Maa Bilai Mata Temple 500 Hundred Year Old History: नवरात्रि के इस पावन मौके पर हर तरफ लोग माता की भक्ति में लीन हैं, लेकिन धमतरी के विंध्यवासिनी माता के इस मंदिर का नजारा कुछ अलग ही है। बिलाई माता के नाम से प्रसिद्ध माता के इस दरबार में पिछले करीब 600 वर्षों से आस्था की ज्योति जल रही है। भक्त कई बार यहां के चमत्कारों से रूबरू हो चुके हैं।
बिलाई माता मंदिर का इतिहास
मां विंध्यवासिनी मंदिर के इतिहास के बारे में यह माना जाता है कि जब कांकेर के राजा नरहरदेव शिकार के लिए जा रहे थे तो उन्हें धाघोर जंगल में देवी मां के दर्शन हुए और उसके बाद उन्होंने मां विंध्यवासिनी की पूजा की। तब से लेकर आज तक वह इसी शक्ति स्थली में मां शक्ति की आराधना होती हैं। भक्तों का यह भी मानना है कि प्राचीन काल से ही देवी दुर्गा अगांरमोती, रिसाई मां दंतेशरी माता के रूप में इस क्षेत्र की रक्षा करती आ रही हैं।
धमतरी के रामबाग में मौजूद यह धाम उसी मां का दरबार है जो प्राचीन काल में गंगरेल की बीहड़ घाटियों में निवास करती थी। मां विंध्यवासिनी की यह मूर्ति स्वयं लगभग 500-600 वर्ष पूर्व प्रकट हुई थी। ऐसा माना जाता है कि बिलाई माता, मां विंध्यवासिनी, जंगलों के बीच धरती से प्रकट हुई थीं। तभी से मां यहां भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती आ रही हैं।
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