जलसंसाधन विभाग में घोटाला, नहर मरम्मत के नाम पर लाखों की लूट, रिटायर्ड कर्मचारी ने खोली पोल

छत्तीसगढ़ के फिंगेश्वर जलसंसाधन अनुविभाग में नहरों की मरम्मत के नाम पर लाखों रुपये के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। रोबा गांव के एक किसान और रिटायर्ड कर्मचारी याद राम साहू ने आरटीआई से मिले दस्तावेजों के आधार पर यह घोटाला उजागर किया है।

author-image
Krishna Kumar Sikander
New Update
Scam in water resources department the sootr
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

छत्तीसगढ़ के फिंगेश्वर जलसंसाधन अनुविभाग में नहरों की मरम्मत के नाम पर कथित तौर पर लाखों रुपये के फर्जीवाड़े का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। रोबा गांव के किसान और रिटायर्ड कर्मचारी याद राम साहू ने आरटीआई के जरिए प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर इस घोटाले की परतें उघाड़ी हैं।

उनके दावों के अनुसार, फिंगेश्वर वितरक शाखा नहर और टेल एरिया की नहरों को जानबूझकर क्षतिग्रस्त बताकर मरम्मत के नाम पर सरकारी खजाने से लाखों रुपये निकाले गए। इस मामले में मस्टररोल गायब होने, फर्जी दस्तावेजों और ठेकेदारों को अनुचित भुगतान की बात सामने आई है। याद राम ने इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक (एसपी) से की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

ये खबर भी पढ़ें... 3200 करोड़ का शराब घोटाला: भाटिया को मिले 14 करोड़... EOW ने पेश किया छठवां अभियोग पत्र

क्या है पूरा मामला?

याद राम साहू ने आरटीआई के तहत जलसंसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर से नहरों की मरम्मत से संबंधित जानकारी मांगी थी। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार, भसेरा, पसौद, सीरीकला, रोबा समेत 10 से अधिक गांवों को सिंचाई सुविधा देने वाली 9 नहरों में 56 स्थानों पर 1600 मीटर से अधिक हिस्से को क्षतिग्रस्त बताया गया।

मरम्मत के लिए 4600 प्लास्टिक की बोरियों में रेत भरकर काम करने, साफ-सफाई और अन्य सामग्री के उपयोग का दावा किया गया। यह कार्य वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत में, 20 से 25 फरवरी 2025 के बीच कराया गया, और इसके लिए कोरबा के डी-क्लास ठेकेदार विजय कुमार सहिस और उनकी फर्म इंडियन इंफ्रा बिल्ड को 4.46 लाख रुपये का भुगतान किया गया।

ये खबर भी पढ़ें... डीएमएफ घोटाला में 45 फर्जी टेंडर का खुलासा, क्लर्क सस्पेंड, दो पूर्व सहायक आयुक्तों समेत तीनों पर FIR की तैयारी

मौके पर जांच में खुला फर्जीवाड़ा

याद राम साहू ने अन्य किसानों और अनुविभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर नहरों की मौके पर जांच की। जांच में पाया गया कि कई जगहों पर मरम्मत का कोई काम ही नहीं हुआ था, और जहां काम हुआ भी, वह दस्तावेजों में दिखाए गए पैमाने से काफी कम था।

दस्तावेजों में 4600 बोरियों का उपयोग दिखाया गया, लेकिन मौके पर इसका कोई सबूत नहीं मिला। इसके अलावा, मरम्मत में लगे मजदूरों का मस्टररोल, जिसके लिए 2 लाख रुपये से अधिक का भुगतान दर्शाया गया, विभाग द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया। याद राम का आरोप है कि मस्टररोल को जानबूझकर गायब किया गया ताकि फर्जीवाड़े को छिपाया जा सके।

ये खबर भी पढ़ें... छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: ईडी की रिमांड खत्म, 6 सितंबर तक जेल में ही रहेंगे चैतन्य बघेल

विभाग की लापरवाही और ठेकेदारों को संरक्षण?

याद राम ने बताया कि जब उन्होंने इस फर्जीवाड़े को उजागर करने की कोशिश की, तो विभाग ने मामले को दबाने की पूरी कोशिश की। कभी रिकॉर्ड गायब कर दिए गए, तो कभी जिम्मेदार अधिकारियों को हटाकर जांच को ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई।

याद राम का दावा है कि यह घोटाला केवल एक नहर तक सीमित नहीं है, बल्कि अनुविभाग में ऐसी कई योजनाओं में अनियमितताएं हो रही हैं। उन्होंने कहा, “नहरों की मरम्मत के नाम पर हर साल लाखों रुपये का भुगतान ठेकेदारों को किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यह सरकारी खजाने की खुली लूट है।”

ये खबर भी पढ़ें... अरपा भैंसाझार भूमि घोटाला: अब EOW करेगी 1100 करोड़ के भूमि घोटाले की जांच

