BANGALORE. चंद्रयान-3 के बाद अब दुनिया की नजर भारत के सूर्य मिशन पर हैं। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने गुरुवार (7 अगस्त) को आदित्य-L1 पर लगे कैमरे से ली गई सेल्फी के साथ पृथ्वी और चंद्रमा की तस्वीरें शेयर कीं। इसमें पृथ्वी विशाल तो चंद्रमा बहुत छोटा नजर आ रहा है। इन तस्वीरों को 4 सितंबर को खींचा गया है। सेल्फी में आदित्य पर लगे 2 इंस्ट्रूमेंट VELC और SUIT भी नजर आ रहे हैं। फिलहाल आदित्य-L1 पृथ्वी की कक्षा में ही मौजूद है और 4 महीने बाद लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा।
कब हुआ था लॉन्च
आदित्य-एल-1 को 2 सितंबर की सुबह 11.50 बजे रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की 235 X 19,500 किमी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया था।
अब तक 2 बार ऑर्बिट बढ़ाई गई
लॉन्चिंग के बाद से 'आदित्य' की 2 बार ऑर्बिट बढ़ाई जा चुकी है। इसके लिए थ्रस्टर फायर किए गए थे। करीब 4 महीने बाद ये 15 लाख किलोमीटर दूर लैगरेंज पॉइंट-1 तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज पर आसानी से रिसर्च की जा सकती है।
जानें आदित्य एल-1 का सफर
पीएसएलवी रॉकेट ने आदित्य को 235 x 19,500 किमी की पृथ्वी की कक्षा में छोड़ा गया।
16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा।
5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट बढ़ाया जाएगा।
फिर आदित्य के थ्रस्टर फायर होंगे और ये एल-1 पॉइंट की ओर निकल जाएगा।
110 दिन के सफर के बाद आदित्य ऑब्जरवेटरी इस पॉइंट के पास पहुंच जाएगा।
थ्रस्टर फायरिंग के जरिए आदित्य को एल-1 पॉइंट के ऑर्बिट में डाल दिया जाएगा।
लैगरेंज पॉइंट-1 (एल-1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में एल-1 नाम से जाना जाता है। ऐसे 5 पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है। ऐसे में इस जगह पर अगर किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाता है तो वो आसानी उस पॉइंट के चारों तरफ चक्कर लगाना शुरू कर देता है। पहला लैगरेंज पॉइंट धरती और सूर्य के बीच 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे कुल 5 लैंगरेंज पॉइंट मौजूद हैं।
L-1 पॉइंट पर ग्रहण बेअसर
इसरो के अनुसार, एल-1 पॉइंट के आसपास हेलो ऑर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। ये 6 जनवरी 2024 को एल-1 पॉइंट तक पहुंच जाएगा।