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मध्य प्रदेश में बीते तीन साल में रिश्वतखोरी के एक हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जिसका प्रमाण सरकारी दस्तावेज हैं। भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को लेकर खुद सरकार भी परेशान है। जिससे निपटने के लिए सरकार ने हाल ही में एक पहल भी की है। जिसमें रिश्वतखोरों को पकड़वाने के लिए आम जनता की मदद ली जाएगी। कहने का मतलब ये है कि सूबे के सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के कीड़े जड़ों तक लग चुके हैं। प्रदेश में हाउसिंग बोर्ड में अवैध वूसली से जुड़ा है। जिसे लेकर बोर्ड के अफसरों के बीच जमकर विवाद गहरा गया है।
विवाद ऐसा है कि बोर्ड के सहायक यंत्री ने ठेकेदारों से अवैध वसूली में सीनियर अफसरों का साथ नहीं दिया तो अफसरों ने उन पर लंबी चौड़ी रिकवरी निकाल दी और ये रकम तनख्वाह से वूसली करने का आदेश भी जारी कर दिया। ये बात खुद सहायक यंत्री ने आयुक्त को तीन पेज की चिट्ठी लिखकर बताई है। जिसके बाद पर्यावास भवन और बिट्टन मार्केट में संचालित हाउसिंग बोर्ड के कामों में अवैध वसूली को लेकर अफसरों के बीच गंभीर खटपट शुरू हो गई है।
सहायक यंत्री लिखी चिठ्ठी
मध्य प्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल के सहायक यंत्री प्रवीण पोरवाल ने पर्यावास भवन मुख्यालय के आयुक्त को चिठ्ठी लिखी है। पोरवाल ने सर्किल-1 के उपायुक्त और संभाग-6 के कार्यपालन यंत्री पर ठेकेदारों से अवैध वूसली करने का दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं। सहायक यंत्री पोरवाल ने लिखा कि उन्होंने ठेकेदारों से अवैध वसूली करने में उपायुक्त और कार्यपालन यंत्री का साथ नहीं दिया। इसलिए सीनियर अधिकारियों ने खुन्नस पाल लिया और पोरवाल पर रिकवरी निकाल दी। पोरवाल ने मामले में सरकार से भी हस्तक्षेप करने की मांग की है।
इन अफसरों पर लगे आरोप
सहायक यंत्री प्रवीण पोरवाल ने सर्किल-1 के उपायुक्त पॉल एक्का और संभाग-6 के कार्यपालन यंत्री प्रकाश संगमनेरकर पर ठेकेदारों से अवैध वूसली करने का दबाव बनाने के आरोप लगाए हैं। पोरवाल ने आयुक्त से शिकायत की है कि उन्होंने ठेकेदारों से अवैध वसूली करने में उपायुक्त एक्का और कार्यपालन यंत्री संगमनेरकर का साथ नहीं दिया, इसलिए दोनों अफसरों ने निजी भावना से प्रेरित होकर 39 लाख 36 हजार 235 रुपए की रिकवरी निकाल दी। यही नहीं, सीनियर अधिकारियों ने ये रकम पोरवाल की मार्च समेत अगले महीनों की सैलरी से वसूल करने का आदेश भी जारी कर दिया। पोरवाल ने लिखा कि वो IIT धनबाद से गोल्ड मेडलिस्ट हैं और सहायक यंत्री के पद पर उनकी पोस्टिंग राज्य अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा 2021 के अंतर्गत मार्च 2024 में हुई है।
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सहायक यंत्री ने भी लगाए आरोप
सहायक यंत्री ने लिखा है कि उन पर द्वेषवश झूठे आरोप लगाए गए हैं। ठेकेदार पर अनुचित दबाव बनाकर पैसे वसूली की नीयत से कार्यपालन यंत्री की मिलीभगत से ये आदेश जारी किया गया है। सहायक यंत्री पोरवाल ने कहा कि वो फिलहाल प्रशिक्षु सहायक यंत्री हैं और उन्हें कार्यपालन यंत्री से जो निर्देश मिलते हैं। उसी के मुताबिक काम करता हूं। मुख्यालय के रेनोवेशन काम में कार्यपालन यंत्री सीधे ठेकेदार को निर्देश देते हैं। समय-समय पर ऑफिस में मेरे काम का मुआयना भी करते हैं। अब प्रवीण बेहद परेशान हैं क्योंकि उनसे 39 लाख 36 हजार 235 रुपए की वसूली करने का आदेश जारी हो चुका है। उनका कहना है कि ये आदेश अचानक आया है।
उपायुक्त या कार्यपालन यंत्री ने पहले ना तो उन्हें कोई आधिकारिक नोटिस जारी किया ना ही कोई स्पष्टीकरण मांगा। अचानक आए आदेश से वो और उनका परिवार मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। बकौल प्रवीण, उनका कसूर सिर्फ इतना है कि उन्होंने ठेकेदारों से अवैध वसूली में उपायुक्त और कार्यपालन यंत्री का साथ नहीं दिया। लिहाजा, नाराज होकर सीनियर अफसरों ने उनसे और अधीनस्थ सब इंजीनियर से कुल मिलाकर 65 लाख 60 हजार रुपए रिकवर करने के आदेश दे दिए।
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सहायक यंत्री ने ये भी लिखा
बोर्ड मुख्यालय ने उनकी पहली पदस्थापना सर्कल-1 भोपाल कार्यालय में की है। उन्हें 31 मई 2024 को पूर्व सहायक यंत्री डीडी गोयल के रिटायरमेंट के बाद संभाग-6 भोपाल के अंतर्गत उपसंभाग-5 का प्रभार मिला है। वर्तमान में उनके पास उपसंभाग के तहत बिट्टन मार्केट के पुनर्विकास और पर्यावास भवन की साज-सज्जा समेत रखरखाव के बाकी काम हैं। सहायक यंत्री ने ये भी लिखा कि उपायुक्त पॉल एक्का उपायुक्त ने हाल ही में एक पत्र जारी है, जिसमें सहायक यंत्री पर पर्यावास भवन के रेनोवेशन के काम का पेमेंट करने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है। उपायुक्त ने सहायक यंत्री पोरवाल से 39 लाख 36 हजार 235 रुपए और अधीनस्थ सब इंजीनियर राजेंद्र चौहान से 26 लाख 24 हजार 156 रुपए की वसूली मार्च समेत आगामी महीनों की सैलरी से रिकवर करने के आदेश जारी किए हैं।