जिला पंजीयक अमरेश नायडू, बिल्डर विवेक चुघ, आर्किटेक्ट हितेंद्र मेहता, उप पंजीयक सिंह पर EOW में  FIR

ईओडब्ल्यू इंदौर ने वरिष्ठ पंजीयक अमरेश नायडू और अन्य पर 13.32 करोड़ की स्टाम्प ड्यूटी चोरी का मामला दर्ज किया है। इंदौर के बड़े बिल्डर्स विवेक चुग और अजय जैन भी इस धोखाधड़ी में शामिल हैं।

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विवेक चुघ, हितेंद्र मेहता और अमरेश नायडू (बाएं से दाएं) Photograph: (The Sootr)

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INDORE. ईओडब्ल्यू इंदौर ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए वरिष्ठ जिला पंजीयक अमरेश नायडू, बिल्डर विवेक चुग पिता मोहनलाल चुघ, अजय जैन पिता महेंद्र जैन, उप पंजीयक संजय सिंह पर FIR दर्ज की है। यह इंदौर में 13,32,95,000/- (13 करोड़ 32 लाख 95 हजार) की स्टाम्प ड्यूटी चोरी कर शासन को हानि करने से जुड़ा हुआ है। कुल मिलकर इंदौर के बड़े बिल्डर और प्रसिद्ध लोग जमीन खरीदने में स्टाम्प ड्यूटी चोरी कर रहे हैं। इसके साथ ही पंजीयक अधिकारी भी मिलकर सरकार को नुकसान पहुंचा रहे हैं और अपने लोगों को फायदा दे रहे हैं।

इन धाराओं में दर्ज हुआ केस 

आरोपियों के विरूद्ध दिनांक 05/07/2025 को धारा 318(4), 61(2), 338, 336(3), एवं 340 भारतीय न्याय संहिता 2023 व धारा 7 (सी), भ्रष्टाचार निवारण संशोधन अधिनियम 2018 का प्रकरण पंजीबद्ध हुई है। 

यह है गंभीर आरोप

शिकायत में गंभीर आरोप है कि प्लाट खरीदी करने वालों ने अधिकारीगणों के साथ मिलकर शासन को स्टाम्प ड्यूटी राशि 13 करोड़ 32 लाख 95 हजार रुपए का नुकसान किया। 

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इसमें यह सभी आरोपी है

1. विवेक चुघ पिता मोहललाल चुघ, मेसर्स एक्सक्लूसिव रियल्टी।

2. हितेन्द्र मेहता, मेसर्स सेवनहार्ट्स बिल्डकॉन एलएलपी।

3. अजय कुमार जैन पिता महेन्द्र कुमार जैन।

4. संजय सिंह, उप पंजीयक, पंजीयक कार्यालय इंदौर।

5. अमरेश नायडू, वरिष्ठ जिला पंजीयक, पंजीयक कार्यालय इंदौर।

इस तरह किया खेल

आरोप है कि विवेक, हितेंद्र और अजय ने पंजीयक कार्यालय इंदौर से सांठ-गांठ कर डीएलएफ गार्डन सिटी मांगल्या सड़क की गाईड लाईन दर 50800/-रू. की दर से रजिस्ट्री नहीं की जाकर डीएलएफ गार्डनसिटी के स्वीकृत संशोधित नक्शे में काट-छांट की।

डीएलएफ गार्डनसिटी का नाम हटाकर मांगलिया सड़क गांव की गाइडलाइन दर जो बहुत ही कम केवल 14,200/-रू. प्रति वर्ग मीटर की दर थी, उसी से रजिस्ट्री कराई और इस तरह स्टाम्प ड्यूटी में 13.32 करोड़ की चोरी की। शिकायत की जांच डीएसपी ईओडब्ल्यू पवन सिंघल द्वारा की गई और इसे सही पाया गया। इसके बाद इसमें केस दर्ज हुआ। 

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कलेक्टर की जांच में भी साबित हुई था आरोप

इसकी शिकायत जिला प्रशासन को भी हुई थी। इसकी जांच कलेक्टर आशीष सिंह ने अपर कलेक्टर आईएएस गौरव बैनल को सौंपी थी। जांच में भी पाया गया था कि हाईवे टच होने के चलते गाइडलाइन अधिक होती है और साथ ही डेवलप कॉलोनी की गाइडलाइन नहीं लगाकर कम गाइडलाइन लगाई गई है।

इस तरह इसमें 13 करोड़ से ज्यादा की स्टाम्प ड्यूटी चोरी हुई है। इस मामले में नायूड व सिंह को नोटिस भी दिए गए थे। लेकिन इनके जवाब में यह कहीं नहीं आया कि उन्होंने आखिर कम गाइडलाइन क्यों लगाई। 

नायडू पहले भी कई मामलों में घिरे

नायडू का यह पहला आरोप नहीं है। वह इसके पहले भी 12 लाख की इसी तरह की स्टाम्प डयूटी चोरी में फंसे थे। जांच में भी उन्हें दोषी माना गया था और संभागायुक्त ने ही इसकी जांच कराई थी। जांच रिपोर्ट लेकिन जब पंजीयक विभाग गई तो नायडू ने अपना जादू चलाया और जांच को ठंडे बस्ते में डलवा दिया।

इसके अलावा भी नायडू के खिलाफ तीन और गंभीर मामलों में शिकायतें हो चुकी है, जो सभी टैक्स चोरी करने और सांठ गांठ कर सरकार को राजस्व में चूना लगाने से जुड़ी हुई है। EOW की एफआईआर से वह अब मुश्किलों में घिर गए हैं और एक बार फिर उनकी कार्य़शैली विवादों में आई है। MP News 

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