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bhopal-hospital-license-cancelled Photograph: (thesootr)
भोपाल के इब्राहिमपुर रोड स्थित मल्टीस्पेशलिटी ट्रॉमा सेंटर का लाइसेंस गर्भवती महिला की मृत्यु के बाद रद्द कर दिया गया। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच में अस्पताल पर गंभीर लापरवाही के आरोप सही पाए गए।
यह घटना 22 अक्टूबर 2024 को हुई थी। बैरसिया के मेंगीपुरा निवासी 33 वर्षीय महिला ने अस्पताल में प्रसव किया था। प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव होने के बाद महिला को भोपाल रेफर किया गया। लेकिन रेफर करने में हुई देरी और उचित इलाज न मिलने के कारण रास्ते में ही उसकी मृत्यु हो गई।
जांच में सामने आए तथ्य
स्वास्थ्य विभाग की जांच में पता चला कि महिला को पहले से ही उच्च जोखिम गर्भवती (High-Risk Pregnancy) के रूप में चिन्हित किया गया था। इसके बावजूद अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टर या स्त्री रोग विशेषज्ञ मौजूद नहीं थे। प्रसव के बाद रक्तस्राव बढ़ने पर भी अस्पताल में ब्लड बैंक की सुविधा नहीं थी। इसके अलावा, समय पर रेफर न करने और प्रशिक्षित चिकित्सकों की अनुपस्थिति के कारण महिला को सही उपचार नहीं मिल सका। जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला स्वास्थ्य समिति ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया।
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अस्पताल प्रबंधन के लापरवाही आई सामने
जांच दल ने अस्पताल के रिकॉर्ड की जांच में यह पाया कि महिला को लगभग 10:30 घंटे तक अस्पताल में भर्ती रखने के बाद डिलीवरी करवाई गई। इन 10:30 घंटे में किसी भी स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा महिला का परीक्षण नहीं किया गया। अस्पताल में रक्तकोष की अनुपलब्धता होने के बावजूद प्रसूता को तत्काल रेफर किए जाने के बावजूद चिकित्सालय में ही सिजेरियन डिलीवरी का निर्णय लिया गया, जबकि महिला में रक्तस्त्राव की आशंका थी। महिला को प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ के अनुपस्थित रहने पर उपचार दिया गया। रेफर करते समय भी अस्पताल प्रबंधन के लापरवाही सामने आई है। महिला को बिना किसी प्रशिक्षित चिकित्सक अथवा पैरामेडिकल स्टाफ के बिना केवल ड्राइवर के साथ भोपाल रेफर किया गया।
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स्वास्थ्य विभाग का बयान
सीएमएचओ (CMHO) डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि शासन द्वारा हर गर्भवती महिला के लिए सुरक्षित प्रसव सेवाएं प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित है। अस्पताल ने निर्धारित चिकित्सकीय प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। इसी कारण यह कार्रवाई की गई।
स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। अस्पताल में अब किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सेवाएं नहीं दी जा सकेंगी।