Gwalior. मध्य प्रदेश के ग्वालियर का जीवाजी विश्वविद्यालय हमेशा अपने कारनामों को लेकर सुर्खियों में रहता है। अबकी बार फिर जीवाजी विश्वविद्यालय में फर्जीवाड़े का एक और कारनामा सामने आया है। जीवाजी विश्वविद्यालय ने 278 कॉलेजों को बिना निरीक्षण किए मान्यता दे दी है। परंपरागत तरीके से संचालित 278 कॉलेजों को देर रात ई प्रवेश पोर्टल पर अपलोड किया गया। खास बात यह है कि इन कॉलेजों का न तो निरीक्षण कराया गया और ना ही स्थाई समिति और कार्यपरिषद में इन्हें संबद्धता देने का प्रस्ताव रखा। वहीं इस संबंध में विश्वविद्यालय के कुलपति अविनाश तिवारी का अब तक कोई बयान भी सामने नहीं आया।
शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं
कार्यपरिषद की बैठक में कॉलेजों को सत्र 2022-23 की संबद्धता के लिए उनका निरीक्षण कराने का फैसला लिया गया था। कॉलेजों में ऑनलाइन प्रवेश शुरू हो चुका है और जिन कॉलेजों को पोर्टल पर प्रदर्शित होना था, उन कॉलेजों का पहले जीवाजी विश्वविद्यालय को निरीक्षण करना था। इसके बाद पोर्टल पर प्रदर्शित होने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देना था। लेकिन जीवाजी विश्वविद्यालय ने बिना निरीक्षण के अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर दिया। इसको लेकर कार्यपरिषद सदस्यों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। कार्यपरिषद सदस्य डॉ. मुनेंद्र सिंह सोलंकी का कहना है कि, यह नियम ठीक नहीं है। इस मामले में कुलपति से चर्चा कर आपत्ति दर्ज करा दी गई, लेकिन अभी तक इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया।
विश्वविद्यालय प्रबंधन गलती छिपाने के आरोप
नियमानुसार कॉलेजों का निरीक्षण किए जाने के बाद निरीक्षण रिपोर्ट को स्थाई समिति और कार्य परिषद में रखा जाता है। इसके बाद ही इन कॉलेजों को प्रवेश प्रक्रिया में शामिल किया जाता है। इसके उलट जीवाजी विश्वविद्यालय में 278 कॉलेजों को बिना निरीक्षण के ई-प्रवेश पोर्टल पर अपलोड कर दिया। इस मामले को लेकर अब विश्वविद्यालय प्रबंधन अपने आप को छिपाते हुए नजर आ रहा है।