मप्र में अविश्वास प्रस्ताव पर नकेल, सीएस की आपत्ति के बाद 3 साल से 4.5 साल अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव खारिज

सीएस की आपत्ति के कारण, मप्र सरकार के निकाय अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव खारिज हुआ। अब नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 47 लागू की जाएगी।

author-image
Amresh Kushwaha
New Update
nagar-nikay-avishwas-prastav-madhya-pradesh
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

मध्य प्रदेश सरकार ने नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि को साढ़े चार साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया था। लेकिन चीफ सेक्रेटरी अनुराग जैन (Chief Secretary Anurag Jain) की आपत्ति के कारण इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। अब, राज्य सरकार ने एक वैकल्पिक व्यवस्था की योजना बनाई है। इसके तहत नगरपालिका अधिनियम 1961 (Municipality Act 1961) की धारा 47 (Section 47) को फिर से लागू किया जाएगा। इसके तहत, अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग के जरिए सीधे चुनावों के माध्यम से किया जाएगा।

सीएस की आपत्ति से प्रस्ताव खारिज

हालांकि, सीएस की आपत्ति के बाद इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया है। सात ही, सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत धारा 47 को पुनः लागू करने की तैयारी की है। बता दें कि अविश्वास प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य निकाय अध्यक्षों को उनके कार्यकाल के अंतिम महीनों में अस्थिर करने से बचाया जा सके। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती तो अध्यक्षों के लिए साढ़े चार साल तक कोई अविश्वास प्रस्ताव लाना कठिन हो जाता। इस दौरान केवल अंतिम छह महीनों में चुनाव कराने का प्रावधान पहले से था।

ये खबर भी पढ़िए...जानें कब और किसके खिलाफ लाया जा सकता है अविश्वास प्रस्ताव

जानें क्या है धारा 47 का महत्व

धारा 47 के तहत, यदि किसी नगरपालिका या नगर परिषद के अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो राज्य निर्वाचन आयोग उसे सीधे चुनावों के माध्यम से निपटाता है। इसका मतलब है कि कोई भी अविश्वास प्रस्ताव सीधे चुनावों के माध्यम से निष्पादित किया जाएगा। इससे पारदर्शिता बनी रहेगी और किसी भी प्रकार के राजनीतिक दबाव से बचा जा सकेगा।

निकाय अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की खबर पर एक नजर

  • मध्य प्रदेश सरकार ने नगर निगमों और नगरपालिका परिषदों के अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि को साढ़े चार साल तक बढ़ाने का प्रस्ताव पेश किया था।

  • सीएस अनुराग जैन (anurag jain cs mp) की आपत्ति के कारण यह प्रस्ताव खारिज कर दिया गया।

  • प्रस्ताव खारिज होने के बाद, सरकार ने एक वैकल्पिक व्यवस्था के तहत नगरपालिका अधिनियम 1961 की धारा 47 को फिर से लागू करने का निर्णय लिया।

  • धारा 47 के तहत, किसी भी अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का निर्णय राज्य निर्वाचन आयोग के जरिए सीधे चुनावों के माध्यम से किया जाएगा।

  • 2019 में मध्य प्रदेश में चुनाव प्रणाली में बदलाव हुआ, और अब अविश्वास प्रस्ताव की अवधि को तीन साल से बढ़ाकर साढ़े चार साल करने का प्रस्ताव था, ताकि अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावों की संख्या कम हो सके।

  • प्रस्ताव के खारिज होने के बाद, अब चुनावों के माध्यम से अविश्वास प्रस्ताव का फैसला होगा, जिससे पारदर्शिता और राजनीतिक दबाव से बचाव सुनिश्चित होगा।

ये खबर भी पढ़िए...मुख्य सचिव अनुराग जैन को मिला 1 साल का एक्सटेंशन, शिवराज के कार्यकाल में इकबाल सिंह बैंस का दो बार बढ़ा था कार्यकाल

अविश्वास प्रस्ताव की अवधि में बदलाव

2014 तक मध्य प्रदेश में नगर निगम और नगरपालिका चुनावों के लिए प्रत्यक्ष प्रणाली (Direct Election System) लागू थी। लेकिन 2019 में चुनाव नहीं होने के बाद कमलनाथ सरकार ने अप्रत्यक्ष प्रणाली (Indirect Election System) लागू कर दी थी। इससे पहले, अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि दो साल थी। हालांकि, 2024 में विधानसभा चुनावों के बाद, प्रदेश सरकार ने यह तय किया था कि अविश्वास प्रस्ताव की अवधि बढ़ाकर तीन साल कर दी जाएगी। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य विपक्ष के जरिए निकाय अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की संख्या को कम करना था।

ये खबर भी पढ़िए...MP News: मुख्य सचिव अनुराग जैन को मिलेगा एक्सटेंशन? क्या सीएस की दौड़ से बाहर हुई अलका उपाध्याय!

जानें प्रस्ताव पास होने पर क्या होता?

2024 में कई निकायों में विपक्ष ने अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी शुरू कर दी थी। इससे पहले, सरकार ने यह बदलाव किया था कि अविश्वास प्रस्ताव लाने की अवधि तीन साल से बढ़ाकर साढ़े चार साल की जाएगी।

यदि यह प्रस्ताव पास हो जाता तो साढ़े चार साल की अवधि में अविश्वास प्रस्ताव का खतरा बहुत कम हो जाता। लेकिन अब सरकार ने धारा 47 को लागू करने की योजना बनाई है। इससे अध्यक्षों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का फैसला चुनावों के जरिए होगा।

Anurag Jain Chief Secretary of Madhya Pradesh

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट केसाथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

anurag jain cs mp सीएस अनुराग जैन Anurag Jain अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव अविश्वास प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार Anurag Jain Chief Secretary of Madhya Pradesh मध्यप्रदेश MP News