2021 में MP में बड़े निर्णय: लव जिहाद से कमिश्नर सिस्टम तक, जानें शिवराज के 6 फैसले

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2021 में MP में बड़े निर्णय: लव जिहाद से कमिश्नर सिस्टम तक, जानें शिवराज के 6 फैसले

भोपाल. कोरोना की दूसरी लहर की तबाही और तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच ये साल उथल-पुथल भरा रहा। फिर भी इस साल शिवराज सरकार ने कई अहम फैसले लिए हैं। जिसमें आदिवासियों के लिए पेसा एक्ट, भोपाल-इंदौर में कमिश्नर सिस्टम, लव जिहाद कानून, प्रदर्शन के दौरान संपत्ति के नुकसान की वसूली, प्रदेश में महुआ वाली शराब की बिक्री शामिल हैं। पढ़िए इस साल के अहम फैसले (MP Year calendar).....

1. लव जिहाद कानून

प्रदेश में लव जिहाद (Love jihad Law) के खिलाफ शिवराज सरकार धर्म स्वातंत्र्य अध्यादेश 2020 लेकर आई थी। 9 जनवरी 2021 को इसे लागू किया गया था। इसमें बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण (conversion) और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान। ये गैर जमानती अपराध है। अगर कोई शख्स धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता हो तो उसकी शादी शून्य मानी जाएगी। लेकिन ऐसे विवाह के बाद पैदा हुई संतान वैध होगी और उसका अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा। इसकी शिकायत पीड़ित, माता-पिता, पेरेंट्स या गार्जियन द्वारा की जा सकती है। साथ ही धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा। 

2. पेसा एक्ट लागू

सीएम शिवराज सिंह चौहान ने 4 दिसंबर को टंट्या मामा के बलिदान दिवस के मौके पर पेसा एक्ट लागू किया था। पेसा एक्ट यानी पंचायत का अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार किया जाना (Panchayats (Extension to Scheduled Areas Act, 1996)। पेसा एक्ट कहता है कि स्थानीय संसाधनों पर अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) लोगों की समिति को अधिकार दिए जाने चाहिए। इससे ग्राम पंचायतों को जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार मिलता है। इसमें आदिवासी समाज की परंपराओं, रीति-रिवाज, सांस्कृतिक पहचान, समुदाय के संसाधन और विवाद समाधान के लिए अपने परंपरागत तरीकों का इस्तेमाल करना भी शामिल हैं। 1996 में केंद्र सरकार ने इसे लागू किया था। मध्यप्रदेश समेत देश के 10 राज्यों में ये एक्ट लागू था। लेकिन मध्यप्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड में यह पूरी तरह लागू नहीं था। अब ये मध्यप्रदेश में पूरी तरह लागू कर दिया गया है। 

3. इंदौर-भोपाल में कमिश्नर सिस्टम

9 दिसंबर को राजधानी भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम (Police Commissioner system) लागू किया गया था। 10 दिसंबर को भोपाल की जिम्मेदारी सीनियर IPS मकरंद देऊस्कर को मिली है। जबकि इंदौर की जिम्मेदारी हरिनारायणचारी मिश्र (Harinarayan Mishra) सौंपी गई थी। कमिश्नर सिस्टम मौजूदा सामान्य पुलिसिंग व्यवस्था से कई मायनों में अलग है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम में दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC ) के सारे अधिकार IPS को मिल जाते हैं। इस स्थिति में कानून व्यवस्था से जुड़े कोई भी निर्णय पुलिस कमिश्नर तत्काल ले सकते हैं। सामान्य पुलिसिंग व्यवस्था में यह अधिकार कलेक्टर (DM) के पास होते हैं। यानी किसी भी फैसले जैसे- दंगे जैसी स्थिति में लाठीचार्ज या फायरिंग करने के लिए डीएम, एडीएम या एसडीएम से अनुमति लेनी पड़ती है। सामान्य पुलिसिंग व्यवस्था में CRPC जिलाधिकारी यानी कलेक्टर को कानून-व्यवस्था बरकरार रखने के लिए कई शक्तियां प्रदान करता है। 

4. अफसरों के अधिकारों में होगी कटौती

वर्तमान में एडिशनल एसपी (ASP) के चार पद हैं, तो ऐसे में उनके अधीन औसतन 10 थाने आते हैं, नए सिस्टम (New Police system) में उनके 12 पद होने से उनके अधीन 3-4 थाने ही रह गए। इसी तरह CSP के अधीन अभी 3 थाने आते हैं जो कि घटकर 2 थाने ही रहेंगे। आसान भाषा में कहा जाए तो पॉवर के मामले में एसपी अब एडिशनल एसपी की तरह, सीएसपी के अधिकार टीआई की तरह और टीआई भी एसआई की तरह हो गए हैं।

5. सरकारी व निजी संपत्ति नुकसान की वसूली अधिनियम

23 दिसंबर को विधानसभा में सरकारी व निजी संपत्ति नुकसान की वसूली अधिनियम पास कराया गया था। राज्यपाल के सिग्नेचर होने के बाद ये लागू हो गया। इस कानून के दायरे में प्रदर्शनकारी और आंदोलनकारी आएंगे। अगर प्रदर्शन, आंदोलन, पत्थरबाजी के दौरान किसी तरीके से सरकारी (Govt) या निजी संपत्ति (Private Property) को नुकसान पहुंचाया जाता है तो सरकार उन्हीं से इस नुकसान की वसूली (Damage Recovery) करेगी। इस एक्ट को लागू कराने के लिए ट्रिब्यूनल (Tribunal) का गठन होगा। ट्रिब्यूनल के पास सिविल कोर्ट (Civil Court) की ताकत होगी। इसके फैसले को सिर्फ हाईकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। मध्यप्रदेश इस कानून को लागू करने वाला तीसरा राज्य है। इस समय यह कानून हरियाणा और उत्तरप्रदेश में लागू है।

6. MP में हेरिटेज शराब बेचे जाने का ऐलान

22 नवंबर को सीएम शिवराज ने ऐलान किया था कि सरकार महुआ वाली शराब को मंजूरी देगी। यह शराब दुकानों में हेरिटेज शराब के रूप में बेची जाएगी। उन्होंने कहा था कि एक नई आबकारी नीति आ रही है। महुए से अगर कोई भाई-बहन परंपरागत शराब बनाएगा, तो वो अवैध नहीं होगी। हेरिटेज शराब के नाम से वो शराब की दुकानों पर भी बेची जाएगी। हम इसे भी आदिवासी की आमदनी का जरिया बनाएंगे। हालांकि, सीएम ने सिर्फ इसकी घोषणा की है, लेकिन इसे लेकर जल्द ही नई आबकारी नीति पर फैसला हो सकता है।

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