पुलिस शिकायत, फिर भी कार्रवाई का इंतजार

याद राम साहू ने सत्यापित दस्तावेजों के साथ इस मामले की शिकायत पुलिस अधीक्षक (एसपी) से की है। उन्होंने ठेकेदार विजय कुमार सहिस, उनकी फर्म इंडियन इंफ्रा बिल्ड और संबंधित अधिकारियों पर फर्जीवाड़े और सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

हालांकि, शिकायत के बावजूद अभी तक कोई FIR दर्ज नहीं हुई है, और जांच की प्रक्रिया धीमी गति से चल रही है। याद राम ने कहा, “मैं एक रिटायर्ड कर्मचारी और किसान हूं। मेरे पास सच को सामने लाने के लिए आरटीआई ही एकमात्र हथियार है। लेकिन विभाग और ठेकेदारों की मिलीभगत के सामने मेरी आवाज दबाई जा रही है।”

नहरों की स्थिति और किसानों की परेशानी

फिंगेश्वर क्षेत्र के किसान पहले से ही नहरों की खराब स्थिति से परेशान हैं। कई गांवों में सिंचाई के लिए पानी की कमी रहती है, और नहरों की मरम्मत के लिए आवंटित धन का सही उपयोग न होने से उनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं। याद राम ने बताया कि कई नहरें टूटी-फूटी हालत में हैं, और मरम्मत के नाम पर केवल कागजी कार्रवाई हो रही है। इससे न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी संसाधनों का भी दुरुपयोग हो रहा है।

क्या कहते हैं दस्तावेज?

नहरों की संख्या : 9 (भसेरा, पसौद, सीरीकला, रोबा आदि गांवों में)  
क्षतिग्रस्त हिस्से : 56 स्थान, 1600 मीटर से अधिक लंबाई  
मरम्मत सामग्री : 4600 रेत से भरी प्लास्टिक की बोरियां, साफ-सफाई और अन्य सामग्री  
भुगतान : 4.46 लाख रुपये (ठेकेदार विजय कुमार सहिस और इंडियन इंफ्रा बिल्ड को)  
मजदूरों का भुगतान : 2 लाख रुपये से अधिक, लेकिन मस्टररोल गायब  
कार्य अवधि : 20-25 फरवरी 2025

किसानों और जनता की मांग

याद राम साहू के खुलासे के बाद क्षेत्र के किसानों और स्थानीय लोगों ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जलसंसाधन विभाग में ऐसी अनियमितताएं लंबे समय से चल रही हैं, और ठेकेदारों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। किसानों ने यह भी मांग की है कि नहरों की मरम्मत के लिए आवंटित धन का पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित किया जाए ताकि सिंचाई की समस्या का समाधान हो सके।

विभाग का रवैया और भविष्य

जलसंसाधन अनुविभाग फिंगेश्वर के अधिकारियों ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। याद राम का कहना है कि विभाग की चुप्पी ही इस फर्जीवाड़े की पुष्टि करती है। उन्होंने उच्च स्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इस मामले ने न केवल जलसंसाधन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर किया है।

FAQ

फिंगेश्वर जलसंसाधन अनुविभाग में नहर मरम्मत घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
फिंगेश्वर के रिटायर्ड कर्मचारी और किसान याद राम साहू ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज़ प्राप्त कर इस घोटाले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि नहरों की मरम्मत के नाम पर कागज़ों में लाखों रुपये खर्च दिखाए गए, लेकिन ज़मीनी स्तर पर काम नहीं हुआ था।
नहर मरम्मत के नाम पर किस प्रकार की अनियमितताएं सामने आई हैं?
दस्तावेज़ों में 1600 मीटर नहर की मरम्मत, 4600 रेत भरी बोरियों का उपयोग और मजदूरों को 2 लाख रुपये का भुगतान दिखाया गया, लेकिन मौके पर न मरम्मत के निशान मिले और न ही मस्टररोल उपलब्ध कराया गया। इससे फर्जी भुगतान और रिकॉर्ड में हेराफेरी की पुष्टि होती है।
याद राम साहू और किसानों की मुख्य मांग क्या है?
याद राम साहू और किसानों की मांग है कि इस फर्जीवाड़े की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच हो, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, और भविष्य में नहरों की मरम्मत के लिए पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए ताकि किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सके।

thesootr links

द सूत्र कीt खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃 🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

फिंगेश्वर नहर घोटाला | जलसंसाधन विभाग फर्जीवाड़ा | याद राम साहू आरटीआई | नहर मरम्मत घोटाला | फर्जी मस्टररोल घोटाला छत्तीसगढ़

फर्जी मस्टररोल घोटाला छत्तीसगढ़ नहर मरम्मत घोटाला याद राम साहू आरटीआई जलसंसाधन विभाग फर्जीवाड़ा फिंगेश्वर नहर घोटाला