H-1B वीजा धारकों को चुकानी होगी 88 लाख रुपए फीस, कल तक नहीं दी अमेरिका में No Entry

डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा के लिए फीस बढ़ाकर एक लाख डॉलर (88 लाख रुपए) कर दी है। यह बदलाव भारतीय वीजा धारकों के लिए गंभीर समस्या पैदा करेगा।

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Jitendra Shrivastava
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अमेरिकी वीजा नीति: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है, जिसके अनुसार H-1Bअमेरिकी वीजा फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपए कर दी गई है। इससे भारत समेत अन्य देशों के पेशेवरों को अमेरिकी कंपनियों में काम करने के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। इस फैसले से H-1B वीजा धारकों और उन कंपनियों के लिए जिनमें विदेशी कर्मचारी काम करते हैं, दिक्कतें बढ़ने वाली हैं।

H-1B वीजा क्या है?

H-1B वीजा अमेरिकी सरकार द्वारा जारी किया गया एक कार्य वीजा है, जिसे विशेष रूप से विदेशी पेशेवरों को अमेरिका में काम करने के लिए दिया जाता है। इस वीजा के तहत, कंपनियां विशिष्ट कौशल वाले विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में काम पर रख सकती हैं। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने इसके दुरुपयोग को रोकने के लिए इसे कड़ा बना दिया है।

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ट्रंप के नए आदेश का असर

अब से, किसी भी H-1B वीजा धारक को अमेरिका में प्रवेश करने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके नियोक्ता ने उनकी वीजा फीस के रूप में 1 लाख अमेरिकी डॉलर का भुगतान किया हो। इस आदेश के बाद, यदि कोई भारतीय H-1B धारक रविवार (21 सितंबर) रात 12:01 बजे EDT (भारतीय समय अनुसार सुबह 9:30 बजे) के बाद अमेरिका में प्रवेश करने का प्रयास करता है, तो उसे प्रवेश नहीं मिलेगा। इसके साथ ही, यह आदेश नए H-1B वीजा और वीजा एक्सटेंशन के लिए भी लागू होगा।

फीस में वृद्धि का उद्देश्य

इस वृद्धि का मुख्य उद्देश्य H-1B वीजा कार्यक्रम के गलत इस्तेमाल को रोकना है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इस निर्णय से केवल उन्हीं कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने का अवसर मिलेगा जिनके पास इसके लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन होंगे। बड़ी कंपनियों, खासकर आईटी सेक्टर की कंपनियों को इस बदलाव से विशेष असर पड़ने वाला है, क्योंकि यह उनके लिए बहुत बड़ी वित्तीय बोझ बन जाएगा।

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भारत पर असर

H-1B वीजा धारक भारतीय पेशेवरों के लिए यह फैसला खासकर चिंता का विषय है। H-1B वीजा धारकों में भारतीयों की संख्या सबसे अधिक है। अमेरिकी नागरिकता और इमिग्रेशन सेवा (USCIS) के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 और 2023 के बीच जारी किए गए लगभग 4 लाख H-1B वीजा में से 72 प्रतिशत भारतीयों के हैं।

12 महीने के लिए प्रतिबंध

यह निर्णय 12 महीने के लिए लागू होगा, लेकिन यह उस समय अवधि के दौरान और बढ़ाया भी जा सकता है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक कि विदेशी कर्मचारी अमेरिका में काम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा या अमेरिकी कल्याण के लिए खतरे के रूप में नहीं पाए जाते।

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माइक्रोसॉफ्ट और अन्य कंपनियों की स्थिति

इस नए आदेश से कंपनियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ेगा, खासकर उन कंपनियों पर जिनके पास भारतीय कर्मचारियों की बड़ी संख्या है। माइक्रोसॉफ्ट जैसे दिग्गज ने अपने भारतीय कर्मचारियों को जल्द से जल्द अमेरिका वापस लौटने की सलाह दी है ताकि वे नए नियमों के तहत फंसे न जाएं।

H-1B वीजा फीस का प्रभाव

अब H-1B वीजा धारकों को हर वर्ष 1 लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क चुकाना होगा, जबकि पहले यह शुल्क केवल 1,500 अमेरिकी डॉलर था। इसके अलावा, वीजा की अवधि बढ़ाने के लिए भी यही शुल्क चुकाना पड़ेगा। इसका प्रभाव भारत में रहने वाले हजारों पेशेवरों पर पड़ सकता है जो H-1B वीजा की मंजूरी का इंतजार कर रहे थे।

FAQ

ट्रंप का यह फैसला भारतीय H-1B वीजा धारकों को कैसे प्रभावित करेगा?
इस फैसले से भारतीय H-1B वीजा धारकों को अमेरिका में काम करने में अधिक कठिनाइयाँ आएंगी। फीस के बढ़ने से छोटी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने में दिक्कत होगी, और बड़ी कंपनियों को भी वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ेगा।
H-1B वीजा धारकों ने नई फीस नहीं दी तो भारतियों को आ आ सकती है समस्या?
जो H-1B वीजा धारक अमेरिका से बाहर हैं, वे 21 सितंबर की मध्यरात्रि से पहले अगर अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाते, तो उन्हें वीजा के नए नियमों के कारण प्रवेश में समस्या हो सकती है। इसके लिए कंपनियां अब जल्दी से अपने कर्मचारियों को वापस बुला रही हैं।

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