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छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में स्थित बाल सुधार गृह की सुरक्षा व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। कोहड़िया में नवनिर्मित भवन में सुधार गृह के शुरू होने के महज दो दिन बाद ही चार किशोर फरार हो गए, जिसने प्रशासनिक लापरवाही और सुरक्षा इंतजामों की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की घटना सामने आई है; इससे पहले रिस्दी में संचालित सुधार गृह से भी कई किशोर भाग चुके हैं, जिनमें से कुछ अब तक पुलिस की पकड़ से बाहर हैं।
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नए भवन में शिफ्टिंग के बाद भी नहीं सुधरे हालात
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित सुधार गृह का उद्देश्य किशोर अपराधियों को सुधार और पुनर्वास का अवसर प्रदान करना है। हालांकि, कोरबा में इस संस्थान की कार्यप्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था बार-बार सवालों के घेरे में आ रही है। कुछ महीने पहले रिस्दी में संचालित सुधार गृह में अव्यवस्था और सुरक्षा में कमी की शिकायतें सामने आई थीं।
इसकी गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने महिला एवं बाल विकास विभाग को कड़ा पत्र लिखकर बच्चों को तत्काल नए और सुरक्षित भवन में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था।इसके बाद, जून 2025 के अंतिम सप्ताह में रिस्दी से किशोरों को कोहड़िया में पुराने बालको थाने के भवन में शिफ्ट किया गया।
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इस भवन का जीर्णोद्धार महिला एवं बाल विकास विभाग और जिला खनिज न्यास (DMF) के फंड से 25 लाख रुपये की लागत से किया गया था। नए भवन को आधुनिक और सुरक्षित बनाने का दावा किया गया था, लेकिन हकीकत कुछ और ही सामने आई।
शिफ्टिंग के पहले दिन ही दो किशोर बाथरूम के रौशनदान को तोड़कर फरार हो गए थे। अब, नए भवन में सुधार गृह के औपचारिक रूप से शुरू होने के मात्र दो दिन बाद ही चार और किशोर भाग निकले, जिसने प्रशासन की तैयारियों पर सवालिया निशान लगा दिया है।
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कैसे हुई घटना?
जानकारी के अनुसार, फरार हुए चारों किशोर जांजगीर-चांपा जिले के निवासी हैं। इन किशोरों ने सुरक्षा में मौजूद खामियों का फायदा उठाकर भागने में सफलता हासिल की। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि भवन की सुरक्षा व्यवस्था में कई कमियां थीं, जैसे अपर्याप्त सुरक्षा गार्ड, कमजोर निगरानी तंत्र, और भवन की संरचना में खामियां।
इससे पहले रिस्दी के पुराने भवन से भी कई किशोर इसी तरह भाग चुके हैं, और उनमें से कई अब तक पकड़े नहीं गए हैं।घटना की सूचना तुरंत CSEB चौकी पुलिस को दी गई, और पुलिस ने फरार किशोरों की तलाश शुरू कर दी है।
साथ ही, सुधार गृह के प्रबंधन ने भवन की सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए तत्काल कदम उठाने की बात कही है। हालांकि, बार-बार हो रही ऐसी घटनाओं ने स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में नाराजगी पैदा कर दी है।
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सुरक्षा में चूक के कारण और सवाल
कोरबा के सुधार गृह में बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं कई गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
सुरक्षा इंतजामों की कमी : नए भवन में 25 लाख रुपये की लागत से जीर्णोद्धार के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था में खामियां क्यों बरकरार हैं? क्या भवन का डिज़ाइन और निगरानी तंत्र किशोरों की सुरक्षा के लिए उपयुक्त नहीं है?
कर्मचारियों की जवाबदेही : सुधार गृह में तैनात कर्मचारियों और सुरक्षा गार्ड्स की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। क्या पर्याप्त प्रशिक्षण और निगरानी की कमी इस तरह की घटनाओं का कारण बन रही है?
प्रशासनिक लापरवाही : महिला एवं बाल विकास विभाग और जिला प्रशासन ने पुरानी घटनाओं से कोई सबक क्यों नहीं लिया? बार-बार एक ही तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं?
किशोरों का भविष्य : फरार होने वाले किशोरों का भविष्य अनिश्चितता के भंवर में फंस रहा है। क्या विभाग इन किशोरों को वापस लाने और उनके सुधार के लिए ठोस कदम उठा रहा है?
प्रशासन और पुलिस का रुख
घटना के बाद जिला प्रशासन और पुलिस सक्रिय हो गए हैं। CSEB चौकी पुलिस ने फरार किशोरों की तलाश के लिए एक विशेष टीम गठित की है, जो जांजगीर-चांपा और आसपास के इलाकों में छानबीन कर रही है।
सुधार गृह के प्रबंधन ने दावा किया है कि भवन की सुरक्षा व्यवस्था को जल्द से जल्द मजबूत किया जाएगा। इसके लिए अतिरिक्त सुरक्षा गार्ड तैनात करने, सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने, और भवन की संरचनात्मक कमियों को ठीक करने की योजना बनाई जा रही है।
कार्यप्रणाली और सुरक्षा मानकों पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सुधार गृहों की कार्यप्रणाली और सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि केवल भवन बदलने से समस्या का समाधान नहीं होगा। इसके लिए जरूरी है।
मजबूत सुरक्षा तंत्र : भवन में आधुनिक सुरक्षा उपकरण, जैसे हाई-रिजॉल्यूशन सीसीटीवी, गार्ड्स की 24x7 तैनाती, और सुरक्षित संरचनात्मक डिज़ाइन।
कर्मचारियों का प्रशिक्षण : सुधार गृह के कर्मचारियों को किशोरों की मनोवैज्ञानिक जरूरतों और सुरक्षा प्रबंधन के लिए विशेष प्रशिक्षण।
निगरानी और जवाबदेही : नियमित ऑडिट और निरीक्षण के जरिए सुधार गृह की कार्यप्रणाली पर नजर रखना।
किशोरों का पुनर्वास : फरार किशोरों को वापस लाने के बाद उनके सुधार और शिक्षा पर विशेष ध्यान देना।
सामाजिक और प्रशासनिक प्रतिक्रियाएं
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और बाल अधिकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि सुधार गृह का उद्देश्य किशोरों को बेहतर भविष्य देना है, लेकिन बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं उनके पुनर्वास की प्रक्रिया को बाधित कर रही हैं। बाल आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा ने भी इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और विभाग से विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है।
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