्हारे घर से कुछ दूरी पर एक मंदिर है, वहां एक महिला आती है और गोबर के उपले बनाती है। तुम उस महिला को अपने घर आमंत्रित करो। क्योंकि वह देवी लक्ष्मी है। ब्राह्मण महिला ने वैसा ही किया और उस महिला को अपने घर आने का निमंत्रण दिया। उस महिला ने ब्राह्मण महिला से कहा कि वह 16 दिनों तक देवी लक्ष्मी की पूजा करे। ब्राह्मण महिला ने 16 दिनों तक देवी लक्ष्मी की पूजा की। इसके बाद देवी लक्ष्मी उस गरीब ब्राह्मण महिला के घर में निवास करने लगीं। इसके बाद उसका घर धन-धान्य से भर गया। मान्यता है कि तभी से 16 दिनों तक चलने वाला महालक्ष्मी व्रत शुरू हुआ। जो व्यक्ति 16 दिनों तक महालक्ष्मी व्रत रखता है और लक्ष्मी जी की पूजा करता है, देवी लक्ष्मी उससे प्रसन्न होती हैं और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।

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