इतना आसान नहीं था गोल्ड: नीरज ने एक साल तक फोन बंद रखा, मां से मिली जीत की ताकत

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इतना आसान नहीं था गोल्ड: नीरज ने एक साल तक फोन बंद रखा, मां से मिली जीत की ताकत

पानीपत. नीरज ने जेवलिन थ्रो में गोल्ड जीतकर नया इतिहास रचा। लेकिन यह इतिहास रचने की कहानी इतनी आसान नहीं है। नीरज ने इसके लिए कड़ी मेहनत की है। ओलंपिक की तैयारी के लिए उन्होंने एक साल तक अपना फोन बंद रखा। वो फोन को सिर्फ मां सरोज से बात करने के लिए ऑन करते थे। उन्होंने फोकस रहने के लिए सोशल मीडिया से भी दूरी बनाई। नीरज ने बताया कि मेडल जीतने के बाद जब राष्ट्रगान की धुन बजी और तिरंगा फहराया गया तो मेरे शरीर में करंट दौड़ गया था।

मां से मिली जीत की ताकत

नीरज के चाचा सुरेंद्र चोपड़ा ने बताया कि नीरज का एक साल से फोन बंद था। हम चाहकर भी नीरज से संपर्क नहीं कर पाते थे। जब नीरज का मन करता तब वो हमें फोन करता था। कई बार नीरज का हौसला कमजोर पड़ा लेकिन उसे मां सरोज से जीत की ताकत मिलती रही। मेडल जीतने के बाद नीरज ने बताया कि मैंने मेडल के बारे में नहीं सोचा था। मैं सिर्फ अपना बेस्ट देना चाहता था। जो उन्होंने दिया भी। 

2019 में उम्मीद टूटी, लेकिन फिर खड़ा हुआ नीरज

नीरज के परिवार वालों ने बताया कि नीरज का प्रदर्शन 2016 में भी शानदार था। उस साल हुई जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता था। लेकिन नीरज रियो ओलंपिक में क्वालिफाई नहीं कर पाया था। उसके तीन साल बाद 2019 में उसकी कोहनी में चोट लगी। जिसके ऑपरेशन के समय नीरज परेशान था कि वो टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले पाएगा की नहीं। चोट से रिकवर होने के बाद नीरज पूरी तरह खेल के लिए समर्पित हो गया। उसका बस एक ही सपना था कि देश के लिए गोल्ड लाना है। 

नीरज की ऐतहासिक जीत

भारत के नीरज चोपड़ा ने शनिवार को जेवलिन थ्रो (भाला फेंक) का फाइनल जीत लिया है। उन्होंने 87.85 मीटर थ्रो फेंककर इतिहास रचा। इस जीत के साथ नीरज ट्रैक एंड फील्ड में भारत को सोना दिलाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए है। उन्होंने ओलंपिक में 12 साल बाद गोल्ड के सूखे को खत्म किया। नीरज से पहले अभिनव बिंद्रा ने 2008 में देश के लिए गोल्ड जीता था। 

राष्ट्रगान की धुन से शरीर में करंट दौड़ गया

नीरज ने जीत के बाद बताया कि मुझे पता था कि मैं अपना बेस्ट दूंगा। आज कुछ अलग करना था, लेकिन गोल्ड मेडल के बारे में मैंने नहीं सोचा था। नीरज ने आगे कहा कि जब राष्ट्रगान की धुन बजी और तिरंगा लहराया, मेरे शरीर में करंट दौड़ गया, मेरी आंखों में आंसू आ गए। 

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