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Raipur. रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में घटित एक अमानवीय घटना पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। दरअसल, अस्पताल में भर्ती एचआईवी पॉजिटिव महिला और उसके नवजात शिशु की पहचान उजागर कर दी गई थी। इस घटना पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि यह न केवल असंवेदनशील बल्कि अत्यंत निंदनीय कृत्य है, जो व्यक्ति के जीवन और गरिमा के अधिकार (अनुच्छेद 21) का खुला उल्लंघन है।
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क्या है पूरा मामला?
रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल (Dr. Ambedkar Hospital Raipur) में एक नवजात शिशु के पास एक पोस्टर लगाया गया था, जिस पर साफ लिखा था- "बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव है"।
यह पोस्टर स्त्री रोग वार्ड में भर्ती महिला और नर्सरी वार्ड में रखे नवजात के बीच लगाया गया था। जब शिशु का पिता बच्चे को देखने पहुंचा, तो उसने यह पोस्टर देखा और भावुक होकर रो पड़ा। इस मामले को लेकर मीडिया में खबरें प्रकाशित हुईं, जिसके बाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान (Suo Motu Cognizance) लेकर इसे जनहित याचिका (PIL) के रूप में सुनवाई के लिए दर्ज किया।
हाईकोर्ट ने क्या कहा
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने टिप्पणी की- “यह कृत्य अत्यंत अमानवीय, असंवेदनशील और निंदनीय है। इससे मां और बच्चे की पहचान उजागर हो गई, जो उन्हें समाज में कलंक और भविष्य में भेदभाव का शिकार बना सकता है।”
बेंच ने कहा कि इस तरह की लापरवाही देश के संविधान और मानव अधिकारों दोनों के विरुद्ध है। अदालत ने स्पष्ट किया कि राज्य के सबसे प्रतिष्ठित अस्पतालों से उम्मीद की जाती है कि वे मरीजों की गोपनीयता और सम्मान की रक्षा करें, खासकर एचआईवी/एड्स जैसे संवेदनशील मामलों में।
मुख्य सचिव से मांगा गया व्यक्तिगत शपथपत्र
हाईकोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे 15 अक्टूबर तक व्यक्तिगत शपथपत्र (Personal Affidavit) प्रस्तुत करें। इसमें उन्हें बताना होगा- राज्य के सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए क्या व्यवस्था है।
कर्मचारियों, डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को संवेदनशील बनाने के लिए अब तक क्या प्रशिक्षण या जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।
अंबेडकर हॉस्पिटल रायपुर की घटना को ऐसे समझें:
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अदालत ने दी चेतावनी
हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाएं न केवल कानूनी अपराध हैं, बल्कि मानव गरिमा पर सीधा प्रहार हैं। अदालत ने यह भी जोड़ा कि इस तरह की लापरवाही भविष्य में दोबारा नहीं होनी चाहिए। आदेश की कॉपी तत्काल मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए गए हैं ताकि समय पर जवाब और कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
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संवेदनशीलता की कमी पर सवाल
यह घटना एक गंभीर सवाल उठाती है कि क्या राज्य के चिकित्सा संस्थान मरीजों की निजता की रक्षा करने में पर्याप्त रूप से सक्षम हैं। एचआईवी जैसे विषय पर समाज में अभी भी भेदभाव और कलंक मौजूद है, ऐसे में इस प्रकार की गलती पीड़ित के जीवन को और कठिन बना सकती है।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने इस शर्मनाक घटना को मानव गरिमा और गोपनीयता के खिलाफ अपराध करार देते हुए स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि प्रशासन इस आदेश पर कितनी गंभीरता से अमल करता है और क्या ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए ठोस नीति बनती है।