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cm-mohan-yadav Photograph: (thesootr)
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में समाधान ऑनलाइन बैठक में अधिकारियों की लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। बैठक में उन्होंने अधिकारियों से स्पष्ट कहा कि जो काम करना है, उसमें देरी क्यों की जाती है? ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस बैठक में कई अधिकारियों को सस्पेंड करने के आदेश दिए गए। इनमें रीवा के तहसीलदार, मऊगंज नगर पंचायत के सीएमओ, और सब-इंजीनियर शामिल हैं।
इन अधिकारियों को किया सस्पेंड...
- रीवा जिले का तहसीलदार:राजेंद्र शुक्ल को निलंबित किया गया, क्योंकि उन्होंने एक स्थानीय नागरिक को आर्थिक सहायता देने में देरी की थी।
- मऊगंज नगर पंचायत के सीएमओ: महेश पटेल को निलंबित किया गया, क्योंकि उन्होंने पिछले तीन महीनों से कॉलोनी में पानी की आपूर्ति की समस्या को हल नहीं किया था।
- नगरीय विकास विभाग के उपयंत्री: राजेश प्रताप सिंह को भी पानी की आपूर्ति में लापरवाही के लिए निलंबित किया गया।
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मुख्यमंत्री का कड़ा संदेश... "काम में देरी क्यों?"
मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि अगर कोई कार्य करना है, तो उसमें देरी क्यों की जाती है? हमें जनता के हित में तुरंत कदम उठाने चाहिए, ताकि उनका जीवन प्रभावित न हो। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि यदि वे अपनी जिम्मेदारियों को नहीं निभाते, तो उन्हें सख्त सजा दी जाएगी।
इन अफसरों पर भी की कार्रवाई
मुख्यमंत्री ने सिवनी और सीहोर के अधिकारियों पर भी नाराजगी जताई। सिवनी जिले में बच्चों और महिलाओं के अपहरण और गुमशुदगी के मामलों में एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी, जिस पर टीआई और एसडीओपी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। वहीं, सीहोर जिले में नल जल योजना के तहत पानी की आपूर्ति में हुई कमी पर मुख्यमंत्री ने सख्त टिप्पणी की और अधिकारियों से सुधार करने को कहा।
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अन्य जिलों में भी कड़ी कार्रवाई
इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने विदिशा, छिंदवाड़ा, टीकमगढ़ और खंडवा जिलों में भी अधिकारियों की लापरवाही पर कार्रवाई की। विदिशा में मुद्रा योजना में लाभ न मिलने पर सीएमओ को नोटिस जारी किया गया, छिंदवाड़ा में कुंआ बनाए जाने के भुगतान में देरी पर सचिव को निलंबित किया गया। वहीं, टीकमगढ़ जिले में बकरी पालन अनुदान की फाइल गायब होने पर मामला उठाया गया।