सिंहासन छत्तीसी : सरकार की नजरों में दाग अच्छे हैं, वसूली के लिए हुआ था पूरा बखेड़ा

छत्तीसगढ़ में कुछ दिनों पहले कांग्रेस में मचा बखेड़ा अब भले शांत हो गया हो लेकिन बखेड़ा की परतें खुलने लगी हैं। इसकी असली कहानी भी सामने आ गई है। आइए आपको बताते हैं क्या कह रही है सिंहासन छत्तीसी...

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Sandeep Kumar
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अरुण तिवारी@ RAIPUR. छत्तीसगढ़ में इन दिनों अफसरों में बहुत घबराहट मची हुई है। साहब लोगों की नपने की बारी आने लगी है। यदि सरकार ( government ) से कोई जुगत भिड़ा ली तो दाग अच्छे हैं वरना नपने के लिए तैयार हो जाओ। कुछ दिनों पहले कांग्रेस में मचा बखेड़ा अब भले शांत हो गया हो लेकिन बखेड़ा की परतें खुलने लगी हैं। इसकी असली कहानी भी सामने आ गई है। आइए आपको बताते हैं क्या कह रही है सिंहासन छत्तीसी। 

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साहब नपेंगे या बचेंगे

सरकार के दो वरिष्ठ आईएएस पर कार्रवाई की तलवार लटकी है। राजनीतिक गलियारों में यह बड़े जोरों की चर्चा है कि साहब नपेंगे या बचेंगे। साहब भी तलवार के डर से सांसत में हैं। एक आईएएस की शिकायत की रिपोर्ट कोर्ट में भी सबमिट हो चुकी है। तभी से साहब की रातों की नींद हराम है। फिलहाल ये मामला लंबित की श्रेणी में है। साहब भी सोच रहे हैं कि जब तक चुनाव का माहौल है तब तक कुछ सेटिंग कर ली जाए। वहीं दूसरे साहब सरगुजा संभाग के आला अफसर हैं। इन के खिलाफ मिली शिकायतों पर भी रिपोर्ट तैयार हो गई है। हाईकोर्ट ने भी सरकार को एक्शन लेने का बोला है। यदि सरकार की नजर टेढ़ी हुई तो इनको नपने में देर नहीं लगेगी। 

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सरकार मेहरबान तो दाग अच्छे हैं 

यदि सरकार की मेहरबानी हो तो अफसरों के दाग अच्छे हैं। रमन सरकार के समय 45 अफसरों पर दाग लगे। ये दाग लगाए खुद उन नेताओं से जिनकी नजरें इनसे हमेशा दो चार होती रही हैं। सरकार ने माना कि इन अफसरों के खिलाफ शिकायतें आई हैं। तीन साल तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद सरकार बदली लेकिन ये अफसर बदली सरकार के खास हो गए। तब भी इन पर कार्रवाई नहीं हो पाई। सरकार फिर बदल गई। कुछ अफसर सरकार में शामिल हो गए। फिर क्या था 45 में 35 को क्लीन चिट मिल गई। बड़े अफसर की जांच यदि छोटा अफसर करेगा तो उसकी क्या मजाल कि साहब की सफेद पोशाक पर लगे दाग देख ले। उसने भी जांच में सबकी सफेद कमीज को क्लीन बता दिया। 

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मेडम, सब पैसे का बखेड़ा था 

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में कुछ दिन पहले  एक बड़ा बखेड़ा हुआ। मेडम गुस्सा हुईं और मुंह पर इस्तीफा दे मारा। अगले दिन पहुंच गई बीजेपी की शरण में। लेकिन सूत्र कुछ और कह रहे हैं। चर्चा तो यहां तक है कि ये सब पैसे का बखेड़ा था। मेडम की कंपनी ने अपनी सरकार में प्रचार प्रसार के लिए करोड़ों का ठेका लिया। आधे पैसे मिल गए लेकिन सरकार बदलने के कारण आधे पैसे लटक गए। अब भाई मामला करोड़ों का है तो उसे ऐसे ही तो नहीं छोड़ा जा सकता। पैसे वसूलने हैं तो बीजेपी में जाना पड़ेगा। और मेडम ने वही रास्ता अपना लिया। तो बीजेपी क्या पैसा वसूल पार्टी बन गई है। 

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मंत्रियों को नहीं पता उड़ीसा में कितनी सीटें 

छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री बड़े भोले हैं। छत्तीसगढ़ के चुनाव से फारिग होकर नेताजी उड़ीसा प्रचार पर हैं। सीएम से लेकर उप मुख्यमंत्री और अधिकांश मंत्री उड़ीसा की तरफ रुख कर रहे हैं। जब लोगों ने पूछा कि उड़ीसा में लोकसभा की कितनी सीटें तो मंत्री जी बगलें झांकने लगे। तभी दूसरे मंत्रीजी आ गए, उनसे भी यही सवाल पूछा गया तो वे अनुमान लगाने लगे। अब संगठन के लोग ही कहने लगे हैं कि मंत्रीजी तैयारी थोड़ी अच्छी रखिए क्योंकि ये अमित शाह की पार्टी है।

 

 

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