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राजस्थान के नीम का थाना जिला का नया बास गांव अब तक चोरी और डकैती के लिए काफी बदनाम था। साथ ही ऐसा भी कहा जाता था कि इस जिले से चोरी और सीनाजोरी जैसी कहावत निकली है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि नया बास गांव अब अधिकारियों के नाम से चर्चित हो गया है। दरअसल इस 800 घरों वाले गांव में 500 से ज्यादा सरकारी अधिकारी, 15 आईएएस समेत 25 सिविल सर्वेंट हैं। 4 दशक में गांव के 1600 से ज्यादा लोग सरकारी कर्मचारी बने है।
अफसरों से की बात
मीडिया ने जब इस गांव से निकले अफसरों से बात कि तो उनका कहना था कि जैसे ही हम लिखित परीक्षा पास कर के इंटरव्यू के लिए गए तो हम से यहीं पूछा गया कि नया बास क्यों चर्चित है।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि 80-90 के दशक तक यह सवाल असहज करता था। लेकिन इसी ताने ने पढ़े-लिखे लोगों को जगाया और गांव के नाम पर लगा दाग धो दिया।
पूरा गांव गलत रास्ते पर
जानकारी के मुताबिक 9 जून 1972 को नया बास में 5 हजार पुलिसकर्मी पहुंचे थे। पहुंचे ही उन्होंने गांव को चारों ओर से घेर लिया था। ऑपरेशन का नेतृत्व तत्कालीन सीएम बरकतुल्लाह खान व गृहमंत्री कमला बेनीवाल कर रहे थे। इसी के साथ इक्का-दुक्का परिवारों को छोड़ दें तो पूरा गांव चोरी, डकैती, अवैध शराब जैसे धंधे में शामिल था।
गांव का नया अध्याय
1972 की घटना के बाद गांव का नया अध्याय शुरू हुआ। गांव के दो-चार युवक सेना, पुलिस व लोअर ग्रेड की सरकारी नौकरी तक पहुंच गए। इन्हीं में थे आईबी में सब इंस्पेक्टर केएल मीणा।
चोरी के एक मामले में पुलिस ने गांव घेर रखा था। संयोग से मीणा उस दिन गांव आए थे। इन्हें गिरफ्तार तो नहीं किया पर पूछताछ की गई थी। इसी के साथ पुलिस ने गांव में सबसे बदसलूकी की।
यह देख टीस लगी कि कुछ लोगों के गुनाह की सजा बेगुनाह भुगत रहे हैं। उन्होंने ऐलान किया कि अब पुलिस आई तो उनकी टीम बताएगी कि चोर कौन है।
इसके बाद मीणा ने तैयारी की और पहली कोशिश में आईएएस बन गए। ये घटना के बाद भी कमजोर तबके के लोग आपने बच्चों को पढ़ाने बाहर भेज रहे हैं। चाहे अब उनको कर्ज क्यों न लेना पड़ा रहा है।
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